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पुरुषों का प्रजनन स्वास्थ्य कई छोटे-बड़े कारणों से प्रभावित हो सकता है. ऐसा ही एक कारक है, जिसने हाल-फिलहाल के वर्षों में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. इस नई चुनौती का नाम है हाइपरस्पर्मिया. हालांकि, यह कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. इजेकुलेशन के समय जरूर से ज्यादा वीर्य निकलना और उसका ज्यादा गाढ़ा होना आदि इसके लक्षण होते हैं. वहीं,  खराब लाइफस्टाइल, कुछ बीमारियां व दवाइयां इस समस्या का कारण हो सकती हैं.

आज इस आर्टिकल में हम हाइपरस्पर्मिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं -

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  1. हाइपरस्पर्मिया क्या है?
  2. हाइपरस्पर्मिया का प्रजनन क्षमता पर असर
  3. हाइपरस्पर्मिया के लक्षण
  4. हाइपरस्पर्मिया के कारण
  5. हाइपरस्पर्मिया का इलाज
  6. सारांश
यौन रोग के डॉक्टर

हाइपरस्पर्मिया, ग्रीक शब्द "हाइपर" (जिसका अर्थ है अत्यधिक) और "स्पर्म" (जिसका अर्थ है बीज शुक्राणु) से लिया गया है. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें व्यक्ति ज्यादा मात्रा में वीर्य का उत्पादन करता है. हालांकि, वीर्य स्खलन की मात्रा प्रत्येक पुरुष में अलग होती है, लेकिन अगर कोई पुरुष 6.3 मिलीलीटर से अधिक वीर्य एक बार त्याग करता है, तो यह हाइपरस्पर्मिया का मामला हो सकता है. भारत में हुई एक स्टडी के अनुसार, 4% पुरुष हाइपरस्पर्मिया का शिकार होते हैं.

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हाइपरस्पर्मिया किसी पुरुष की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है. कुछ पुरुष जिनके वीर्य की मात्रा बहुत अधिक होती है, उनके तरल पदार्थ में सामान्य से कम शुक्राणु हो सकते हैं, क्योंकि हाइपरस्पर्मिया से द्रव अधिक पतला हो सकता है.

कम शुक्राणु संख्या होने से यह संभावना कम हो जाती है कि आप अपनी पार्टनर को गर्भवती कर सकें. हालांकि, आप अभी भी अपने पार्टनर को गर्भवती कर सकते हैं, लेकिन इसमें सामान्य से अधिक समय लग सकता है. वहीं, अगर वीर्य की मात्रा अधिक है और इसमें शुक्राणुओं की संख्या सामान्य है, तो हाइपरस्पर्मिया होने पर भी आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित नहीं होती है.

(और पढ़ें - वीर्य और शुक्राणु में अंतर)

हाइपरस्पर्मिया का सबसे बड़ा लक्षण यही है कि पुरुष स्खलन के दौरान वीर्य की मात्रा में वृद्धि महसूस करने लगते हैं, जो सामान्य से कहीं ज्यादा होती है. इसके कुछ अन्य लक्षण निम्न प्रकार से हो सकते हैं - 

  • गाढ़ा स्खलन - बढ़ी हुई मात्रा के साथ, स्खलन की कंसिस्टेंसी भी सामान्य से अधिक गाढ़ी हो सकती है.
  • असुविधा - हाइपरस्पर्मिया से पीड़ित कुछ व्यक्तियों को अधिक मात्रा में वीर्य निष्कासित होने के कारण स्खलन के दौरान असुविधा या हल्के दर्द का अनुभव हो सकता है.
  • मनोवैज्ञानिक प्रभाव - हाइपरस्पर्मिया कभी-कभी मनोवैज्ञानिक चिंता का कारण बन सकता है, क्योंकि व्यक्ति वीर्य की अधिक मात्रा को लेकर चिंतित या अस्वस्थ महसूस कर सकता है. हाइपरस्पर्मिया से पीड़ित पुरुषों में अधिक सेक्स ड्राइव हो सकती है. यह इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकता है. यह सभी समस्याएं भावनात्मक दबाव पैदा कर सकती हैं.

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हाइपरस्पर्मिया के कारण, व्यक्ति के शरीर और मानसिक स्वास्थय से जुड़े हो सकते हैं. इस समस्या को समझने के लिए लगातार अनुसंधान जारी है और कुछ कारणों की पहचान भी की गई है, जैसे -

प्रोस्टेट इश्यू

प्रोस्टेट ग्रंथि वीर्य के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. किसी भी सूजनसंक्रमण या इंटरनल डैमेज के कारण प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा वीर्य उत्पादन में वृद्धि हो सकती है.

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अंडरलाइंग हेल्थ कंडीशन

कुछ मामलों में हाइपरस्पर्मिया किसी अंडरलाइंग हेल्थ कंडीशन जैसे डायबिटीज या हार्मोनल विकार के कारण भी पैदा हो सकता है. ये समस्याएं इजेकुलेशन के समय वीर्य की मात्रा को प्रभावित कर सकती हैं.

(और पढ़ें - क्या है स्पर्म मॉर्फोलॉजी)

खराब जीवनशैली

फास्ट फूड, व्यायाम की कमी और मादक पदार्थों का उपयोग हार्मोनल संतुलन और प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है. यही कुछ कारण हैं, जो हाइपरस्पर्मिया का जोखिम पैदा  कर सकते हैं.

(और पढ़ें - शुक्राणु की जांच)

दवाएं और सप्लीमेंट्स

कुछ दवाएं या सप्लीमेंट्स हार्मोन के स्तर और शरीर की क्रियाओं को प्रभावित कर सकती हैं, जो वीर्य उत्पादन में बढ़ोत्तरी का एक कारण हो सकता है.

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मनोवैज्ञानिक कारण

तनाव, चिंता और भावनात्मक उलझनें भी यौन स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर सकती हैं. मनोवैज्ञानिक तनाव से हार्मोनल असंतुलन या शारीरिक कार्यों में बदलाव हो सकता है, यह सब हाइपरस्पर्मिया का जोखिम पैदा कर सकता है.

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सेक्स फ्रीक्वेंसी

बहुत कम यौन गतिविधियों में शामिल रहने या कम हस्तमैथुन करने से शरीर में वीर्य का संचय हो सकता है. इसके परिणामस्वरूप, जब भी सेक्स किया जाएगा तब स्खलन की मात्रा अधिक हो सकती है.

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आनुवंशिक कारण

आनुवंशिक कारक कई शारीरिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और हाइपरस्पर्मिया भी उनमें से एक है. कुछ पुरुषों के यह समस्या आनुवंशिक हो सकती है, जिसके कारण वीर्य का उत्पादन अधिक होता है.

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हाइपरस्पर्मिया के अधिकतर मामले गंभीर नहीं होते हैं और उन्हें ठीक करने में बहुत जटिल उपचारों से नहीं गुजरना पड़ता. इस समस्या का समाधान पाने के लिए कुछ सुझाव इस प्रकार हैं -

दवाएं

कुछ मामलों में डॉक्टर वीर्य उत्पादन को नियंत्रित करने के लिए दवाएं लिख सकते हैं. हालांकि, ऐसा तभी होता है जब स्थिति चरम पर हो और व्यक्ति अत्यधिक परेशानी महसूस कर रहा हो.

(और पढ़ें - निल शुक्राणु की आयुर्वेदिक दवा)

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अंडरलाइंग हेल्थ कंडीशन मैनेजमेंट

हाइपरस्पर्मिया कभी-कभी किसी क्रोनिक बीमारी का परिणाम हो सकता है, जैसे प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन, हार्मोनल असंतुलन, या शुगर बढ़ना. इन सभी समस्याओं का इलाज करने से हाइपरस्पर्मिया के लक्षण कम हो सकते हैं.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाना चाहिए)

मनोवैज्ञानिक सहायता

कभी-कभी, हाइपरस्पर्मिया का मनोवैज्ञानिक प्रभाव शारीरिक पहलू से अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है. किसी भी चिंता, शर्मिंदगी या आत्मसम्मान से जुड़े मामलों से निपटने में मनोचिकित्सक आपकी मदद कर सकते हैं.

(और पढ़ें - स्पर्म डोनेशन क्या है)

डॉक्टर से परामर्श

यदि हाइपरस्पर्मिया गंभीर परेशानी पैदा कर रहा है, तो डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए. डॉक्टर आपके पूरे स्वास्थ्य का मूल्यांकन कर सकता है और उसके हिसाब से आपको सही उपचार दे सकता है.

(और पढ़ें - वीर्य की जांच)

आहार में सुधार

समग्र प्रजनन स्वास्थ्य के लिए अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहना आवश्यक है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से वीर्य उत्पादन को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, संतुलित और पौष्टिक आहार लेने से सेक्स लाइफ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

(और पढ़ें - स्पर्म काउंट बढ़ाने की बेहतरीन दवाएं)

जीवनशैली में सुधार

कुछ मामलों में जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से हाइपरस्पर्मिया को ठीक करने में मदद मिल सकती है. इन परिवर्तनों में यौन गतिविधि को कम करना शामिल हो सकता है. हालांकि, संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि लंबे समय तक यौन गतिविधियों से दूर रहने से असुविधा या अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं.

(और पढ़ें - स्पर्म बैंकिंग क्या है?)

हाइपरस्पर्मिया को जीवनशैली में बदलाव लाकर, हार्मोन थेरेपी लेकर और तनाव न लेने से ठीक हो सकता है. आपको सही दिशा में सोचने की जरूरत हो सकती है. ये कुछ ऐसी रणनीतियां हैं, जो आपके सेक्स जीवन को सुखद भी बनाती हैं. अगर आप हाइपरस्पर्मिया के लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, तो चिकित्सीय सलाह लेना, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की दिशा में पहला कदम है.

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