चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) - Chediak Higashi Syndrome in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

September 11, 2020

April 12, 2021

चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम
चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम

ऐल्बनिज्म का अर्थ त्वचा, बाल और आंखों का रंग असामान्य होने से है, जबकि चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) पार्शियल यानी आंशिक ऐल्बनिज्म का एक अत्यंत दुर्लभ रूप है, जो इम्यून सिस्टम और तंत्रिका तंत्र की समस्याओं का कारण बनता है। इस विशिष्ट प्रकार के ऐल्बनिज्म में दृष्टि संबंधित समस्याएं जैसे कि रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, साफ न दिखना और आंख की अनैच्छिक गतिविधियां होना भी शामिल है।

चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम एक दुर्लभ, आनुवांशिक इम्यून संबंधी विकार है जो आमतौर पर बचपन में शुरू होता है। इसमें त्वचा और आंखों के रंग (पिगमेंट) में कमी आने लगती है, इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है जिससे बार-बार संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

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चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) के संकेत और लक्षण - Chediak-Higashi Syndrome Symptoms in Hindi

क्लासिक चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम के लक्षणों में शामिल है:

  • भूरे या हल्के रंग के बाल, जिनमें चांदी जैसी चमक हो सकती है
  • आंखों का रंग हल्का या असामान्य होना
  • त्वचा का रंग सफेद या ग्रे होना
  • आंख की अनैच्छिक गतिविधियां
  • फेफड़े, त्वचा और श्लेष्म झिल्ली (म्यूकस मेम्ब्रेन) में बार-बार संक्रमण होना

अन्य लक्षण जो सीएचएस से ग्रस्त शिशुओं या छोटे बच्चों में देखे जा सकते हैं:

एक अध्ययन के अनुसार, सीएचएस से ग्रस्त लगभग 85 प्रतिशत बच्चे गंभीर अवस्था में पहुंच जाते हैं, जिसे 'एक्सेलेरेटेड फेज' कहा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्टेज वायरल संक्रमण की वजह से ट्रिगर होता है। इस चरण के दौरान, सफेद रक्त कोशिकाएं असामान्य रूप से तेजी से और अनियंत्रित तरीके से विभाजित होती हैं, जिसकी वजह से बुखार, असामान्य ब्लीडिंग, गंभीर संक्रमण, किसी अंग का खराब होना इत्यादि समस्याएं हो सकती हैं।

ऐसे बड़े और वयस्क बच्चे जिनमें देर से सीएचएस की समस्या शुरू होती है, उनमें हल्के लक्षण देखे जा सकते हैं। इनमें दौरे और तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याएं विकसित हो सकती हैं, जो निम्न परेशानियों का कारण बनती हैं:

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चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) का कारण - Chediak-Higashi Syndrome Causes in Hindi

सीएचएस एक आनुवांशिक स्थिति है, जो एलवाईएसटी जीन (जिसे सीएचएस1 जीन भी कहते हैं) में दोष के कारण होती है। एलवाईएसटी जीन एक ऐसा प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है, जिसे 'लाइसोसोमल ट्रैफिकिंग रेगुलेटर' के रूप में जाना जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह प्रोटीन लाइसोसोम्स नामक संरचना में जरूरी तत्वों को भेजता है।

लाइसोसोम्स ऐसी संरचनाएं हैं जो कुछ कोशिकाओं के अंदर होती हैं और विषाक्त पदार्थों को तोड़ती हैं, बैक्टीरिया को नष्ट करती हैं और कोशिकाओं के कार्यों को खराब करती हैं। एलवाईएसटी जीन में गड़बड़ी होने के कारण लाइसोसोम बहुत बड़ा होने लगता है। यह बढ़े हुए लाइसोसोम कोशिका के सामान्य कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं, बैक्टीरिया को बाहर निकालने और उन्हें मारने से रोकते हैं, इसलिए शरीर संक्रमण के खिलाफ लड़ने में असमर्थ हो जाता है।

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चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) का निदान - Chediak-Higashi Syndrome Diagnosis in Hindi

सीएचएस का निदान करने के लिए, डॉक्टर सबसे पहले मेडिकल हिस्ट्री (चिकित्सक द्वारा पिछली बीमारियों व उनके इलाज से जुड़े प्रश्न पूछना) चेक कर सकते हैं। इसके अलावा फिजिकल व कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं। फिजि​कल टेस्ट के जरिए लिवर या स्प्लीन में सूजन और पीलिया (त्वचा और आंखों का पीला होना) के लक्षण पता चल सकते हैं। इन टेस्ट में शामिल हो सकते हैं:

  • असामान्य सफेद रक्त कोशिकाओं की पहचान करने के लिए ब्लड टेस्ट
  • एलवाईएसटी जीन में दोष की पहचान करने के लिए जेनेटिक ​टेस्टिंग
  • अनैच्छिक रूप से आंख की गतिविधि की पहचान के लिए आंखों की जांच (ऑप्थैल्मोलॉजिक)

चेडिअक-हिगाशी सिंड्रोम (सीएचएस) का इलाज - Chediak-Higashi Syndrome Treatment in Hindi

सीएचएस का कोई इलाज नहीं है लेकिन इस स्थिति में लक्षणों का प्रबंधन किया जा सकता है।

संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। दृष्टि में सुधार के लिए 'आई लेंस' निर्धारित किए जाते हैं। प्रतिरक्षा प्रणाली में दोष का इलाज करने के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट की मदद ली जा सकती है। यदि कोई बच्चा ऐक्सेलेरेटेड फेज में है, तो इन दोषपूर्ण कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के लिए डॉक्टर एंटीवायरल दवाइयां और कीमोथेरेपी दवाओं की सलाह दे सकते हैं।

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