व्यायाम हमारे शरीर को फिट और तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए बहुत आवश्यक है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी दुरुस्त करने में सहायक हो सकता है? बीमारियों से शरीर की रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में व्यायाम आपकी मदद कर सकता है, विशेषकर उस दौर में जहां कोरोना जैसी बीमारियां घेर कर खड़ी हों और उनसे बचने का एक ही तरीका हो, प्रतिरक्षा प्रणाली की मजबूती।

व्यायाम और स्वास्थ्य लाभ के संबंधों को लेकर समय-समय पर कई अध्ययन होते रहे हैं। हाल ही में जर्नल साइंस एडवांस में प्रकाशित हुए एक शोध में क्रोनिक बीमारियों के संबध में भी व्यायाम के फायदों के बारे में बताया गया है। अध्ययन में कंकाल की मांसपेशियों और कैचेक्सिया के संबंधों के बारे बात करते हुए बताया गया कि प्रतिरक्षा प्रणाली पर यह किस प्रकार से प्रभाव डालती है। कैचेक्सिया ऐसी स्थिति है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को प्रभावित करती है। अमेरिकन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट का अनुमान है कि सभी तरह के कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें कैचेक्सिया के वेस्टिंग सिंड्रोम के कारण होती हैं। अग्न्याशय, पेट, फेफड़े, ओसोफेजियल सहित कई प्रकार के कैंसरों के एडवांस स्टेज में कैचेक्सिया देखने को मिलता है। इस अवस्था में मांसपेशियों और वसा के ऊतकों को नुकसान पहुंचता है, जिससे मरीज इस कदर कमजोर हो जाता है कि उसके लिए चलना भी मुश्किल हो जाता है।

इसी तरह साल 1993 में नेचर साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में पहली बार टी-सेल इग्ज़ॉस्चन पर प्रकाश डाला गया। जो गंभीर क्रोनिक संक्रमणों के दौरान देखा जाता है और कैचेक्सिया जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बनता है।

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शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमें बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और विभिन्न प्रकार के रोगजनकों से हमारी रक्षा करती है। प्रतिरक्षा प्रणाली कई छोटी कोशिकाओं और ऊतकों से मिलकर बनी होती है। इतना ही नहीं प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की मृत कोशिकाओं की भी पहचान कर उन्हें स्वस्थ कोशिकाओं से परिवर्तित करती हैं। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली हमारे शरीर की रक्षा करने के साथ आवश्यकतानुसार कोशिकाओं की देखभाल भी करती है।

मांसपेशियों के निर्माण से प्रतिरक्षा प्रणाली किस तरह से सही होती है इसे लेकर हीडलबर्ग में जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया। इसमें वैज्ञानिकों ने चूहों पर एक परीक्षण किया। शरीर में बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार कुछ कोशिकाओं को टी कोशिकाओं के रूप में जाना जाता है, यह कोशिकाएं कैचेक्सिया के कारण कमजोर हो जाती हैं। एक प्रकार की टी कोशिकाएं जिन्हें सीडी8+ कहा जाता है वह संक्रमणों के दौरान क्षीण हो जाती हैं, जो शरीर में मांसपेशियों के नुकसान और इस स्थिति के बीच मुख्य कारक हैं।

चूहों की मांसपेशियों में जीन का अध्ययन करने के लिए पहले उन्हें लिम्फोसाइटिक कोरियोनोमाइटिस वायरस से संक्रमित किया गया। वैज्ञानिकों ने पाया कि जब संक्रमण का असर चूहों के मांसपेशियों की कोशिकाओं पर हुआ तो उन्होंने इंटरल्यूकिन-15 (आईएल-15) नामक साइटोकिन्स छोड़ना शुरू कर दिया। जो रोगजनकों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। आई-15 एक प्रकार का प्रोटीन या पेप्टाइड है जो कोशिका प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है और शरीर में कंकाल की मांसपेशियों में टी कोशिकाओं के रूप में कार्य करता है।

अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक के अनुसार, संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों से मुकाबला करने के दौरान अगर कोशिकाओं को कोई क्षति पहुंचती है तो प्रीकर्सर कोशिकाएं टी कोशिकाओं में विकसित हो सकती हैं। अध्ययन के प्रमुख वैज्ञानिक के अनुसार, संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों से मुकाबला करने के दौरान अगर कोशिकाओं को कोई क्षति पहुंचती है तो प्रीकर्सर कोशिकाएं टी कोशिकाओं में विकसित हो सकती हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन चूहों की मांसपेशियां अधिक थीं, वह कमजोर मांसपेशियों वाले चूहों की अपेक्षाा संक्रमण से मुकाबला करने में ज्यादा प्रभावी थे। हालांकि, यह मनुष्यों के मामले में कितना प्रभावी होता है और क्या इंसानों के साथ भी यह ऐसा ही होता है, इसपर अभी और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है।

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शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कई प्रकार की कोशिकाओं, प्रोटीन, ऊतकों से मिलकर बनी होती है। प्रतिरक्षा प्रणाली न सिर्फ बाहर से शरीर में प्रवेश करने वाले किसी फॉरेन बॉडी की पहचान करते हैं, साथ ही शरीर पर हमला करने वाले रोगजनकों से भी लड़ते हैं। खून में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं (डब्ल्यूबीसी) रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में मौजूद होती हैं। यही श्वेत रक्त कोशिकाएं किसी प्रकार के संक्रमण की स्थिति में रोगजनकों से मुकाबला करने के लिए सक्रिय हो जाती हैं।

ल्यूकोसाइट्स यानी श्वेत रक्त कोशिकाओं को आसानी से समझने के लिए इन्हें दो भागों में विभाजित किया गया है। पहला फागोसाइट्स, जो रोगजनकों को अवशोषित करके उन्हें नष्ट कर देते हैं और दूसरा लिम्फोसाइट्स, जो शरीर में मेमोरी की तरह मौजूद होते हैं। अगली बार उसी संक्रमण की स्थिति में यही लिम्फोसाइट्स वायरस को पहचानने और उससे शरीर की रक्षा करने में सहायता करते हैं। यही लिम्फोसाइट्स टी लिम्फोसाइट्स या टी कोशिकाएं बन जाते हैं।

टी कोशिकाओं के भी दो अलग-अलग प्रकार हैं। पहला हेल्पर टी कोशिकाएं जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं और दूसरी किलर टी कोशिकाएं जो अन्य कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें मार देती हैं और वायरस से मुकाबला करती हैं। मानव शरीर की प्रतिरक्षा को कई भागों में विभाजित किया गया है। जैसे वह प्रतिरक्षा जिसके साथ शिशु का जन्म होता है। इसके बाद वह प्रतिरक्षा जो उम्र के साथ और टीकाकरण के माध्यम से प्राप्त की जाती हैं। ऐसे ही पैसिव इम्यूनिटी भी एक प्रकार है, जो शरीर को अन्य स्रोतों जैसे नवजात शिशु को गर्भनाल और जन्म के बाद मां के दूध से प्राप्त होती है।

इम्यूनिटी जर्नल में साल 2016 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में बताया गया कि शरीर में कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएं विशेष प्रकार के प्रोटीन का उत्पादन करती हैं। जो नए मसल फाइबर का निर्माण करती हैं। ऐसा खासतौर पर मांसपेशियों में चोट की स्थिति में होता है। इसी तरह साल 2019 में जर्नल ऑफ स्पोर्ट एंड हेल्थ साइंस में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया, जिन व्यायामों में ज्यादा शक्ति की आवश्यकता होती है उनसे प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में सुधार होता है और शरीर पहले की तुलना में अपनी रक्षा प्रणालियों को मजबूत कर पाता है। इतना ही नहीं अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो उम्र संबंधी कई सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

संदर्भ

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