दुनियाभर में नए कोरोना वायरस के बढ़ते कहर के बीच देश में दवाइयों के भंडारण को लेकर एहतियात बरती जा रही है। खबर है कि देश में दवाओं के दाम नियंत्रित करने वाली एजेंसी दवा मूल्य नियंत्रक एजेंसी राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 58 प्रमुख एपीआई (वे ड्रग या सामग्री जिनसे दवाएं बनाई जाती हैं) के स्टॉक का ब्यौरा मांगा है। साथ ही इन दवाओं की मौजूदा कीमत की भी जानकारी मांगी है। एनपीपीए की ओर से जारी ज्ञापन के मुताबिक, फार्मा कंपनियों को मौजूदा स्टॉक के अलावा नवंबर 2019 और फरवरी 2020 तक की औसत बिक्री मूल्य की जानकारी देनी होगी। साथ ही, साल 2018-2019 और जनवरी 2019-2020 तक खरीदी गई दवाओं की मात्रा का ब्योरा भी देना होगा।

दरअसल, चीन से फैले कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर में दवाओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। हालांकि भारत में अभी तक ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई है। खबरों के मुताबिक, भारत सरकार का मकसद सिर्फ यह पता करना है कि वायरस फैलने के बाद किन दवाओं का स्टॉक खत्म होने की आशंका सबसे ज्यादा है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि नए कोरोना वायरस (सीओवीआईडी-19) की वजह से भारत में चीन से होने वाली दवाओं की आपूर्ति प्रभावित तो नहीं हो रही है। इसीलिए  एनपीपीए ने दवा निर्माताओं और उद्योग समूहों को चीन से आयात होने वाली 58 महत्वपूर्ण एपीआई (एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स) के मूल्य निर्धारण, उत्पादन विवरण और प्रमुख शुरुआती सामग्री (केएसएम) की जानकारी सूची के रूप में देने के लिए कहा है।

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एपीआई क्या है?
किसी भी उत्पाद को बनाने के लिए कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। इन चीजों को आम बोलचाल में सामग्री या कच्चा माल कहा जाता है। दवा उत्पान के क्षेत्र में ऐसी सामग्री या कच्चे माल को एपीआई कहा जाता है। इनका इस्तेमाल एंटीबायोटिक्स, विटामिन और बाकी जरूरी दवाओं की निर्माण सामग्री के रूप में किया जाता है। भारत में इन दवाओं की करीब 70 प्रतिशत आपूर्ति चीन से की जाती है। कोरोना वायरस के फैलने के बाद इन दवाओं की आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका पैदा हो गई है। इसके चलते हाल में कुछ दवाओं के दामों में बढ़ोतरी भी देखने को मिली थी।

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देश में बचा कुछ हफ्तों का दवा स्टॉक
देश में इस समय दवाओं का स्टॉक कितना है, इस बारे में विशेषज्ञ अलग-अलग जानकारी दे रहे हैं। कुछ का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते भारत में दवा की कमी की आशंका फिलहाल बिल्कुल नहीं है। हेल्थ सेक्टर से जुड़े विशेषज्ञों की मानें तो सरकार ने दवाओं से जुड़ा खाका तैयार किया। आंकड़ों से पता चलता है कि देश में अभी कम से कम तीन हफ्तों तक एपीआई दवाओं कमी महसूस नहीं होगी, लेकिन तीन हफ्ते बाद फार्मा उद्योग को दवाओं की खेप की आवश्यकता होगी और इसके लिए अभी से व्यवस्था की जाएगी तो ही हालात नियंत्रित रह सकते हैं। यही वजह है कि सरकार दवाओं की आपूर्ति को लेकर लगातार कदम उठा रही है।

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