क्या आपको भी इन दिनों जरूरत से ज्यादा गुस्सा आ रहा है? अगर हां, तो ऐसा नींद में कमी के कारण हो सकता है। एक मेडिकल रिसर्च में भी दावा किया गया है कि रात में अच्छी नींद जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि नींद में आई कमी के चलते किसी का भी गुस्सा बढ़ सकता है।

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आज इस लेख में आप उस रिसर्च के बारे में जानेंगे, जो यह बताती है कि नींद में आई कमी गुस्से को बढ़ाने का काम कर सकती है -

  1. सामान्य से कम नींद लेने पर गुस्से का अनुभव अधिक
  2. नींद और गुस्से के बीच संबंध है इसके लिए लैब एक्सपेरिमेंट भी हुए
  3. नींद की कमी भावनात्मक अनुकूलन को भी कम कर देती है
  4. नींद की कमी से बढ़ता है गुस्सा और समय के साथ आती है निराशा
  5. सारांश
अध्ययन : जानें क्यों नींद की कमी से बढ़ता है गुस्सा के डॉक्टर

अनुसंधान के इस कार्यक्रम में डायरी और प्रयोगशाला में किए जाने वाले परीक्षणों का विश्लेषण शामिल था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने कॉलेज के 202 छात्रों की दैनिक डायरी प्रविष्टियों (डायरी एंट्रीज) का विश्लेषण किया, जिन्होंने एक महीने तक अपनी नींद, रोजाना के तनाव और अपने गुस्से या क्रोध पर नजर रखी। अध्ययन के शुरुआती नतीजे बताते हैं कि उन सभी छात्रों ने उन दिनों में ज्यादा गुस्से का अनुभव किया जिन दिनों में उनकी नींद सामान्य दिनों से कम थी। 

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रिसर्च टीम ने एक लैब एक्सपेरिमेंट भी किया जिसमें उन्होंने 147 सामुदायिक निवासियों को शामिल किया। प्रतिभागियों को बिना किसी पैटर्न को फॉलो किए बेतरतीब तरीके से 2 तरह का काम सौंपा गया। पहला- या तो अपनी नींद के शेड्यूल को मेनटेन करें या फिर दूसरा- घर पर ही रहकर 2 रातों में लगभग 5 घंटे की नींद को प्रतिबंधित करें। इस हेरफेर के बाद उन सभी लोगों को उत्तेजक या चिढ़ पैदा करने वाले शोर के संपर्क में रखा गया और इस दौरान उसके गुस्से का मूल्यांकन किया गया।

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इस प्रयोग के बाद यह पता चला कि अध्ययन में शामिल वे सभी लोग जो अच्छी तरह से सोए थे उन्होंने शोर के साथ अपना सामंजस्य बिठा लिया और 2 दिनों के बाद उनमें क्रोध या गुस्से कम देखने को मिला। इसके विपरीत, जिन प्रतिभागियों की नींद को प्रतिबंधित किया गया था उन लोगों में उस प्रतिकूल आवाज या शोर के प्रति बहुत अधिक गुस्सा देखने को मिला। इससे यह सुझाव मिलता है कि निराशा की परिस्थिति में नींद की कमी ने उन लोगों के भावनात्मक अनुकूलन को भी कम कर दिया। इसी तरह का एक और संबंधित प्रयोग किया गया था जिसमें लोगों ने एक ऑनलाइन प्रतिस्पर्धी खेल के बाद क्रोध की सूचना दी थी। उसमें भी इसी तरह के मिलते-जुलते परिणाम मिले थे।

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अमेरिका की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में साइकॉलजी के प्रफेसर ज्लाटन क्रिजन कहते हैं, "अध्ययन के परिणाम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे कारण बताने वाले मजबूत प्रमाण प्रदान करते हैं कि नींद में रूकावट या कमी गुस्से को बढ़ाती है और समय के साथ कुंठा और निराशा बढ़ने लगती है। इसके अलावा, दैनिक डायरी के अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि इस तरह के प्रभाव रोजमर्रा की जिंदगी में बदल जाते हैं, क्योंकि स्टडी में शामिल कॉलेज छात्रों ने उन दिनों में दोपहर के समय अधिक क्रोध महसूस होने की बात रिपोर्ट की थी जिन दिनों में वे कम सोए थे।"

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स्टडी के लेखकों ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर किसी के गुस्से को कम करना चाहते हो, तो उसे पूरी नींद लेनी चाहिए। पर्याप्त नींद लेने से अगली सुबह उठने पर व्यक्ति खुद को फ्रेश महसूस करता है और किसी भी तरह का मानसिक तनाव या दबाव भी महसूस नहीं होता है। साथ ही दिमाग भी बेहतर तरीके से काम कर पाता है।

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