कोविड-19 बीमारी की रोकथाम के लिए आयुर्वेद को भी आजमाया जा रहा है। हाल में गुजरात में कोविड-19 से लड़ने के लिए लोगों के इम्यून सिस्टम को बनाने के मकसद से आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल शुरू हुआ है। केरल में भी सरकारी अस्पतालों में 'आयुर रक्षा' क्लीनिक खोले गए हैं। वहीं, अब कोविड-19 के मरीजों पर एक आयुर्वेदिक दवा के क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी ले ली गई है।

खबर के मुताबिक, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के तहत आने वाले 'क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्रार ऑफ इंडिया' (सीटीआरआई) ने इस ड्रग के ट्रायल के लिए मंजूरी दी है। 'जिंजिवियर-एच' नाम की इस दवा को केवल कोविड-19 के वयस्क मरीजों पर आजमाया जाएगा। बताया गया है कि केरल स्थित 'पंकजाकस्तूरी हर्बल रिसर्च फाउंडेशन' (पीएचआरएफ) इस दवा को बनाती है। उसी ने सीटीआरआई से इसके इस्तेमाल की मंजूरी ली है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो कोविड-19 के 120 मरीजों पर इस दवा का परीक्षण होगा, जिनमें से 15 को यह दवाई दे भी दी गई है।

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एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीएचआरएफ के संस्थापक डॉ. हरींद्नन नायर ने कहा है कि जिंजिवियर-एच श्वसन संबंधी संक्रमण के खिलाफ एक असरदार दवा है। वे कहते हैं, 'वैज्ञानिक पुष्टिकरण के तहत यह माना गया है कि श्वसन संक्रमण, वायरल फीवर, कंठ की सूजन के समय दी जाने वाली जिंजिवियर-एच कई प्रकार की सूजन की समस्या देने वाले वायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस के खिलाफ भी असरदार पाई गई है। राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नॉलजी में हुए परीक्षणों में सबूत मिले हैं कि इससे कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं।'

डॉ. हरींद्रन ने कहा कि परीक्षणों के परिणाम सामने आने के बाद वे तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में गए और जिंजिवियर के इस्तेमाल के संबंध में अनुरोध किया। उन्होंने कहा, 'उनमें से कुछ ने मेरा अनुरोध स्वीकार किया। वहां से हमें सांस्थानिक मेडिकल कमेटी अप्रूवल मिल गया है। उसके बाद मैं सीटीआरआई के पास गया जिसके बाद क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुआ।'

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पीएचआरएफ के संस्थापक ने बताया कि जिंजिवियर-एच में हर्बोमिनरल समेत सात अवयव यानी इंग्रेडिटएंट होते हैं, जिनका जिक्र दवा से जुड़े वैज्ञानिक मैन्युस्क्रिप्ट में किया गया है। डॉ. हरींद्रन की मानें तो वे सालों से इस दवा को अपनी क्लिनिकल प्रैक्टिस में इस्तेमाल करते आ रहे हैं। अब वे कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 के मरीजों पर भी इसे आजमाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मई के अंत तक परिणाम सामने आ सकते हैं। दवा से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होने की बात करते हुए वे कहते हैं, 'मैं यकीन से तो नहीं कह सकता कि परिणाम सकारात्मक होंगे। लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये आयुर्वेद की जीत होगी और अगर नहीं होता तो यह मेरी असफलता होगी।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोरोना वायरस: देश में कोविड-19 के इलाज के लिए इस आयुर्वेदिक दवा के ट्रायल को मिली मंजूरी? है

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