एक्सरसाइज करने से आप बेहद ज्यादा तनाव से भी बाहर आ सकते हैं। चूहों पर किए गए एक हालिया अध्ययन के परिणामों के हवाले से शोधकर्ताओं ने यह संभावना जताई है। चूहों को शामिल करते हुए शुरुआती प्रयोगात्मक प्रयास के रूप में किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से दिमाग में एक केमिकल का लेवल बढ़ता है, जिसने चूहों को मनोवैज्ञानिक रूप से लचीला और साहसी बनाए रखने में मदद की है। व्यायाम के चलते मस्तिष्क में हुए इस परिवर्तन की वजह से चूहे अचानक से हालात के अजीब, भयभीत और खतरनाक बन जाने पर भी मानसिक रूप से मजबूत बने रहे। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक्सरसाइज करने के परिणामस्वरूप ये बदलाव इन्सानों में भी देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि इस तरह के परिस्थितियों से वे कभी न कभी गुजरते हैं। 

दुनियाभर में कोविड-19 महामारी के साथ राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल की वजह से जो हालात पैदा हुए हैं, वे अपनेआप में भयावह और खतरनाक हैं। प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) ने विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि ऐसे समय में कोई भी व्यक्ति तनाव से ग्रस्त हो सकता है। यह स्थिति हमारे हार्मोन और शरीर के कई केमिकल्स को आपातकालीन और तत्काल प्रतिक्रिया के लिए तैयार करने का काम करती है। अमेरिका के एटलांटा स्थित आइमरी यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में ह्यूमन जेनेटिक्स के प्रोफेसर और इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डेविड वीनशेंकर कहते हैं, 'अगर कोई बाघ आप पर हमला करे तो आपको भागना चाहिए। तनाव की ऐसी स्थिति में इस प्रकार का रेस्पॉन्स सही और महत्वपूर्ण है। लेकिन अगर हम जरा सी आवाज पर उछलने लगें और सायों के डर से खुद को सिकोड़ने लगें तो हम वास्तविक तनाव के प्रति ओवररिऐक्ट कर रहे हैं। दरअसल हमारी प्रतिक्रियाएं (तनाव के प्रति) अनुकूल नहीं रह गई हैं, क्योंकि हम वास्तविक भयावह चीजों के प्रति असल डर के साथ रिऐक्ट नहीं करते, लेकिन रोजमर्रा की मामूली चिंताओं में ऐसा करते हैं। तनाव के प्रति हमारे लचीलेपन या रेजिलिएंस में कमी हो गई है।'

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पिछले कुछ दिलचस्प अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कैसे व्यायाम स्ट्रेस के प्रति हमारे लचीलेपन को बढ़ाने का काम करता है। यह साबित करने के लिए डॉ. डेविड और उनके सहयोगियों ने चूहों का इस्तेमाल किया और उनमें गैलनिन नामक सब्सटेंस (पेप्टाइट) के संभावित प्रभावों पर फोकस किया। यह सूक्ष्म अमीनो एसिड कई पशुओं के साथ-साथ इन्सानों में भी पाया जाता है। मेडिकल विशेषज्ञ गैलनिन को मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ते हैं। उनके मुताबिक, जिन लोगों में आनुवंशिक रूप से गैलनिन का स्तर कम होता है, वे डिप्रेशन और एंग्जाइटी जैसे डिसऑर्डर के असाधारण खतरे का सामना करते हैं। कई शोधों में दावा किया गया है कि एक्सरसाइज करने से शरीर में इस सब्सटेंस की मात्रा बढ़ती है। चूहों पर किए गए प्रयोगों में ऐसे परिणाम मिले हैं। इनमें से कुछ डॉ. डेविड की लैब में भी किए गए। जांच के दौरान पता चला कि व्यायाम कराने से चूहों के मस्तिष्क में गैलनिन के प्रॉडक्शन में बढ़ोतरी हुई थी। यह प्रतिक्रिया विशेष रूप से दिमाग के उस हिस्से में देखने को मिली, जो मनोवैज्ञानिक तनाव में होने वाली प्रतिक्रियाओं में शामिल होने के लिए जाना जाता है। अध्ययन में दिलचस्प बात यह निकल कर आई कि व्यायाम से चूहों के मस्तिष्क में जितना गैलनिन बना, उतना ही उसके स्ट्रेस रेजिलिएंस में भी वृद्धि हुई।

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कैसे किया अध्ययन?
नए अध्ययन में स्वस्थ नर और मादा चूहों को शामिल किया गया। उनमें से कुछ को दौड़ने के लिए पिंजरों में रनिंग वील दिए गए। बाकी चूहों को असक्रिय रखा गया। चूहे प्राकृतिक रूप से दौड़ना पसंद करते हैं। इसलिए दौड़ने वाले पहियों से वे प्रतिदिन मीलों नाप सकते हैं। अध्ययन के तीन हफ्तों के बाद वैज्ञानिकों ने जब इन चूहों के जेनेटिक मार्कर्स की जांच की तो पता चला कि उनके गैलनिन की मात्रा काफी ज्यादा बढ़ गई थी। इस बढ़े स्तर के चलते इन चूहों की माइलेज में काफी सुधार हुआ था। इसके बाद चूहों के पैरों पर लाइट शॉक दिया गया। इस प्रयोग से शोधकर्ता चूहों के स्ट्रेस हार्मोन की जांच कर पाए और यह पता लगा सके कि लाइट शॉक देने से चूहे डर (जो एक तरह का तनाव देता है) जाते हैं और उछलने लगते हैं।

अगले दिन शोधकर्ताओं ने दौड़ने वाले और असक्रिय चूहों को अलग परिस्थितियों में रखा। इस बार उन्हें पिंजरे और लाइट दोनों के साथ डराया गया। यह प्रयोग बंद और खुले स्पेस दोनों में किया गया। चूहे अंधेरे की तरफ भागने वाले जानवर माने जाते हैं। वहां वे खुला स्पेस ढूंढने की कोशिश करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे माहौल में ये जानवर खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। प्रयोग में देखा गया कि जिन चूहों को वील पर दौड़ाया जाता थे, उन्होंने लाइट शॉक में सामान्य व्यवहार किया और वे धीरे-धीरे सावधानीपूर्वक रौशनी की तरफ बढ़े। लेकिन जिन चूहों को असक्रिय करके रखा गया वे अंधेरे में दुबके रहे और अपने तनाव से बाहर आने में असमर्थ दिखे। असक्रियता के चलते उनके लचीलेपन में कमी आ गई थी।

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इस परिणाम पर अध्ययन की एक शोधकर्ता रैचल टिलेज ने कहा, 'इन प्रयोगों का परिणाम यह कहता है कि कम से कम रॉडेन्ट्स (चूहा, गिलहरी आदि कतरने वाले जानवर) में स्ट्रेस रेजिलिएंस के लिए गैललिन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यायाम से गैललिन में बढ़ोतरी होती है, जिससे वैज्ञानिक प्रयोगों में डाली गई बाधाओं के प्रति जानवरों के साहसी होने की क्षमता बनी रहती है।' हालांकि ये तथ्य चूहों के मामले सामने आए हैं। इन्सानों के मामले में भी हूबहू दावे करना अलग बात है। उसके लिए अलग और ज्यादा शोध करने की जरूरत है। लेकिन प्रोफेसर डेविड कहते हैं कि व्यायाम हर लिहाज से हमारे लिए अच्छा ही है। आज के समय की अनिश्चितताओं और चिंताओं को ध्यान में रखते हुए रेग्युलर एक्सरसाइज करना अंततः सकारात्मक है।

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