रूमेटिक फीवर - Rheumatic Fever in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

November 21, 2017

September 07, 2021

रूमेटिक फीवर
रूमेटिक फीवर

रूमेटिक फीवर आमतौर पर कम उम्र वाले बच्चों में होने वाली सबसे आम परेशानियों में से एक है। इसे स्ट्रेप थ्रोट से जुड़ी जटिलताओं में से एक माना जाता है। स्ट्रेप थ्रोट, एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण है जिसके कारण गले में सूजन और दर्द की परेशानी होती है। आमतौर पर 5 से 15 वर्ष की आयु वाले बच्चों में ज्यादा देखी जाने वाली यह परेशनी कई बार गंभीर भी हो सकती है। रूमेटिक फीवर के कारण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन व दर्द और कुछ मामलों में लाल दाने भी हो सकते हैं।

उप-सहारा अफ्रीका, दक्षिण मध्य एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यह बीमारी काफी सामान्य है। रूमेटिक फीवर के कारण घुटने, टखनों, कोहनियों और कलाई के जोड़ों में सूजन और दर्द होना सबसे आम है। यह दर्द एक जोड़ से दूसरे में भी पहुंच सकता है। हालांकि, इस बीमारी की सबसे खतरनाक स्थिति हृदय को होने वाली क्षति है। रूमेटिक फीवर के आधे से ज्यादा मामले में देखने को मिला है कि यह हृदय के वाल्व को क्षति पहुंचाता है, इसके कारण शरीर के अन्य अंगों को, रक्त को पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसके गंभीर मामलों में हार्ट फेल होने का भी खतरा रहता है।

इसके अलावा रूमेटिक फीवर अस्थायी तंत्रिका तंत्र विकार को भी बढ़ावा दे सकती है। इस विकार के हल्के मामलों में लोगों को ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जबकि गंभीर मामलों में हाथ, पैर और चेहरे की मांसपेशियों में अनियंत्रित रूप से ऐंठन की समस्या हो सकती है। एंटीबायोटिक दवाओं और उपचार के अन्य माध्यमों के कारण रूमेटिक फीवर के मामले अब विकसित देशों में कम दिखाई देते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में अमेरिका के गरीब हिस्सों में इस बीमारी ने दोबारा लोगों को शिकार बनाना शुरू किया है। सर्दियों और वसंत के दौरान इसके ज्यादा मामले सामने आते रहे हैं।

इस लेख में हम रूमेटिक फीवर के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानेंगे।

रूमेटिक फीवर के लक्षण - Rheumatic fever symptoms in hindi

रूमेटिक फीवर के लक्षण एक से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। जैसा कि उपरोक्त पंक्तियों में बताया गया है कि रूमेटिक फीवर, स्ट्रेप थ्रोट के कारक बैक्टीरिया के खिलाफ होने वाली प्रतिक्रिया के कारण होता है। हालांकि, स्ट्रेप थ्रोट के सभी मामलों में रूमेटिक फीवर का होना जरूरी नहीं है।

यदि बच्चे को गले में खराश के साथ निम्न में से कोई भी लक्षण है तो एक बार डॉक्टर से अवश्य संपर्क करना चाहिए।

रूमेटिक फीवर में कई और प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। बीमारी व्यक्ति को इनमें से एक या अधिक लक्षण महसूस हो सकते हैं। आमतौर पर स्ट्रेप संक्रमण के दो से चार सप्ताह बाद बच्चों में लखण दिखाई देने लगते हैं।

यदि बच्चे को बुखार है तो उन्हें तत्काल देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। निम्नलिखित स्थितियों में बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।

  • 6 सप्ताह तक के नवजात शिशु : 100° F (37.8 ° C) से अधिक तापमान।
  • 6 सप्ताह से 6 महीने के बच्चे : 101° F (38.3 ° C) या उससे अधिक तापमान।
  • किसी भी उम्र के बच्चे : तीन दिनों से अधिक बुखार होना।
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रूमेटिक फीवर का कारण - Rheumatic fever causes in hindi

रूमेटिक फीवर, आमतौर पर कुछ ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया पर किए गए इंफ्लामेटरी प्रतिक्रियाओं के कारण होता है। इस बैक्टीरिया के कारण स्ट्रेप थ्रोट और कुछ लोगों में स्कार्लेट फीवर यानी लाल बुखार की भी शिकायत हो सकती है। रूमेटिक फीवर के कारण शरीर अपने ही ऊतकों पर हमला कर देता है। इस प्रतिक्रिया के कारण पूरे शरीर में सूजन हो जाती है, जो रूमेटिक फीवर का सबसे आम लक्षण है।

विशेषज्ञों की सलाह है कि यदि किसी को भी गले में खराश है तो उसे विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। बच्चों के मामले में और भी अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। यदि आपके बच्चे को ठंड के अन्य लक्षणों के बिना गले में खराश की समस्या है, साथ में बुखार 100.4 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। यह स्ट्रेप थ्रोट के लक्षण हो सकते हैं और ऐसी स्थिति में शीघ्रता से एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज की आवश्यकता होती है।

रूमेटिक फीवर की जटिलताएं- complications of Rheumatic fever in hindi

रूमेटिक फीवर के कारण होने वाली सूजन की समस्या कुछ हफ्तों से लेकर कई महीनों तक रह सकती है। सूजन की स्थितियां कई लोगों में दीर्घकालिक भी हो सकती हैं। रूमेटिक फीवर के कारण हृदय को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचता है। आमतौर पर हृदय से संबंधित यह समस्या मूल बीमारी के 10 से 20 साल बाद होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चों में लक्षणों के मौजूद होने के साथ भी हृदय के वाल्व को नुकसान पहुंच सकता है। हृदय के दो बाएं कक्षों (माइट्रल वाल्व) के बीच वाल्व के साथ यह समस्याएं सबसे आम हैं। कई लोगों में अन्य वाल्व भी प्रभावित हो सकते हैं।

हृदय के वाल्ब को होने वाले नुकसान के निम्नलिखित परिणाम हो सकते हैं -

  • वाल्ब का पतला होना : रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।
  • वाल्व से रिसाव की समस्या : रिसाव के कारण रक्त गलत दिशा में प्रवाहित हो सकता है।
  • हृदय की मांसपेशियों को नुकसान : रूमेटिक फीवर के कारण होने वाली सूजन हृदय की मांसपेशियाों को कमजोर कर सकती है। इससे खून को पंप करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।

माइट्रल वाल्व, हृदय के वाल्व या ऊतकों को होने वाले नुकसान के कारण भविष्य में कई प्रकार की हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा रहता है।

रूमेटिक फीवर का निदान - Dignosis of Rheumatic fever in hindi

रूमेटिक फीवर के निदान के लिए कोई खास परीक्षण नहीं है। मेडिकल हिस्ट्री और कुछ प्रकार के शारीरिक परीक्षणों के आधार पर बीमारी का निदान किया जाता है। सामान्य रूप से बीमारी की पहचान करने के लिए निम्न परीक्षणों को प्रयोग में लाया जाता है।

खून की जांच

यदि आपके बच्चे में पहले से ही थ्रोट स्वैब टेस्ट के माध्यम से स्ट्रेप संक्रमण की पहचान हो चुकी है तो बैक्टीरिया की उपस्थिति जानने के लिए अतिरिक्त परीक्षणों की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कई बार ब्लड टेस्ट के माध्यम से खून में स्ट्रेप बैक्टीरिया के एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। कई बार बच्चे के गले के ऊतकों या खून की जांच के माध्यम से भी बैक्टीरिया का सही पता नहीं चल पाता है। रूमेटिक बुखार का परीक्षण करने के लिए कई बार डॉक्टर बच्चे के खून में इंफ्लामेटरी मार्करों को मापकर सूजन का पता लगाते हैं। 

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी)

इस परीक्षण के माध्यम से बच्चे के हृदय के जरिए इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स का पता लगाया जाता है। परिणाम के माध्यम से हृदय की इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स में असामान्यताओं का पता लगाया जा सकता है। इससे डॉक्टर को यह भी पता करने में आसानी होती है कि हृदय का कोई हिस्सा बढ़ा तो नहीं है?

इकोकार्डियोग्राम

इसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग करके हृदय की वास्तविक छवि प्राप्त की जाती है, इससे डॉक्टर को हृदय की समस्याओं का पता लगाने में आसानी होती है।

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रूमेटिक फीवर का इलाज - Treatment of Rheumatic fever in hindi

रूमेटिक फीवर के इलाज के दौरान डॉक्टरों की कोशिश सबसे पहले ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया को नष्ट करना, लक्षणों को ठीक करने के साथ सूजन को कम करने की होती है। इसके लिए उपचार के निम्न माध्यमों को प्रयोग में लाया जाता है।

एंटीबायोटिक्स

स्ट्रेप बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रभावी एंटीबायोटिक्स दवाएं दे सकते हैं। एक बार एंटीबायोटिक का कोर्स पूरा कर लेने के बाद, आपका डॉक्टर रूमेटिक फीवर को फिर से होने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का दूसरा कोर्स शुरू करा सकते हैं। सामान्य रूप से उपचार के माध्यमों का पूरा कोर्स बच्चे की उम्र 21 वर्ष होने तक या फिर बच्चे द्वारा उपचार के न्यूनतम पांच साल के कोर्स को पूरा करने तक चलता है। जिन लोगों को रूमेटिक फीवर के दौरान हृदय में सूजन की शिकायत हो जाती है उन्हें 10 साल या उससे अधिक समय तक एंटीबायोटिक उपचार जारी रखने की सलाह दी जा सकती है।

सूजन को रोकने के उपचार

सूजन, बुखार और दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर कुछ दर्द निवारक दवाएं लिख सकते हैं। यदि लक्षण गंभीर हैं और एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं का कोई प्रभाव नहीं होता है, तो डॉक्टर कॉर्टिकोस्टेरॉइड दवाएं लिख सकते हैं।

एंटीकॉन्वेलसेंट दवाएं

यदि बच्चों में इंवालेंटरी गतिविधियां बहुत गंभीर हो जाती हैं, तो डॉक्टर एंटीकॉन्वल्सेंट दवाएं लिख सकते हैं।



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Rheumatic fever.
  2. Better health channel. Department of Health and Human Services [internet]. State government of Victoria; Rheumatic fever.
  3. RHDAustralia,Menzies School of Health Research [Internet]: Australian Government Department of Health; What is Rheumatic Heart Disease?
  4. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Rheumatic Fever: All You Need to Know.
  5. National Center for Advancing Translational Studies [Internet]: US Department of Health and Human Services; Rheumatic Fever.

रूमेटिक फीवर की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Rheumatic Fever in Hindi

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