कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट क्या है?

सी3 टेस्ट किसी व्यक्ति के ब्लड सैंपल में सी3 प्रोटीन की जांच करता है। सी3 प्रोटीन पूरक प्रणाली (कॉम्प्लिमेंट सिस्टम) में इम्यून प्रोटीन के एक भाग के रूप में कार्य करता है।

पूरक प्रणाली लगभग 30 प्रोटीन का एक समूह होती है, जो कि या तो रक्त में मौजूद होते हैं या स्वस्थ कोशिकाओं की सतह पर चिपके हुए होते हैं। ये प्रोटीन शरीर को संक्रमण से बचाते हैं और रक्त से कुछ विशेष पदार्थों (जैसे क्षतिग्रस्त व मृत कोशिकाएं) को निकालते हैं। ये काम्प्लेक्स इम्यून की प्रतिक्रिया को नियंत्रित रखता है और यह होस्ट टिशू (जिस ऊतक में ये मौजूद होते हैं) में होने वाली क्षति को कम करने में मदद करता है। यह क्षति आमतौर पर संक्रमण को खत्म करने की प्रक्रिया के दौरान होती है। हालांकि ये प्रोटीन रक्त में हर समय सर्कुलेट होते हैं, लेकिन ये केवल आवश्यकता पड़ने पर ही सक्रिय होते हैं। 

सी3 प्रोटीन एक बहुत जरूरी कॉम्पलिमेंट प्रोटीन होता है, शरीर में काफी अधिक मात्रा में मौजूद होता है। रक्त में मौजूद कॉम्प्लीमेंट सिस्टम के अन्य प्रोटीन से साथ इस प्रोटीन के स्तर की तुलना करके डॉक्टर कुछ विशेष रोगों के बारे में पता लगा लेते हैं। इस टेस्ट के साथ सी4 टेस्ट या कॉम्पलिमेंट पैनल टेस्ट आमतौर पर विभिन्न स्थितियों में अंतर करने के लिए किया जाता है। 

सी3 प्रोटीन के स्तर में आए बदलावों की जांच से स्व-प्रतिरक्षित रोगों और कॉम्पलिमेंट की कमी के विकारों का पता लगाने में मदद मिलती है। कुछ बीमारियां सी4 की कमी से जुड़ी होती हैं, वहीं कुछ बीमारियां सी3 और सी4 दोनों की कमी से जुड़ी होती हैं। इन बीमारियों के लक्षण एक जैसे हो सकते हैं। आपको बिलकुल सही ट्रीटमेंट मिले इसके लिए डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट भी करने के लिए कह सकते हैं।

  1. कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट क्यों किया जाता है - Complement 3 (C3) Test Kyu Kiya jata Hai
  2. कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट से पहले - Complement 3 (C3) Test Se Pahle
  3. कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट के दौरान - Complement 3 (C3) Test Ke Dauran
  4. कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Complement 3 (C3) Test Result and Normal Range

कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट किसलिए किया जाता है?

जब कनेक्टिव टिशू या, किडनी और जोड़ों से संबंधित कोई लक्षण दिखाई दे, तो डॉक्टर आपसे सी3 टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं:

यदि कोई संक्रमण बार-बार दिखाई दे रहा है तो डॉक्टर को इम्यूनडेफिशिएंसी डिसऑर्डर होने का संदेह हो सकता है और वे सी3 टेस्ट करवाने के लिए कह सकते हैं। 

ऑटोइम्यून डिसऑर्डर के कुछ लक्षण निम्न हैं:

सी3 टेस्ट ऑटोइम्यून विकारों के ट्रीटमेंट का प्रभाव और रोग की वृद्धि की जांच करने के लिए भी किया जाता है।

कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट के लिए किसी तैयारी की जरूरत नहीं होती। यदि आप कोई भी दवा, विटामिन और हर्बल सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बता दें।

चूंकि इस सैंपल में मौजूद लिपिड और हीमोग्लोबिन का उच्च स्तर इस टेस्ट के उच्च स्तर परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए यदि इनसे जुड़ी किसी भी समस्या से आप ग्रस्त हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें। 

कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए बहुत ही सामान्य प्रक्रिया अपनाई जाती है। एक सुई की मदद से बांह की नस से ब्लड सैंपल ले लिए जाते हैं। बांह में सुई लगने से आपको हल्का सा दर्द हो सकता है। हालांकि ये जल्द ही ठीक हो जाता है। टेक्नीशियन ब्लड सैंपल को एक कंटेनर में डालकर और इस पर लेबल लगाकर इसे आगे के परीक्षण के लिए लैब भेज देते हैं।

कुछ लोगों को टेस्ट के बाद सुई लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है हालांकि ये खुद ही ठीक हो जाएगा। यदि कुछ दिनों में नील ठीक नहीं हो पाता तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

कॉम्प्लीमेंट3 (सी3) टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज

सामान्य परिणाम:
सी3 टेस्ट के नॉर्मल रेंज 0.68 और 1.80 g/L (ग्राम प्रति लीटर) के बीच में होते हैं। ये वैल्यू इस बात का संकेत हो सकती है कि आपको जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं वे सी3 के स्तर में बदलाव के कारण नहीं हैं।

यह जान लेना जरूरी है, कि टेस्ट के सामान्य परिणाम हर लैब के अनुसार अलग हो सकते हैं। ये वैल्यू व्यक्ति की उम्र, लिंग और व्यक्ति के पिछले स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।

असामान्य परिणाम:
यदि परिणाम में आई वैल्यू सामान्य रेंज से अलग है, तो ऐसा किसी मेडिकल स्थिति के कारण हो सकता है। इसकी दो संभावित स्थितियां हो सकती हैं, कि इसकी वैल्यू सामान्य से या तो अधिक होगी या कम। दोनों ही वैल्यू किसी न किसी विकार से जुड़ी हुई होती है। 

सी3 प्रोटीन के स्तर निम्न स्थितियों में कम होते हैं:

  • सक्रिय लुपस 
  • अनुवांशिक सी3 की कमी (परिवार में पहले भी किसी  को यह समस्या होना)
  • अक्वायर्ड सी3 डेफिशियेंसी (संक्रमण के कारण विकसित होना)
  • अल्कोहोलिक लिवर डिजीज, (यह इतना सामान्य नहीं होता है)
  • बार-बार होने वाला बैक्टीरियल इन्फेक्शन 
  • कुछ विशेष प्रकार के किडनी विकार 

सी3 के सामान्य से अधिक स्तर किसी चोट या संक्रमण के कारण हो सकते हैं।

सी3 के स्तर में आई कमी को वापस सामान्य स्तर पर लाने के लिए डॉक्टर कुछ ट्रीटमेंट की सलाह दे सकते हैं। लगातार किए जा रहे अन्य टेस्ट और सी 3 टेस्ट के परिणामों के आधार पर डॉक्टर इस टेस्ट को फिर से कर सकते हैं।

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