कोविड-19 के चलते मरीजों के फेफड़ों की रक्त वाहिकाएं खिंच कर लंबी (डाइलेशन) हो रही हैं, विशेषकर कैपिलेरी (फेफड़ों में पाए जाने वाली रक्त वाहिकाएं)। अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि कोविड-19 के प्रभाव में फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं यानी कैपिलेरीज के डाइलेशन से मरीजों का ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो रहा है। यह तथ्य इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि कोविड-19 सांस से जुड़ी एक और बीमारी गंभीर श्वसन संकट सिंड्रोम (आर्ड्स) से अलग व्यवहार करती है।

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जानकारों के मुताबिक, आर्ड्स में फेफड़ों में सूजन होने के चलते उनकी रक्त वाहिकाएं लीक हो जाती हैं, जिससे फेफड़ों में तरल पदार्थ भर जाता है। इससे फेफड़े सख्त हो जाते हैं और ऑक्सीजिनेशन में खराबी आ जाती है। वहीं, कोविड-19 के जिन मरीजों में निमोनिया की शिकायत देखने को मिली है, उनमें से कइयों में गंभीर हाइपोक्सेमीया के केस जानने में आए हैं, जोकि फेफड़ों के सख्त हो जाने जैसे लक्षण से अलग कंडीशन है। कोविड-19 वाले निमोनिया में फेफड़ों के मकैनिज्म और उनमें गैस के विनिमय में यह कनेक्शन नहीं होने के चलते यह सवाल पैदा हुआ है कि क्या आर्ड्स और कोविड-19 में होने वाले हाइपोक्सेमीया के मकैनिज्म में अंतर है। 

यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अध्ययन की शुरुआत में वेंटिलेटर पर लेटे कोविड-19 मरीजों के दिमाग में रक्त संचार का आंकलन किया। ये ऐसे मरीज थे, जिन्हें कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते स्ट्रोक समेत अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा था। शोधकर्ताओं ने उनकी जांच के लिए एक खास मशीन टीसीडी (ट्रांसक्रेनियल डॉपलर) से 'बबल स्टडी' की। यह एक गैर-आक्रामक और पीड़ाहीन तकनीक है।

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अध्ययन के दौरान मरीजों की नसों में उत्तेजित लवणयुक्त घोल और उनसे युक्त सूक्ष्म माइक्रोबबल्स इन्जेक्ट किए गए। इसके बाद यह चेक किया गया कि ये बबल्स या बुलबुले दिमाग की रक्त वाहिकाओं में नजर आते हैं या नहीं। सामान्य अवस्था में ये बुलबुले हृदय के दायीं तरफ ट्रैवल करते हुए फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में प्रवेश करते हैं और आखिर में उनकी कैपिलेरीज में फिल्टर होते हैं। अध्ययन के मुताबिक, अगर माइक्रोबबल्स मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं में पाए जाते हैं तो इसका मतलब है कि या तो दिल में छेद है या रक्त फेफड़े से गुजरे बिना हृदय के दायीं साइड के बजाय बायीं साइड से ट्रैवल करने लगता है। यानी फेफड़ों की कैपिलेरीज असामान्य ढंग से खिंच कर लंबी हो गई हैं और माइक्रोबबल्स उनसे होकर गुजरने लगता है।

इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए शोधकर्ताओं ने अध्ययन में 18 मकैनिकली वेंटिलेटिड कोविड-19 मरीजों को शामिल किया था। टीसीडी की मदद से की गई बबल स्टडी में 15 मरीजों में माइक्रोबबल्स डिटेक्ट हुए, जिससे साफ हुआ कि उन फेफड़ों की रक्तवाहिकाएं कोरोना वायरस के प्रभाव में खिंच कर लंबी हो गई थीं। ज्यादातर डिटेक्टिड माइक्रोबबल्स का संबंध हाइपोक्सेमीया से था।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के चलते फेफड़ों की रक्त वाहिकाएं खिंच कर लंबी होने के संकेत मिले, जानें क्या है इसके मायने है

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