एनीमिया की समस्या किसी को भी हो सकती है, लेकिन महिलाओं को इसका सामना अधिक करना पड़ता है. वहीं, जिन लोगों को पहले से कोई बीमारी होती है, उन्हें एनीमिया होने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. स्ट्रोक भी इसमें शामिल है. अगर किसी व्यक्ति को स्ट्रोक है, तो उसे एनीमिया के लक्षणों का भी सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं स्ट्रोक के मरीजों के लिए एनीमिया जानलेवा तक साबित हो सकता है. कई अध्ययनों में भी स्ट्रोक के मरीजों के लिए एनीमिया को जानलेवा माना गया है.

आज इस लेख में आप स्ट्रोक के मरीजों में होने वाले एनीमिया के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. स्ट्रोक क्या होता है?
  2. एनीमिया क्या है?
  3. स्ट्रोक के मरीज के लिए एनीमिया क्यों है जानलेवा?
  4. सारांश
स्ट्रोक के मरीज के लिए एनीमिया है जानलेवा के डॉक्टर

स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी है. इस समय स्ट्रोक का सामना करोड़ों लोग कर रहे हैं. इसमें ज्यादा मामले इस्केमिक स्ट्रोक के होते हैं. स्ट्रोक वह स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क को ऑक्सीजन युक्त रक्त की पूर्ति करने वाली धमनी अवरुद्ध हो जाती है. इसके अलावा, जब मस्तिष्क में कोई धमनी फट जाती है, तो भी स्ट्रोक होता है. इसे रक्तस्रावी स्ट्रोक के रूप में जाना जाता है. अध्ययनों की मानें तो स्ट्रोक विकलांगता का एक प्रमुख कारण हो सकता है. वहीं, जब स्ट्रोक और एनीमिया दोनों एक साथ हो जाते हैं, तो स्थिति गंभीर रूप ले सकती है.

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एनीमिया होने पर शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं हो पाता है. ऐसे में हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने लगता है. दरअसल, हीमोग्लोबिन रेड ब्लड सेल्स में मौजूद एक प्रोटीन होता है. यह शरीर के अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन की पूर्ति करता है. ऐसे में जब एनीमिया की वजह से रेड ब्लड सेल्स कम होते हैं, तो हीमोग्लोबिन भी कम हो जाता है. इसकी वजह से शरीर के अंगों और ऊतकों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में नहीं हो पाती है. इस स्थिति में शरीर में खून की कमी हो जाती है. अधिक थकानसिरदर्द, त्वचा का रंग पीला होना, चक्कर आनासांस लेने में तकलीफ, हाथों व पैरों का ठंडा होना और सीने में दर्द एनीमिया के लक्षण हो सकते हैं. 

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स्ट्रोक के जिन रोगियों को एनीमिया होता है, उनमें मृत्यु का जोखिम काफी अधिक होता है. स्ट्रोक और एनीमिया जब दोनों एक साथ हो जाते हैं, तो ये जानलेवा हो सकते हैं. एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की साइट पर पब्लिश एक मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, स्ट्रोक आने के पीछे एनीमिया मुख्य कारण होता है. इसके अलावा, स्ट्रोक के बाद एनीमिया मृत्यु का कारण भी बन सकता है. इस रिपोर्ट के अन्य महत्वूर्ण पॉइंट इस प्रकार से हैं -

  • सामान्य इस्केमिक स्ट्रोक के मरीजों के मुकाबले एनीमिया के चलते इस्केमिक स्ट्रोक का शिकार हुए रोगियों की मृत्यु अधिक है. 
  • इसके अलावा, रक्तस्रावी स्ट्रोक के जिन रोगियों को एनीमिया होता है, उनमें भी मृत्यु का जोखिम 1.5 गुना अधिक होता है. 
  • शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है जिन स्ट्रोक के रोगियों में हीमोग्लोबिन का स्तर काफी अधिक होता है, उनमें भी मृत्यु का जोखिम अधिक हो सकता है. इस आधार पर माना जा सकता है कि हीमोग्लोबिन का कम और अधिक दोनों ही स्तर स्ट्रोक के रोगियों में मृत्यु का जोखिम बढ़ा सकते हैं. इसलिए, स्ट्रोक के रोगियों को अपने हीमोग्लोबिन के स्तर को संतुलन में रखना जरूरी होता है.

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स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी होती है और अपने आप में जानलेवा बीमारी है. वहीं, जब एनीमिया से ग्रस्त मरीज को स्ट्रोक होता है, तो उनमें मृत्यु का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है. इस्केमिक स्ट्रोक और रक्तस्रावी स्ट्रोक दोनों में ही मृत्यु का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. अगर किसी व्यक्ति को स्ट्रोक और एनीमिया दोनों हैं, तो उनमें मृत्यु का जोखिम सिर्फ स्ट्रोक से ग्रस्त मरीजों से दो गुना अधिक होता है. इसलिए अगर एनीमिया के बाद स्ट्रोक होता है, तो तुरंत डॉक्टर से कसंल्ट करना चाहिए.

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