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स्पर्म मॉर्फोलॉजी का मतलब किसी भी व्यक्ति के स्पर्म के आकार से है. यही पुरुषों की फर्टिलिटी में योगदान देने वाला प्रमुख कारक है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी की रेंज यह बताती है कि कितने प्रतिशत स्पर्म आकार में नॉर्मल माने जाते हैं. इसके टेस्ट के लिए माइक्रस्कोप के नीचे स्पर्म के सैंपल की जांच करके स्पर्म के प्रतिशत को कैलकुलेट किया जाता है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी रिजल्ट में यह पता चलता है कि प्रेगनेंसी के लिए स्पर्म कितना हेल्दी है और एग को फर्टिलाइज करने की कितनी क्षमता उसमें है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि स्पर्म मॉर्फोलॉजी क्या है और इसकी रेंज क्या है. साथ ही स्पर्म मॉर्फोलॉजी के टेस्ट, रिजल्ट और इलाज के बारे में भी जानेंगे -

(और पढ़ें - स्पर्म और सीमेन में अंतर)

  1. क्या है स्पर्म मॉर्फोलॉजी?
  2. क्या है स्पर्म मॉर्फोलॉजी की रेंज?
  3. स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट
  4. स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट का रिजल्ट
  5. स्पर्म मॉर्फोलॉजी का इलाज
  6. सारांश
यौन रोग के डॉक्टर

हर व्यक्ति का स्पर्म एक जैसा नहीं दिखता है. यह जानकर आश्चर्य हो शायद, लेकिन सच तो यही है कि हर व्यक्ति के स्पर्म का आकार अलग होता है. यदि स्पर्म में किसी भी तरह की असामान्यता आ जाती है, तो इसे फर्टिलिटी की समस्या से जोड़कर देखा जाता है. मॉर्फोलॉजी का मतलब ही स्पर्म के आकार से है या फिर यह कि जब इसे माइक्रस्कोप के नीचे से देखा जाता है, तो यह कैसा दिखता है. खासतौर से माइक्रस्कोप के नीचे से स्पर्म के सिर और आकार को देखा जाता है. स्पर्म के सिर का आकार जरूरी है, क्योंकि यह एग के बाहरी सतह को घोलने और फर्टिलाइज करने की क्षमता को प्रभावित करता है.  

(और पढ़ें - स्पर्म बनने में कितना समय लगता है)

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स्पर्म मॉर्फोलॉजी के रेंज से यह संकेत मिलता है कि कितने प्रतिशत स्पर्म का आकार सामान्य माना जाता है. ये स्पर्म ही एग को फर्टिलाइज करने में सक्षम होते हैं, इसलिए प्रतिशत से यह पता चलता है कि प्रेगनेंसी के कितने चांसेज हो सकते हैं. स्पर्म की रेंज हर लैब के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि लैब में किस मानदंड के आधार पर स्पर्म का आंकलन किया जा रहा है. शोध के अनुसार, अगर रेंज 14 प्रतिशत से अधिक है, तो इसे सामान्य रेंज माना जाता है. 10 से 14 प्रतिशत के बीच भी फर्टिलिटी के लिहाज से सही माना जाता है. 5 से 10 प्रतिशत के बीच को सामान्य से कम फर्टिलिटी और 5 प्रतिशत से कम को खराब फर्टिलिटी माना जाता है.

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स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट में सीमेन के सैंपल को माइक्रस्कोप के नीचे रखकर चेक किया जाता है. कुल सैंपल में से नॉर्मल फॉर्म के साथ स्पर्म के प्रतिशत को कैलकुलेट किया जाता है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट में लैब टेक्नीशियन सीमेन के एक छोटे से हिस्से को शीशे के स्लाइड पर रखकर इसे सूखने देते हैं. इसके बाद एक डाई से रंगते हैं, जिससे स्पर्म को माइक्रोस्कोप के नीचे देखने में आसानी हो जाती है. नॉर्मल फॉर्म स्पर्म के लिए निम्न बातों का होना जरूरी है -

  • एक स्मूद ओवल आकार का सिर.
  • 2.5 से 3.5 माइक्रोमीटर चौड़ा और 5 से 6 माइक्रोन लंबा सिर.
  • एक एक्रोसोम (acrosome) टिप जो स्पर्म के सिर को 40 से 70 प्रतिशत के बीच कवर करता हो. एक्रोसोम एंजाइम के साथ एक मेम्ब्रेन है, जो एग के मेम्ब्रेन को पेनेट्रेट करने की क्षमता रखता है.
  • स्पर्म के बीच वाले हिस्से (सिर से पूंछ के बीच का) की लंबाई सिर के समान ही होनी चाहिए, बस, पतली जरूर हो.
  • एक अनकॉइल (बिना कुंडली वाला) 45 माइक्रोन लंबी पूंछ, जो स्पर्म के सिर और बीच वाले हिस्से से पतली होनी चाहिए. 
  • सिर या पूंछ के डिफेक्ट से मुक्त होनी चाहिए. 

स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट को इमेज एनलिसिस टेक्नोलॉजी के जरिए भी किया जा सकता है, जैसे कंप्यूटर एडेड स्पर्म मॉर्फोमेट्रिक एसेसमेंट (computer aided sperm morphometric assessment). वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, कंप्यूटर वाले टेस्ट ज्यादा भरोसेमंद हैं. एक टेस्ट करने से सीमेन का विश्लेषण नहीं होता है. इसके लिए तीन या इससे ज्यादा स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट किए जाते हैं, जिसमें सीमन की मॉर्फोलॉजी और मोबिलिटी की जांच की जाती है.

(और पढ़ें - स्पर्म काउंट बढ़ाने की दवाएं)

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यदि किसी सैंपल में असामान्य स्पर्म पाया जाता है और नॉर्मल फॉर्म स्कोर कम रहता है, तो उस स्थिति को टेराटोजूस्पर्मिया (teratozoospermia) कहा जाता है -

  • 14 प्रतिशत से अधिक नॉर्मल फॉर्म को हेल्दी स्पर्म माना जाता है.
  • 10 से 14 प्रतिशत के नॉर्मल फॉर्म को भी फर्टिलिटी के लिहाज से सही माना जाता है.
  • यदि 5 प्रतिशत से कम आया, तो इसे प्रेगनेंसी के लिहाज से सही नहीं माना जाता है.
  • ऐसा माना जाता है कि इस रिजल्ट के बाद प्रेगनेंसी में ज्यादा समय लग सकता है.
  • यदि 0 प्रतिशत नॉर्मल फॉर्म आया, तो इसका मतलब है कि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की जरूरत पड़ सकती है. 

यहां यह जानना जरूरी है कि असामान्य स्पर्म में भी हेल्दी जेनेटिक मटीरियल हो सकते हैं. कई फर्टाइल पुरुषों में ज्यादा प्रतिशत में असामान्य स्पर्म पाए जाते हैं. यदि किसी पुरुष का नॉर्मल फॉर्म 4 प्रतिशत से नीचे है, तो उसे डॉक्टर से बात करनी चाहिए. मेल फर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉक्टर ही असामान्य मॉर्फोलॉजी दर के कारण का पता लगा सकते हैं और स्पर्म की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इलाज बता सकते हैं.

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एक पुरुष का शरीर हमेशा नए स्पर्म का निर्माण करता रहता है. ऐसे में वजन को संतुलित रखकर और एक्सरसाइज की मदद से स्पर्म को हेल्दी बनाने में मदद मिल सकती है. आइए, स्पर्म मॉर्फोलॉजी के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

वजन संतुलित करना

स्पर्म के हेल्दी होने के लिए जरूरी है कि पुरुष का वजन संतुलित रहे. शोध के अनुसार, वजन काे संतुलित करने से सीमन वॉल्यूम और मोबिलिटी दोनों में सुधार आता है. साथ ही स्पर्म की ओवरऑल हेल्थ भी सही रहती है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के घरेलू उपाय)

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नियमित एक्सरसाइज

अगर किसी का वजन सही है, तो भी एक्टिव रहने और हेल्दी लाइफस्टाइल जीने से स्पर्म हेल्दी रहता है. शोध के अनुसार, वेट लिफ्टिंग और आउटडोर एक्सरसाइज से स्पर्म को हेल्दी रहने में मदद मिल सकती है.

(और पढ़ें - शुक्राणु बढ़ाने के लिए क्या खाएं)

शराब व धूम्रपान से दूरी

शराब, धूम्रपान और ड्रग का सेवन करने से स्पर्म की हेल्थ पर नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए, स्पर्म की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए इन सभी से दूरी बनाने की जरूरत है.

(और पढ़ें - भारतीय पुरुषों के स्पर्म काउंट में आ रही कमी)

सप्लीमेंट और विटामिन

विटामिन-सीडी और  स्पर्म की हेल्थ के लिए जरूरी हैं. शोध के अनुसार, रोजाना 1,000 एमजी विटामिन-सी लेने से पुरुषों के स्पर्म का कॉन्सन्ट्रैशन और मोबिलिटी में इजाफा होता है.

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ढीले कॉटन के बॉक्सर पहनना

स्क्रोटम में हवा पास होते रहना जरूरी है, जिससे हेल्दी स्पर्म के बनने में मदद मिलती है. इसलिए, सिंथेटिक की जगह कॉटन फैब्रिक के बने ढीले बॉक्सर पहनना सही है. इससे हवा के फ्लो और तापमान दोनों को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है. 

(और पढ़ें - स्पर्म डोनेशन क्या है)

स्पर्म मॉर्फोलॉजी का मतलब स्पर्म के आकार से है. यह खासतौर पर स्पर्म के सिर और आकार के बारे में है, जिसके लिए माइक्रोस्कोप की मदद ली जाती है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी के रेंज से यह पता चलता है कि कितने प्रतिशत स्पर्म का आकार सामान्य है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी टेस्ट के तहत सीमेन को माइक्रस्कोप के नीचे रखकर देखा जाता है. स्पर्म मॉर्फोलॉजी के टेस्ट रिजल्ट में 10 से 14 प्रतिशत और इससे अधिक के स्पर्म के नॉर्मल फॉर्म को फर्टिलिटी के लिए सही माना जाता है.

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