शरीर में ऊर्जा की कमी और कमजोरी की वजह से सुस्ती होती है। मनुष्यों की तरह यह कुत्तों में भी हो सकती है। हालांकि, सुस्ती किसी तरह की बीमारी का संकेत भी हो सकता है।

सुस्ती को तीन भागों में बांटा जा सकता है :

  • हल्का : इसमें कुत्ता पहले की तरह फुर्तीला या चंचल नहीं होता है, लेकिन वह दिनभर के सारे काम करता है।
  • मध्यम : इस अवस्था में कुत्ता खेलने में रुचि नहीं दिखाता और सामान्य से ज्यादा देर तक सोता या आराम कर सकता है।
  • अत्यधिक : इस अवस्था में कुत्ता चलने-फिरने में आलस करता है। यहां तक कि वह अपने सिर को उठाकर बैठना भी पसंद नहीं करता है।
  1. कुत्तों में सुस्ती के लक्षण - Signs of lethargy in dogs in hindi
  2. कुत्ते अचानक क्यों थक जाते हैं? - Why is my dog tired all of a sudden in hindi?
  3. अगर कुत्ता सुस्त है तो क्या करें? - What to do if your dog is lethargic in hindi?

अगर आपका कुत्ता सुस्त है, तो उसमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :

  • भूख कम लगना : भोजन न करना और अपने पसंदीदा खाद्य पदार्थों में भी दिलचस्पी न दिखाना।
  • एक्सरसाइज इनटॉलेरेंस : थोड़ी-सी शारीरिक गतिविधि करने के बाद खांसी आ जाना, हांफना या सांस लेने में दिक्कत होना।
  • उत्साह और ऊर्जा में कमी : अपने पसंदीदा खिलौने के साथ न खेलना।
  • अधिक सोना : सामान्य से अधिक समय तक सोना।
  • डिहाइड्रेटेड : शरीर में पानी की कमी होना और पानी पीने से मना करना।
  • उलझन : उदासीन हो जाना या किसी तरह का भाव न दिखना।
  • वोबलिने : उठते या चलते समय एनर्जी की कमी के कारण लड़खड़ाना।

(और पढ़ें - कुत्ते का स्वास्थ्य और देखभाल)

कुत्तों में सुस्ती कई तरह की बीमारियों का संकेत हो सकता है, जिसमें संक्रमण, कुपोषण, चयापचय संबंधी रोग, दवा, ट्यूमर, एनीमिया, पॉइजनिंग, चोट या बुढ़ापा शामिल हैं।

कुत्तों में सुस्ती होने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं :

  • पर्वोवायरस : कैनाइन पर्वोवायरस एक जानलेवा बीमारी है, जिनमें कुत्ते में दस्त के साथ खून आना, भूख न लगना और सुस्ती जैसे लक्षण नजर आते हैं।
  • कैनाइन डिस्टेंपर : कुत्तों में पैरामाइक्सोवायरस के कारण कैनाइन डिस्टेंपर या डिस्टेंपर जैसी समस्या हो सकती है, जो कुत्तों के श्वसन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठतांत्र) और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं, इससे उनमें लगातार बुखार, दस्त और अत्यधिक सुस्ती जैसी समस्या बनी रहती है।
  • केनल खांसी : कुत्तों में श्वसन प्रणाली में होने वाले संक्रमण से केनल खांसी होती है, यह किसी बैक्टीरिया या वायरस के कारण हो सकती है। इसके मुख्य लक्षणों में लगातार सूखी खांसी, गले में घुटन महसूस होना और नाक बहना शामिल हैं।
  • हार्टवॉर्म रोग : हार्टवॉर्म रोग एक गंभीर और घातक बीमारी है, जो कि "ड्यूरोफिलेरिया इमिटिस" नामक परजीवी के कारण होती है। इन परजीवियों के कारण फेफड़ों की गंभीर बीमारी, हार्ट फेलियर व शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंच सकता है।

(आगे पढ़ें - कुत्तों का दम घुटने के कारण)

मेटाबॉलिक बीमारियां जिनकी वजह से कुत्तों में सुस्ती आती है :

  • हृदय रोग : अत्यधिक थकान और सुस्ती कुत्तों में 'कंजेस्टिव हार्ट फेलियर' का संकेत हो सकता है।कंजेस्टिव हार्ट फेलियर लंबे समय तक प्रभावित करने वाली स्थिति है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों की पंप करने की क्षमता कमजोर हो जाती है।
  • लिवर रोग : अगर कुत्ते को लिवर रोग है, तो उसकी त्वचा का रंग पीला होने के अलावा उसमें दस्त, उल्टी, अत्यधिक सुस्ती, वजन कम होना, प्यास लगना और बार-बार पेशाब आने जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।
  • डायबिटीज : अगर कुत्ते को डायबिटीज है, तो उसमें अत्यधिक प्यास लगना, पेशाब जाना, भूक लगना और लगातार सुस्त रहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
  • हाइपोथायरायडिज्म : कुत्तों का सुस्त होना हाइपोथायरायडिज्म (शरीर में थायरायड हार्मोन के स्तर में कमी) के मुख्य लक्षणों में से एक है।
  • कुत्तों को पिस्सू और टिक्स के लिए देने वाली कुछ दवाइयां सुस्ती का कारण बन सकती हैं।
  • मनुष्यों पर इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयां जैसे आइबूप्रोफेन और कुछ खाद्य पदार्थ जैसे प्याज व लहसुन कुत्तों के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकते हैं। इनकी वजह से उन्हें सुस्ती और बेहोशी आ सकती है।
  • असामान्य रूप से अधिक खाना खाने से पेट फूल सकता है, जिसकी वजह से कुत्तों को दौड़ने या चलने में दिक्कत होती है और वह सुस्त हो जाते हैं।

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लक्षणों के दिखने के बाद तुरंत अपने कुत्ते को पशुचिकित्सक के पास ले जाना चाहिए। सुस्ती का इलाज उसके कारणों पर निर्भर करता है।

  • दुर्भाग्यवश, कुत्तों में डिस्टेंपर और पर्वोवायरस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन अच्छी देखभाल के जरिए लक्षणों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
  • हार्टवर्म (परजीवी) को एंटीबायोटिक्स और नसों में आईवी (नसों के जरिए चढ़ाए जाने वाले तरल जैसे पानी या ग्लूकोज) की मदद से हटाया जा सकता है, लेकिन कभी-कभी इन परजीवियों को हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

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  • केनल खांसी को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक्स, खांसी की दवा और श्वसन प्रक्रिया को ठीक करने के लिए दी जाने वाली दवाएं उपयोगी साबित हो सकती हैं।
  • हृदय रोग और लिवर रोग में कुत्ते की जान बचाने के लिए तुरंत उपचार शुरू कर देना चाहिए।
  • कुत्तों में डायबिटीज को कंट्रोल में रखने के लिए इन्सुलिन थेरेपी, उनके आहार में उचित बदलाव, एक्सरसाइज और नियमित रूप से उन पर निगरानी रखने की जरूरत होती है।
  • कुत्ते को किसी भी तरह की नई दवा देने से पहले उसके लेबल पर लिखे सारे कंटेंट को अच्छे से पढ़ें और या अपने पशुचिकित्सक से इस बारे में पता करें कि यह कुत्ते के लिए सुरक्षित है या नहीं।
  • कुत्ते को अधिक न खिलाएं, क्योंकि जिन कुत्तों को जरूरत से ज्यादा खिलाया जाता है वे मोटापे का शिकार हो जाते हैं, जिस कारण उन्हें सुस्ती व अन्य बीमारियों का जोखिम रहता है।
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