चंडीगढ़ में महज ढाई दिन के बच्चे ने एक 21 वर्षीय युवती को नई जिंदगी देकर दुनिया को अलविदा कह दिया। मामला शहर के 'पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च' (पीजीआईएमईआर) का है, जहां 68 घंटे के बच्चे की किडनियां युवती के शरीर में ट्रांसप्लांट की गईं। इस तरह यह बच्चा ऑर्गेन डोनेट कर पीजीआई के इतिहास में सबसे युवा डोनर बन गया। हालांकि पीजीआई ने दावा किया कि यह नवजात भारत में सबसे कम उम्र का अंगदाता हो सकता है।

बच्चे के अंगदान की नौबत क्यों आई?
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, नवजात का मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ था। इसी कारण उसे इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया था। डॉक्टरों की मानें तो दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं होने के कारण वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह सकता था। शायद यही वजह रही कि महज 68.3 घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई। इसके बाद बच्चे के परिजनों ने उसके ऑर्गेन डोनेट करने की इच्छा जताई ताकि किसी और को नई जिंदगी मिल सके। उनकी इच्छा के तहत अस्पताल के डॉक्टरों ने जोखिम लेते हुए नवजात के ऑर्गेन ट्रांसप्लांट सर्जरी को सफल बनाया। यह पहली बार नहीं है जब किसी छोटे बच्चे के अंग किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किए गए हैं। रिपोर्टें बताती हैं कि इससे पहले पीजीआई चंडीगढ़ में ही 11 महीने के बच्चे के ऑर्गेन ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं।

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बच्चे के अंग वयस्कों में ट्रांसप्लांट करने की संभावना कितनी?
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक, 24 महीने (2 साल) से कम उम्र के बच्चे की किडनी किसी वयस्क व्यक्ति में प्रत्यारोपित करने से उसकी सफलता दर थोड़ी कम होती है। मतलब जिस व्यक्ति को छोटे बच्चे का ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया गया है उसे बाद में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। डॉक्टर का कहना है कि इसके कई कारण हो सकते हैं।

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इसमें पहला कारण यह है कि बच्चे के डोनेट किए गए अंग का आकार छोटा होगा। ऐसे में ज्यादातर मामलों (90 प्रतिशत केस) में देखा गया है कि किसी वयस्क व्यक्ति को दी गई छोटे बच्चे किडनी दो महीने से ज्यादा वक्त तक काम नहीं करती है। उसे किडनी संबंधी परेशानी फिर से आने लगती है। हालांकि, 10 प्रतिशत मामलों में पाया गया है कि ट्रांसप्लांट सफल होने के एक साल के अंदर किडनी वयस्क व्यक्ति के शरीर के हिसाब से आकार बदल लेती है। इसके अलावा, अगर दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चे की किडनी किसी वयस्क को लगाई जाती है तो उसकी सफलता दर ज्यादा होती है।

किडनी के अलावा छोटे बच्चे का कौन सा ऑर्गन बड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है?
इस सवाल पर डॉक्टर जैसमीन कौर ने बताया कि किडनी के अलावा छोटे बच्चे का लीवर, फेफड़ा और हृदय भी वयस्क को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। डॉक्टर का कहना है कि इन सभी ऑर्गन की सफलता दर होती है, लेकिन यह सफलता अलग-अलग अनुभवों पर निर्भर करती है। मतलब जिस व्यक्ति को बच्चे का अंग प्रत्यारोपित किया गया है उसका शरीर ऑर्गन को स्वीकार करने की कितनी क्षमता रखता है, यह सबसे अहम है। कई बार ट्रांसप्लांट के बाद लंबे समय तक ट्रीटमेंट चलता है। इस दौरान व्यक्ति को कई दवाएं दी जाती हैं। इसके साथ ही थेरेपी भी दी जाती है। छोटे बच्चे के ऑर्गन को वयस्क के शरीर में ट्रांसप्लांट करने की सक्सेस रेट सर्जरी की सफलता पर भी निर्भर करती है। अगर सर्जरी सफल रहे तो व्यक्ति को दिक्कत आने की कम संभावना होती है।

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छोटे बच्चे के ऑर्गन बड़े व्यक्ति में ट्रांसप्लांट करना कितना मुश्किल है?
डॉक्टर जैसमीन कहती हैं कि चूंकि बच्चे का अंग काफी छोटा होता है, इसलिए ऑपरेशन में मुश्किल होना लाजमी है। ऐसे में सर्जरी के दौरान कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे- सर्जरी के वक्त माइक्रोस्कोप (सूक्ष्मदर्शी) की मदद ली जाती है ताकि ट्रांसप्लांट को बारीकी के साथ और सफलतापूर्वक अंजाम दिया जा सके।

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