काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) आंख की एक स्थिति है जो ऑप्टिक तंत्रिका को प्रभावित करती है। यह स्थिति आंख के आगे वाले भाग में तरल पदार्थ के निर्माण के कारण होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऑप्टिक तंत्रिका पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और इसे नुकसान पहुंचता है। ऑप्टिक तंत्रिका पर बढ़ते दबाव के कारण भी ग्लूकोमा हो सकता है। यदि इसे नजरअंदाज कर दिया जाए, तो अंधेपन की समस्या हो सकती है।

ग्लूकोमा के विकास और लक्षणों के आधार पर इसे दो मुख्य प्रकारों में बांटा गया है :

  • ओपन-एंगल ग्लूकोमा : यह ग्लूकोमा का सबसे आम प्रकार है जो समय के साथ विकसित होता है। जब तक कि स्थिति एक्यूट (तेजी से खराब होने वाली) न हो जाए तब तक इसमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है।
  • एंगल क्लोजर ग्लूकोमा : इस तरह का ग्लूकोमा दुर्लभ है और यह ऑप्टिक तंत्रिका पर बढ़ते दबाव के कारण अचानक विकसित होता है। ओपन-एंगल ग्लूकोमा के विपरीत, इसमें मतली के साथ गंभीर रूप से आंख में दर्द, दृष्टि की हानि और दृष्टि दोष जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

दृष्टि को प्रभावित होने या अंधेपन को रोकने के लिए पारंपरिक तरीके के रूप में सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। यह कम समय में हो जाती है, लेकिन इसमें ग्लूकोमा की परेशानी दोबारा से ट्रिगर होने का जोखिम रहता है, जिसके चलते व्यक्ति को जीवनभर दवाएं लेने की आवश्यकता होती है।

होम्योपैथी उपाय जैसे स्पिगेलिया एंथेल्मिया, फास्फोरस और कॉस्टिकम ग्लूकोमा के विकासशील लक्षणों को रोकने में प्रभावी हैं। हालांकि,ज्यादातर मामलों में और या ऐसे मामले जिनमें होम्योपैथी से बहुत धीरे फायदा हो रहा हो उनके लिए होम्योपैथिक चिकित्सक सर्जरी कराने का सुझाव देते हैं।

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  1. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की होम्योपैथिक दवाएं - Glaucoma ki homeopathic medicine
  2. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के लिए आहार और जीवन शैली में बदलाव - homeopathy ke anusar Glaucoma ke liye khanpan aur jeevan shaili me badlav
  3. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) की होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Glaucoma ki homeopathic medicine kitni effective hai
  4. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान और जोखिम - Glaucoma ke liye homeopathic medicine ke nuksan
  5. काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा) के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Glaucoma ke liye homeopathic treatment se jude tips

ग्लूकोमा के लिए होम्योपैथिक दवाओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • ऑरम मेटालिकम
    सामान्य नाम : मेटालिक गोल्ड
    लक्षण : सामान्य लक्षण जिनके लिए ऑरम मेटालिकम निर्धारित की जाती हैं, उनमें शामिल है :

यह लक्षण ठंड के मौसम या ठंडे वातावरण में बिगड़ जाते हैं।

  • ब्रायोनिया अल्बा
    सामान्य नाम : वाइल्ड हॉप्स
    लक्षण : ब्रायोनिया अल्बा अक्सर सांवले रंग वाले लोगों को दिया जाता है। यह उपाय शाम के समय या गर्म, हवादार वातावरण में अच्छा असर करता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करता है :

यह लक्षण सुबह और गर्म मौसम में बदतर हो जाते हैं। ठंडा मौसम या बर्फ की सिकाई से, दर्द वाले हिस्से के बल लेटने और आराम करने से इन लक्षणों से आराम मिलता है।

  • सेड्रोन
    सामान्य नाम : रैटलस्नेक बीन
    लक्षण : सेड्रोन आमतौर पर उस व्यक्ति के लिए निर्धारित किया जाता है जो आसानी से उत्तेजित या घबरा जाते हैं। यह निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है :
    • नेत्रगोलक (आईबॉल) में असहनीय दर्द जो आंख के चारों ओर और नाक के अंदर बढ़ता है
    • आंखों से पानी आना
    • आंखों के ऊपर के हिस्से में दर्द

यह लक्षण गर्म और नम जलवायु में खराब हो जाते हैं।

  • कोकैनम हाइड्रोक्लोरिकम
    सामान्य नाम : अल्केलॉइड फ्रॉम एरिथ्रोक्सिलोन कोका
    लक्षण : सामान्य लक्षण जिसके लिए कोकेनियम हाइड्रोक्लोरिकम निर्धारित की जाती है, उनमें शामिल हैं :
    • कॉर्नियल सेंशेसन में कमी
    • आंखों में दबाव बढ़ जाना
       
  • कोकोसिंथिस
    सामान्य नाम : बिटर ककम्बर
    लक्षण : यह उपाय उन लोगों के लिए निर्धारित किया जाता है, जो आसानी से चिड़चिड़ और गुस्सा करते हैं। यह निम्नलिखित उपाय में भी असरदार है :
    • आंखों में तेज दर्द
    • आंखों में दबाव बढ़ने का एहसास
    • ग्लूकोमा विकसित होने के संकेत
    • धुंधला दिखाई देना
    • आईबॉल में तेज दर्द

यह लक्षण गुस्सा करने पर बढ़ते हैं, जबकि गर्मी के मौसम में, सिर आगे की ओर झुकाकर लेटने और दबाव पड़ने से इनमें सुधार होता है।

  • कोमोक्लैडिया डेंटाटा
    सामान्य नाम : गुआओ
    लक्षण : यह उपाय ज्यादातर आंखों और त्वचा संबंधी स्थितियों के लिए निर्धारित किया जाता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में असरदार है :
    • आंखों का दर्द जो गर्मी से खराब हो जाता है
    • ग्लूकोमा
    • आंखें बड़ी होने का अहसास
    • आंखों में तेज दर्द जो गर्मी से बढ़ जाता है

यह लक्षण गर्मी से बढ़ जाते हैं, जबकि खुली में इनसे राहत मिलती है।

  • क्रोकस सैटिवस
    सामान्य नाम : सैफ्रॉन
    लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों वाले लोगों को दिया जा सकता है :
    • आंखों में ऐसा एहसास होना जैसे जोर-जोर से रो रहे हों
    • ऐसा एहसास होना जैसे आंखें धुएं के संपर्क में आ रही हैं
    • ग्लूकोमा के संकेत
    • आंखों के सामने चमक दिखना

यह लक्षण गर्म वातावरण, सुबह के समय में और नाश्ते से पहले बिगड़ जाते हैं जबकि खुली हवा में रहने पर इनमें सुधार होता है।

  • जेल्सेमियम सेंपरविरेंस
    सामान्य नाम : येलो जैस्मिन
    लक्षण : इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है :
    • दोहरी दृष्टि
    • धुंधला दिखना
    • पलकें भारी होना
    • कम दिखना
    • मोतियाबिंद का विकास

यह स्थिति नम और कोहरेदार मौसम में और बुरी खबर या उत्तेजित होने के साथ बिगड़ जाती है। खुली हवा में थोड़ी राहत मिलती है। इसके अलावा अत्यधिक पेशाब करने और उत्तेजक पदार्थों के सेवन से इनमें सुधार होता है।

  • नक्स वोमिका
    सामान्य नाम : पॉइजन नट
    लक्षण : आमतौर पर नक्स वोमिका सक्रिय व्यक्तियों के लिए निर्धारित उपाय है। यह पतले और मानसिक तनाव से ग्रस्त लोगों में अच्छा असर करता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक कर सकता है :
    • आंखों के अंदरूनी कोने में चुभने व सूखने जैसा एहसास
    • आंखों के नीचे दर्द के साथ पानी आना
    • रोशनी बर्दाश्त न कर पाना
    • ऑप्टिक तंत्रिका में सूजन

किसी भी प्रकार का उत्तेजक, शुष्क और ठंडा मौसम और मानसिक तनाव से लक्षण बिगड़ जाते हैं। नम मौसम और नींद लेने से लक्षण बेहतर होते हैं।

  • ओसमियम
    सामान्य नाम :
    दि इलीमेंट
    लक्षण : इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने के लिए किया जाता है :
    • ग्लूकोमा के लक्षण जैसे कि आंख में दबाव बढ़ जाना
    • कम दिखना
    • रोशनी बर्दाश्त नहीं कर पाना
    • मोमबत्ती की रोशनी के आसपास हरा रंग दिखाई देना
       
  • फास्फोरस
    सामान्य नाम : फॉस्फोरस
    लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों में फायदा होता है :
    • मोमबत्ती की रोशनी के चारों ओर हरा रंग
    • अस्थाई तौर पर न दिखना या धुंधला दिखना
    • आंखों का ज्यादा इस्तेमाल किए बिना भी आंखों में थकान
    • मोतियाबिंद के लक्षण
    • आंखों के सामने काले धब्बे

यह लक्षण शारीरिक या मानसिक तनाव, गर्म मौसम, शाम में और भीगने के बाद खराब हो जाते हैं जबकि अंधेरे में, दाहिनी तरफ लेटने से, खुली हवा में रहने व ठंडी सिकाई से इनमें सुधार होता है।

  • रस टॉक्सीकोडेंड्रोन
    सामान्य नाम : पॉइजन-आइवी
    लक्षण : रस टॉक्सीकोडेंड्रोन एक ऐसा प्रभावी उपाय है जो गर्म वातावरण में गतिविधि करने से बेहतर महसूस करते हैं। निम्नलिखित ऐसे सामान्य संकेत और लक्षण दिए गए हैं, जिसके लिए यह दवा निर्धारित की गई है :
    • आंखें लाल होना
    • आंखों में सूजन और दर्द
    • आंखों में मवाद
    • ठंड और नमी वाले माहौल में आईरिस (आंख के सामने का रंगीन ऊतक जिसके केंद्र में पुतली होती है) में सूजन होना
    • आंख की गतिविध करने या इस पर दबाव पड़ने से दर्द होना और असहज महसूस करना

नम, बारिश का मौसम, स्थिति को बदतर बनाता है, जबकि गर्म वातावरण में रोगी को अच्छा महसूस हो सकता है।

  • स्पिगेलिया एंथेल्मिया
    सामान्य नाम : पिंक रूट
    लक्षण : स्पिगेलिया एंथेल्मिया आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। निम्नलिखित ऐसे सामान्य लक्षण दिए गए हैं, जिन्हें स्पिगेलिया एंथेल्मिया द्वारा सुधारा जा सकता है :
    • आंखों को हिलाने पर दर्द
    • रोशनी बर्दाश्त न कर पाना
    • पुतलियों और आंखों में भारीपन महसूस होना
    • आंखों में व इसके आसपास तेज दर्द, जो आंखों के सॉकेट के अंदर भी महसूस होता है

यह स्थिति छूने और आंख हिलाने पर बिगड़ जाती है, लेकिन सिर को दाईं ओर ऊंचा करके लेटने से स्थिति में सुधार होता है।

(और पढ़ें - काला मोतियाबिंद का ऑपरेशन कैसे होता है)

ग्लूकोमा विकसित होने का प्राथमिक कारण आंख में बढ़ता दबाव है। हालांकि, इसके लिए सटीक इलाज नहीं है लेकिन आंखों पर से दबाव कम करने से स्थिति को बदतर होने से रोका जा सकता है। होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा निर्धारित आहार और जीवनशैली से ग्लूकोमा को तेजी से नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

क्या करना चाहिए

  • मरीज को होम्योपैथिक ट्रीटमेंट के दौरान पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
  • स्वच्छ रहें और स्वच्छ वातावरण में रहें क्योंकि अशुद्ध वातावरण के चलते आंखों में जलन हो सकती है।
  • मरीज के कमरे या घर का तापमान आरामदायक होना चाहिए, जिससे कि आंखों पर से खिंचाव को कम करने में मदद मिले।

क्या नहीं करना चाहिए

  • मोटे कपड़े नहीं पहनें।
  • कैफीन युक्त पेय पदार्थ नहीं लेने चाहिए, क्योंकि कैफीन आंखों में दबाव बढ़ाती है।
  • शराब और धूम्रपान से पूरी तरह से बचना चाहिए क्योंकि धूम्रपान आंखों में दिक्कत पैदा कर सकता है।
  • भोजन में अतिरिक्त नमक या चीनी से बचना चाहिए क्योंकि वे निर्धारित दवा के असर को प्रभावित कर सकते हैं।

(और पढ़ें  - सिगरेट छोड़ने का उपाय क्या है)

ग्लूकोमा भारत में अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है। ग्लूकोमा से ग्रस्त लगभग 90 प्रतिशत व्यक्तियों का निदान तब तक नहीं किया जाता, जब तक कि स्थिति गंभीर न हो जाए। यहां एक्यूट का मतलब ऐसी चिकित्सकीय स्थिति या बीमारी से है, जो अचानक से प्रभावित करती है और जिसे तत्काल या अल्पकालिक देखभाल की आवश्यकता होती है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि ग्लूकोमा के प्रबंधन में होम्योपैथिक दवाएं प्रभावी हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में सर्जरी की जरूरत होती है, जिनमें मरीज में डॉक्टर के अनुसार पर्याप्त सुधार नहीं हो रहा होता है।

होम्योपैथिक उपचार चुनने का एक और लाभ यह है कि यह किसी बीमारी को जड़ से ठीक करता है और पूरी तरह से सुरक्षित व प्रभावी है। चूंकि, यह मूलरूप से प्राकृतिक है और इसकी खुराक कम मात्रा में ली जाती है, ऐसे में होम्योपैथिक दवाओं का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

दुर्भाग्य से, ग्लूकोमा के लिए होम्योपैथिक उपचार कितना प्रभावी है इस पर बहुत अधिक शोध नहीं हुए है, इसलिए होम्योपैथिक दवाओं के लाभों और प्रभावों के बारे में अधिक जानने के लिए होम्योपैथिक डॉक्टर से परामर्श करें।

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होम्योपैथिक उपचार में प्राकृतिक गुण होने की वजह से इनका इस्तेमाल सु​रक्षित रूप से किया जा सकता है। एक होम्योपैथिक डॉक्टर मरीज के लक्षणों, जटिलताओं, मानसिक स्थिति, ऊंचाई को ध्यान में रखते हुए दवा निर्धारित करते हैं। हालांकि, दवा निर्धारित करने से पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री को चेक किया जाता है।

चूंकि यह दवाइयां कम मात्रा में ली जाती हैं, इसलिए इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है या बहुत कम होता है। हालांकि, कोई भी होम्योपैथिक दवा लेने से पहले एक अनुभवी डॉक्टर से बात करना सुरक्षित होगा।

ऐसे मामलों में जहां होम्योपैथिक उपचार स्थिति पर प्रभाव डालने में विफल होते हैं, वहां डॉक्टर व्यक्ति को पारंपरिक उपचार चुनने का विकल्प देते हैं।

(और पढ़ें - मोतियाबिंद का ऑपरेशन कब करना चाहिए)

ग्लूकोमा आंख से जुड़ी एक स्थिति है, जो भारत में कई लोगों को प्रभावित करती है। ग्लूकोमा से पीड़ित लगभग 90 प्रतिशत लोगों में तब तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जब तक वे बीमारी के एक्यूट स्टेज तक नहीं पहुंच जाते हैं।

ग्लूकोमा को सर्जरी या उपचार के किसी अन्य माध्यम से पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है और हमेशा इस स्थिति के दोबारा से प्रभावित करने का जोखिम बना रहता है, ऐसे में व्यक्ति को आजीवन दवाइयों का सेवन करना पड़ सकता है।

होम्योपैथिक उपचार की मदद से ग्लूकोमा का प्रबंधन किया जा सकता है और इसके लगभग कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं। लेकिन तब भी ग्लूकोमा के इलाज में होम्योपैथिक उपचार शुरू करने से पहले अनुभवी डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

(और पढ़ें - सफेद मोतियाबिंद का इलाज क्या है)

संदर्भ

  1. American Optometric Association. Glaucoma. St. Louis; [internet]
  2. British Homeopathic Association. What is homeopathy?. London; [Internet]
  3. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  4. Ravi ThomasYear. Glaucoma in India: Current status and the road ahead. 2011, Volume : 59 , Issue : 7, Page : 3-4
  5. R Ramakrishnan, [link] et al. [link]. 2011 Jan; 59(Suppl1): S118–S122. PMID: 21150023
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