कोरोना महामारी ने हमें एक बार फिर अपने परिवारजनों के स्वास्थ्य के बारे में सोचने पर मजबूर किया है। हर कोई स्वयं और अपने परिवार को सुरक्षित रखना चा​हता है। जहां तक हेल्थ में निवेश की बात आती है तो इन्शुरन्स सबसे अच्छा विकल्प बनकर सामने आता है। हालांकि, इस दौरान अक्सर लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि उन्हें हेल्थ इन्शुरन्स लेना चाहिए या लाइफ इन्शुरन्स। यह उलझन सिर्फ इसलिए होती है, क्योंकि उन्हें हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स के अलग-अलग मकसद के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। कई बार जानकारी होने के बावजूद इन्शुरन्स को एक एक्स्ट्रा खर्च मानकर टाल दिया जाता। इसलिए आज इस आर्टिकल में हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में अंतर के साथ-साथ इनके महत्व के बारे में बता रहे हैं।

  1. हेल्थ इन्शुरन्स और लाइफ इन्शुरन्स में मुख्य अंतर - Health Insurance and Life Insurance in Difference in Hindi
  2. उम्र के अनुसार प्रीमियम में अंतर - Age Factor in Hindi
  3. मेडिकल टेस्ट की जरूरत - Medical test in Hindi
  4. पैसों से जुड़ी सहायता - Financial Assistance to Cover Loss of Income in Hindi
  5. रिटायर्मेंट में फायदा - Safeguard Your Retirement in Hindi
  6. कौन बेहतर निवेश - Investment in Hindi
  7. बचत में मदद - Help in savings in Hindi
  8. टैक्स सेविंग में लाभकारी - Source of Tax Saving in Hindi
  9. मेडिकल इमर्जेंसी आने पर - Medical Emergencies in Hindi
  10. निष्कर्ष - Conclusion in Hindi

इन्शुरन्स का अर्थ जोखिम से सुरक्षा करना होता है। यह बीमित व्यक्ति और बीमा कंपनी के बीच एक तरह का कॉन्ट्रेक्ट है। हर तरह के इन्शुरन्स में हमें निश्चित अवधि के अंतर पर बीमा कंपनी को प्रीमियम (तय शर्तों के अनुसार निश्चित राशि) देना होता है। ध्यान रहे, इन्शुरन्स का चुनाव आश्रितों (जो लोग हम पर निर्भर होते हैं) को ध्यान में रखकर किया जाता है। लाइफ इन्शुरन्स और हेल्थ इन्शुरन्स दोनों अलग-अलग जरूरतों को पूरा करते हैं। चलिए जानते हैं इनमें क्या अंतर होता है -

लाइफ इन्शुरन्स - Life Insurance in Hindi

सीधे शब्दों में कहें तो लाइफ इन्शुरन्स आपके जीवन का बीमा है। यानी अगर आपको कुछ हो जाता है तो आपके परिवार को वह सम-इनश्योर्ड दिया जाता है, जो आपने तय किया है। यही नहीं, अगर आप पॉलिसी टर्म के अंत तक जीवित बचते हैं तो वह सम-इनश्योर्ड आपको मिलता है। उदाहरण के तौर पर यदि आपने 20 लाख सम-इनश्योर्ड का जीवन बीमा करवाया है और पॉलिसी टर्म पूरा होने से पहले ही आपकी मौत हो जाती है तो इन्शुरन्स कंपनी आपके नॉमिनी को यह 20 लाख रुपये की राशि देगी। बीमित व्यक्ति की मौत के साथ ही प्रीमियम देना भी बंद हो जाता है। यदि आप पॉलिसी टर्म पूरा होने के बाद भी जीवित रहते हैं तो बोनस और अन्य फायदों के साथ सम-इनश्योर्ड की पूरी राशि आपको लौटा दी जाती है।

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हेल्थ इन्शुरन्स - Health Insurance in Hindi

हेल्थ इन्शुरन्स सिर्फ और सिर्फ आपके स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करता है। इसमें पॉलिसी टर्म के अंत में या पॉलिसी धारक की मृत्यु पर कोई राशि नहीं लौटाई जाती है। इसके तहत आपके बीमार पड़ने पर या एक्सीडेंट आदि में अस्पताल में होने वाले खर्चों को बीमा कंपनी वहन करती है। यही नहीं प्री ऑर पोस्ट हॉस्पिटलाइजेशन को भी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियां कवर करती हैं। इसमें आप चाहें तो कंपनी के नेटवर्क अस्पतालों में कैशलेस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं या नॉन नेटवर्क अस्पताल में इलाज कराने पर बाद में बीमा क्लेम कर सकते हैं। myUpchar बीमा प्लस एक ऐसी हेल्थ पॉलिसी है, जिसके तहत आप कम से कम प्रीमियम चुकाकर अपने लिए बेहतर सुविधाओं वाला इन्शुरन्स लेते हैं। 

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या कवर नहीं होता है)

भले ही आप हेल्थ इन्शुरन्स प्लान ले रहे हों या लाइफ इन्शुरन्स प्लान, दोनों में ही कम उम्र में प्रीमियम कम होता है। यानी आप जितनी जल्दी इन्शुरन्स लेने का फैसला लेंगे उतना ही कम प्रीमियम आपको चुकाना होगा। यहां आपको बता दें कि लाइफ इन्शुरन्स के मामले में एक बार जो प्रीमियम तय हो जाता है, वही प्रीमियम आपको पूरे पॉलिसी टर्म में चुकाना होता है। जबकि हेल्थ इन्शुरन्स के मामले में प्रीमियम में सालाना तौर पर मामूली बढ़ोतरी देखने को मिलती है। यही नहीं, 40, 45, 50, 55 और 60 की उम्र पर प्रीमियम में बड़ी बढ़ोतरी भी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, माना जाता है कि वैसे-वैसे आपके बीमार पड़ने, चोट लगने की आशंका भी बढ़ती जाती है।

एक ओर जहां आप किसी मासूम बच्चे के लिए भी लाइफ इन्शुरन्स प्लान खरीद सकते हैं, वहीं हेल्थ इन्शुरन्स के लिए आपकी उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। कम उम्र के बच्चों को फैमिली हेल्थ प्लान में शामिल किया जाता है, यानी उन्हें व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा नहीं दिया जाता है। आमतौर पर 50-55 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को लाइफ इन्शुरन्स प्लान नहीं दिया जाता, जबकि 60 साल के बाद भी बुजुर्गों के लिए अतिरिक्त प्रीमियम पर हेल्थ इन्शुरन्स आसानी से मिल जाता है। myUpchar बीमा प्लस इन्शुरन्स आपको 10 साल से 99 साल की उम्र तक कवरेज देता है, जबकि इसके लिए प्रीमियम किसी भी अग्रणी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी के प्लान से कई गुना कम लिया जाता है। 

यदि आप हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी लेना चाहते हैं तो आपके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इन्शुरन्स कंपनी हेल्थ चेकअप करने या नहीं करने का फैसला करती है। अधिक उम्र या बहुत कम उम्र में हेल्थ इन्शुरन्स लेने पर कंपनी हेल्थ चेकअप करवा सकती है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि आपका हेल्थ चेकअप हो ही, कई बार कंपनी बिना चेकअप के भी आपको हेल्थ इन्शुरन्स प्लान दे देती हैं।

दूसरी तरफ बात लाइफ इन्शुरन्स की करें तो आमतौर पर इसमें हेल्थ चेकअप नहीं किया जाता है। हालांकि, कुछ स्वास्थ्य स्थितियों की जानकारी होने पर कंपनी आपको लाइफ इन्शुरन्स देने से इनकार कर सकती है। कुछ मामलों में अतिरिक्त प्रीमियम लेकर कंपनी लाइफ इन्शुरन्स प्लान दे सकती है।

(और पढ़ें - हेल्थ इन्शुरन्स में क्या-क्या कवर होता है)

हेल्थ इन्शुरन्स में जहां बीमित व्यक्ति के बीमार पड़ने पर कंपनी अस्पताल में भर्ती होने, दवा, टेस्ट और अन्य स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरतों को पूरा करती है। वहीं लाइफ इन्शुरन्स में बीमित व्यक्ति की मृत्यु होने पर परिवार या नॉमिनी को सम-इनश्योर्ड की राशि देकर मदद पहुंचायी जाती है।

एक उदाहरण से समझें - रोहित अपने परिवार में इकलौत व्यक्ति है जो घर की सभी जरूरतों को पूरा करता है। रोहित के बीमार पड़ने पर उसकी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी उसके इलाज का खर्च उठाती है। यदि इस दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है तो हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी अस्पताल का बिल चुकाएगी, लेकिन परिवार को कोई अतिरिक्त मदद नहीं दी जाएगी। रोहित ने लाइफ इन्शुरन्स भी करवाया था तो अब लाइफ इन्शुरन्स कंपनी रोहित द्वारा ली गई सम-इनश्योर्ड की राशि उसके परिवार या नॉमिनी को देगी। यदि वह बीमारी से बच जाता है तो लाइफ इन्शुरन्स कंपनी की तरफ से उसे या उसके परिवार को कोई मदद नहीं दी जाएगी।

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आप अपने रिटायरमेंट के लिए प्लान कर रहे हैं तो आपको एक ऐसी लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी लेनी चाहिए, जो आपके रिटायर होने पर आपको नियमित तौर पर पेंशन दें। यह सुविधा लाइफ इन्शुरन्स में तो है, लेकिन आप बुढ़ापे के लिए पहले से ही कोई हेल्थ पॉलिसी नहीं खरीद सकते। यदि आप कोई हेल्थ इन्शुरन्स पॉलिसी चला रहे हैं तो आपको रिटायरमेंट के बाद भी उसका प्रीमियम चुकाना होगा, अन्यथा वह पॉलिसी लैप्स हो जाएगी। एक बार यदि आपने कम उम्र में रिटायरमेंट पॉलिसी ले ली है तो रिटायर होने के बाद आपको किसी पर निर्भर नहीं रहना होगा। लेकिन हेल्थ पॉलिसी के लिए आपको हर साल प्रीमियम चुकाना होगा, ताकि आपका बुढ़ापा आसानी से कटे और हेल्थ इमरजेंसी में आपको अच्छी स्वास्थ्य देखभाल भी मिल सके।

(और पढ़ें - राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना क्या है)

हेल्थ इन्शुरन्स को आपके स्वास्थ्य के प्रति आपका निवेश कहा जाता है। हालांकि, यह कोई वास्तविक निवेश नहीं है। आपके बीमार पड़ने की स्थिति में ही यह पॉलिसी सम-इनश्योर्ड तक आपके हॉस्पिटल बिल का भुगतान कर सकती है। यदि आप बीमार नहीं पड़ते हैं तो आपको रिटर्न में कुछ नहीं मिलता। दूसरी तरफ लाइफ इन्शुरन्स एक तरह का निवेश भी है। यदि पॉलिसी टर्म के दौरान बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके नॉमिनी को सम-इनश्योर्ड मिल जाता है। जबकि बीमित व्यक्ति के पूरे पॉलिसी टर्म तक यानी पॉलिसी मिच्योर होने तक जीवित बचने पर उसे बीमाधन का लाभ मिलता है। इस बीमाधन में आपके चुकाए गए प्रीमियम पर आपको 4 से 12 फीसद तक का ब्याज और बोनस आदि मिलते हैं। यदि आपकी लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी मार्केट लिंक्ड यानी यू-लिप है तो आप शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव का भी फायदा उठा सकते हैं।

जीवन बीमा योजना के लिए आप जो प्रीमियम भरते हैं वो सुनिश्चित करता है कि आप अपनी आय की कुछ राशि बचा रहे हैं। पॉलिसी लेने के बाद आप यह रकम भले मजबूरी में जमा करें, लेकिन कहीं न कहीं इससे आपमें बचत करने की आदत विकसित होती है। यह जमा राशि आगे चलकर जब एकमुश्त राशि (मिच्योर होने पर) के रूप में आपको मिलेगी तो आपके कई कार्य आसानी से हो जाएंगे। दूसरी तरफ हेल्थ इन्शुरन्स में आप जो पैसा प्रीमियम के तौर पर चुकाते हैं वह बीमार होने या कोई एक्सीडेंट होने पर आपके काम आता है और आपको अस्पताल में आसानी से उचित इलाज मिल जाता है। यदि अस्पताल का बिल आपके सम-इनश्योर्ड राशि के अंदर ही आता है तो आपकी बीमारी का आपकी बचत पर भी कोई असर नहीं पड़ता और वह और भी बुरे वक्त के लिए बची रहती है।

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लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी से टैक्स में बचत की जा सकती है। टैक्स देने का मतलब है कि आप वैध तरीके से अपनी आय के बारे में सरकार से जानकारी साझा कर रहे हैं। प्रत्येक इंसान, चाहे वह वेतन पाने वाला व्यक्ति हो या व्यवसाय करने वाला व्यक्ति, सालाना रूप से कर का भुगतान (यदि भारत के आयकर विभाग द्वारा तैयार किए गए टैक्स स्लैब के अंतर्गत आता है) करने के लिए उत्तरदायी होता है। चूंकि टैक्स सभी के लिए एक बोझ की तरह है, इसलिए 1.5 लाख तक के प्रीमियम को 'टैक्स डिडक्शन' (धारा 80 सी के तहत) से छूट दी गई है, यानी इस रकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह टैक्स-फ्री निवेश के लिए एक अच्छा तरीका है।

हेल्थ इन्शुरन्स प्रीमियम इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80डी के तहत टैक्स बेनिफिट देता है। वैसे कटौती की सीमा उम्र के साथ बदलती रहती है, लेकिन इस सेक्शन (80डी) के तहत 5.20, 20.8 और 31.2 प्रतिशत के तहत 25,000 रुपये तक की छूट मिल सकती है। इसके अलावा यदि आपने अपने ऊपर डिपेंडेंट माता-पिता के लिए भी हेल्थ पॉलिसी ली है तो आपको टैक्स में अतिरिक्त लाभ मिलता है। 

मौजूदा हालात को देखते हुए अचानक मेडिकल इमर्जेंसी का सामना करना बेहद आम है। भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपनी हेल्थ को नजरअंदाज करते हैं, जिसके चलते खतरनाक बीमारियां होने का जोखिम बना रहता है। मेडिकल इमर्जेंसी जैसी स्थिति पैदा होने पर अस्पताल के भारी बिल झेलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। ऐसे में आपकी बचत चुटकियों में खत्म हो सकती है। इसलिए, आज के दौर में हेल्थ इन्शुरन्स बेहद जरूरी है। आप चाहें तो व्यक्तिगत हेल्थ इन्शुरन्स ले सकते हैं और पूरे परिवार के लिए फैमिली हेल्थ इन्शुरन्स या फैमिली फ्लोटर के बारे में भी विचार कर सकते हैं।

लाइफ इन्शुरन्स में जीवन को कवर किया जाता है, स्वास्थ्य को नहीं। यदि आपके पास लाइफ इन्शुरन्स है, लेकिन हेल्थ इन्शुरन्स नहीं लिया है तो हेल्थ इमरजेंसी में आपको अपनी बचत से अस्पताल का बिल चुकाना होगा। यह भी हो सकता है कि आपको अपनी लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी को सरेंडर करके अस्पताल का बिल देना पड़े। अत: मेडिकल इमरजेंसी में आपकी लाइफ इन्शुरन्स पॉलिसी आपके काम नहीं आएगी।

मेडिकल बिल्स आसमान छू रहे हैं, जितना अच्छा या महंगा अस्पताल होगा उतनी ही जल्दी आपकी जेब प्रभावित होगी। ऐसे में खुद को व अपने परिवार को मेडिकल इमरजेंसी के हालात में सुरक्षित रखने के लिए आपको हेल्थ इन्शुरन्स जरूर लेना चाहिए। भविष्य में पड़ने वाली पैसे की जरूरतों को पूरा करने के लिए आप लाइफ इन्शुरन्स में भी निवेश कर सकते हैं। हालांकि, आजकल निवेश के इससे बेहतर विकल्प मौजूद हैं, लेकिन लाइफ इन्शुरन्स में आपके अचानक न रहने पर परिवार को एकमुश्त सम-इनश्योर्ड का लाभ मिलता है।

(और पढ़ें - सबसे अच्छा हेल्थ इन्शुरन्स कौन सा है?)

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