देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच भारत सरकार अब बड़े पैमाने पर लोगों तक कोरोना की वैक्सीन पहुंचाने की तैयारी में है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की मानें तो अगले साल यानी जुलाई 2021 तक कोविड-19 वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज मिल जाएगी जिसे कुल 20-25 करोड़ लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इस योजना को लेकर केन्द्र सरकार ने राज्यों को अक्टूबर 2020 के अंत तक प्राथमिकता वाले जनसंख्या समूह जिन्हें पहले टीका लगाया जाएगा उनकी सूची तैयार करने को कहा है। गौरतलब है कि डॉ. हर्षवर्धन ने अपने सोशल मीडिया कार्यक्रम "संडे संवाद" के दौरान यह जानकारी दी।

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हेल्थकेयर वर्कर्स को पहले दी जाएगी वैक्सीन
हर्षवर्धन के मुताबिक उच्च स्तरीय विशेषज्ञों का एक समूह वैक्सीन से जुड़े हर पहलुओं की जांच में जुटा है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय एक प्रारूप तैयार कर रहा है जिसमें राज्यों से उन लोगों की संख्या पूछी गई है जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन की खुराक दी जानी है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के टीकाकरण के दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी। ये वह स्वास्थ्यकर्मी हैं जो कोविड-19 महामारी में फ्रंटलाइन वॉरियर्स की भूमिका निभा रहे हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स की सूची में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से जुड़े डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स, सफाई कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, सर्विलांस अधिकारी और कई अन्य व्यावसायिक श्रेणियों से जुड़े लोग शामिल होंगे जो किसी भी तरह से कोविड-19 रोगियों का पता लगाने, उनका परीक्षण करने या इलाज की प्रक्रिया में शामिल हैं।

रिपोर्ट की मानें तो लोगों की लिस्ट से जुड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए अक्टूबर अंत तक का समय निर्धारित किया गया है। साथ ही राज्यों को कोल्ड चेन सुविधाओं और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचे के बारे में ब्यौरा पेश करने के लिए निर्देशित किया जा रहा है।

वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज उपलब्ध होगी- हर्षवर्धन 
केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है "केंद्र सरकार मानव संसाधन, प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण और अन्य बड़े पैमाने पर क्षमता निर्माण की योजना पर भी काम कर रही है। इसके तहत जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को कवर करने के लिए वैक्सीन की अनुमानित 40-50 करोड़ (400-500 मिलियन) डोज का उपयोग होगा। यह सारा काम अंतिम रूप के अलग-अलग चरणों में है।"

उन्होंने बताया कि सरकार ने इन योजनाओं को अंतिम रूप देते समय कोविड-19 बीमारी से संबंधित प्रतिरक्षा यानी इम्यूनिटी के आंकड़ों पर भी नजर बना रखी है। साथ ही सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है कि वैक्सीन का वितरण समान रूप से और उचित तरीके से हो। यह भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि देश में प्रत्येक और हर किसी के लिए एक वैक्सीन कैसे सुनिश्चित की जाए।

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हर्षवर्धन ने बताया कि नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति पूरी प्रक्रिया का खाका तैयार कर रही है। इसके अलावा वैक्सीन को खरीदने का काम केंद्र सरकार के स्तर पर हो रहा है और वैक्सीन की हर खेप की डिलिवरी होने तक इसे रियल टाइम में ट्रैक किया जाएगा। यह सुनिश्चित करने के लिए यह वैक्सीन उन लोगों तक पहुंचें जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पैनल देश में अलग-अलग वैक्सीन की उपलब्धता की समय-सीमा को समझने के लिए भी काम कर रहा है। साथ ही भारत, निर्माताओं और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के लिए खुराक की अधिकतम संख्या उपलब्ध कराने के लिए वैक्सीन निर्माताओं से प्रतिबद्धता प्राप्त कर रहा है। इसके अलावा पैनल उच्च जोखिम वाले समूहों की प्राथमिकता सूची पर भी काम कर रहा है। फिलहाल काम जारी है और जब तक वैक्सीन तैयार होगी, टीकाकरण कार्यक्रम को उचित तरीके से चलाया जाएगा।

वैक्सीन की नहीं होगी कालाबाजारी
हर्षवर्धन ने आश्वस्त करते हुए कहा कि वैक्सीन की कालाबाजारी नहीं होगी। इसको ध्यान में रखते हुए ही वैक्सीन को पूर्व-निर्धारित प्राथमिकता और क्रमबद्ध तरीके से वितरित किया जाएगा। इसके साथ पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आने वाले वाले दिनों में पूरी प्रक्रिया का ब्यौरा साझा किया जाएगा। उन्होंने हेल्थ केयर वर्कर्स, बुजुर्ग या जिन्हें पहले से कोई बीमारी है उन्हें वैक्सीन के लिए प्राथमिकता दिए जाने पर जोर दिया।

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रूसी वैक्सीन पर अभी कोई फैसला नहीं
भारत में रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के सवाल पर हर्षवर्धन ने स्पष्ट किया कि रूसी वैक्सीन से जुड़ा मामला अभी भी विचाराधीन है और इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। वैक्सीन से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा "टीके की श्रेष्ठता पर टिप्पणी करना संभव नहीं है। लेकिन अगर हमारे पास वैक्सीन से जुड़े कई विकल्प उपलब्ध होते हैं, तब भी वे सभी सुरक्षित होंगे और नए कोरोना वायरस के खिलाफ जरूरी इम्यूनिटी प्रदान करेंगे।"

उन्होंने कहा कि भारत के बाहर क्लीनिकल परीक्षणों में सुरक्षित, प्रतिरक्षात्मक और प्रभावशाली साबित होने वाली सभी वैक्सीन को भारतीय आबादी में भी सुरक्षा और प्रतिरक्षात्मकता साबित करने के लिए कठिन अध्ययन से गुजरना होगा। हालांकि इन अध्ययनों को छोटे सैंपल साइज के साथ किया जा सकता है ताकि इन्हें जल्दी ही खत्म किया जा सके। 


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों तक कोरोना वैक्सीन पहुंचाने की तैयारी, प्राथमिकता के आधार पर होगा टीकाकरण- हर्षवर्धन है

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