कोविड-19 के मरीजों के साथ-साथ इस बीमारी के लक्षण भी बढ़ते जा रहे हैं। पिछले साल दिसंबर के अंत में जब पहली बार इस बीमारी की वजह बने सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस का पता चला तो उस समय इसके लक्षणों में तेज बुखार, खांसी और सांस में तकलीफ जैसी समस्याएं शामिल थीं। लेकिन आज कई मेडिकल विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोविड-19 के लक्षणों की संख्या तीन से ज्यादा है।

ऐसी रिपोर्टें आए दिन आ रही हैं, जिनसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह नया कोरोना वायरस लोगों को नए-नए तरीकों से बीमार कर रहा है। इसी के चलते हाल में अमेरिका में कोविड-19 के लक्षणों में ठंड लगना, कंपकंपी आना, मासंपेशी में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश और सूंघने की क्षमता के कम होने को भी शामिल किया गया था। कई अन्य देशों में भी कोरोना वायरस के प्रभावों की संख्या तीन से ज्यादा मानी गई है। अब इस सिलसिले में एक कथित 'नया लक्षण' मेडिकल विशेषज्ञों की चिंता का कारण बना हुआ है।

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ब्रिटेन की मासिक समीक्षा पत्रिका 'ब्रिटिश जर्नल ऑफ डर्मटॉलजी' में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के कुछ मरीजों में इस बीमारी का 'रहस्यमय' लक्षण देखने को मिला है। पत्रिका ने बताया कि इन मरीजों के पैरों की उंगलियों की त्वचा में सूजन के साथ घाव देखे गए हैं। शोधकर्ताओं ने इस लक्षण को 'कोविड टो' बताया है। उनके मुताबिक, उन्होंने कोरोना वायरस से संक्रमित जिन लोगों की जांच की, उनमें से 19 प्रतिशत यानी 71 में यह लक्षण दिखाई दिया है।

खबर के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 375 मामलों की पड़ताल की, जिनमें कोविड-19 के संदिग्ध और कन्फर्म किए गए दोनों मरीज शामिल थे। सभी की समीक्षा करने के बाद शोधकर्ताओं ने उन्हें अलग-अलग क्लिनिकल पैटर्न का जिक्र किया है, जो कुछ इस प्रकार है:

  • 19 प्रतिशत मरीजों के हाथ और पैरों में कृत्रिम बिवाई (पैर में होने वाली एक समस्या जिसमें पैर की उंगलियों के बीच का भाग या तलवे की त्वचा फट जाती है) जैसे घाव देखने को मिले हैं।
  • नौ प्रतिशत मरीजों के शरीर पर लाल रंग के (छोटे-बड़े दाने जैसे) उभार (वेसिक्युलर इरप्शन) निकले हुए हैं। मध्य आयु वर्ग के मरीजों में ये उभार आम हैं और दस दिनों से ज्यादा समय तक रहते हैं। 68 प्रतिशत मरीज खुजली से परेशान हैं।
  • 19 प्रतिशत मरीजों में पित्त जैसे घाव है जिन्हें खुजली और अलग-अलग आकार के सूजन वाले दानों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
  • 47 प्रतिशत मरीजों के शरीर पर लाल चकत्ते है।
  • छह प्रतिशत मरीजों में त्वचा के गलने की समस्या थी, जो रक्तचाप में परेशानी और त्वचा में ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो सकता है।

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शोधकर्ताओं ने जिन 19 प्रतिशत यानी 71 मरीजों के पैरों में घाव देखे, उनमें से 41 प्रतिशत यानी 29 के कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। इसीलिए उन्होंने इस लक्षण को 'कोविड टो' नाम दिया है। यह समस्या आमतौर पर सर्दियों में होती है, जब कुछ लोगों के पैरों और उंगलियों में लाल धब्बे जैसे निशाने पड़ जाते हैं और उनमें सूजन हो जाती है। त्वचा से जुड़ी छोटी नसों में जलन के कारण यह समस्या पैदा होती है। ठंडी हवा के प्रभाव में बार-बार आने से शरीर में प्रतिक्रिया स्वरूप ऐसा होता है। जानकार बताते हैं कि ये चकत्ते सामान्यतः एक से तीन हफ्तों में अपनेआप चले जाते हैं।

कोविड-19 से जुड़ाव कैसे?
वैसे तो एक शोध के आधार पर यह दावा नहीं किया जा सकता कि इन मरीजों में यह समस्या कोविड-19 की वजह से ही आई। शोधकर्ताओं ने कहा है कि हो सकता है कि ऐसा कोविड-19 के संपर्क में आने के कारण हुआ हो, लेकिन वे इस बात से भी इनकार नहीं करते कि शायद इस समस्या का कोविड-19 से कोई संबंध न हो। हालांकि यह तथ्य जरूर ध्यान खींचता है कि जिन 71 मरीजों में ये लक्षण दिखे, उनमें केवल एक ही ऐसा था, जिसे ये समस्या पहले से थी। ऐसे में शोधकर्ता और ज्यादा अध्ययन करने की बात कहते हैं।

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