कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम का लाभ लेने के लिए नागरिकों के पास डिजिटल स्वास्थ्य पहचान होना अनिवार्य नहीं होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस बारे में स्पष्ट बयान दिया है। उसने कहा है कि नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) के तहत डिजिटल हेल्थ आइडेंटिटी होना कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनाइजेशन के लिए अनिवार्य नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देश के नाम अपने भाषण में इस कार्यक्रम की घोषणा की थी।

एनडीएचएम के तहत हरेक नागरिक के स्वास्थ्य का डिजिटल रिकॉर्ड रखने की योजना है ताकि उसे मेडिकल सेवाएं आसानी से उपलब्ध कराई जा सकें। इसके लिए नागरिक का एक डिजिटल हेल्थ आईडी बनाए जाने की बात सरकार की तरफ से कही गई थी। एक-दो दिनों से यह सवाल सुनने को मिल रहा था कि क्या कोरोना वायरस के खिलाफ संभावित टीकाकरण अभियान के तहत केवल उन्हीं लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनके पास एनडीएचएम की डिजिटल हेल्थ आईडी होगी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसे सवालों या अफवाहों पर विराम लगा दिया है।

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समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को कोविड-19 से संबंधित दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा, 'यह कहना कि वैक्सीनेशन के लिए डिजिटल आईडी या हेल्थ आईडी होना अनिवार्य किया जाएगा और जिनके पास हेल्थ आईडी नहीं होगा, उन्हें इससे वंचित किया जाएगा, एनडीएचएम द्वारा बनाए जा रहे डिजिटल ईकोसिस्टम की सही व्याख्या नहीं है।' राजेश भूषण ने साफ किया कि वैक्सीनेशन से जुड़े लाभकारियों के पास अगर हेल्थ आईडी नहीं होगा तो दूसरे आईडी भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने आगे कहा, 'यह लगभग किसी चुनाव की तरह होगा, जिसमें कई पहचान पत्र इस्तेमाल किए जा सकते हैं ताकि वोट देने से या कहें वैक्सिनेशन के लिए निर्धारित दिन कोई भी वंचित न रहे।'

दरअसल, इसी हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक बयान में कहा था कि भारत कोविड-19 वैक्सीनेशन के लिए तीव्र डिलिवरी सिस्टम और नए डिजिटल हेल्थ आईडी के साथ डिजिटाइज्ड नेटवर्क तैयार करने पर काम कर रहा है। उनके इस बयान को लेकर सवाल किए जा रहे थे कि क्या केवल हेल्थ आईडी रखने वाले लोगों को वैक्सीनेशन प्रोग्राम का लाभ दिया जाएगा। हालांकि सरकार की तरफ से राजेश भूषण ने स्थिति स्पष्ट कर दी है।

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क्या है एनडीएचएम?
केंद्र सरकार के मुताबिक, एनडीएचएम एक संपूर्ण और स्वैच्छिक डिजिटल हेल्थकेयर प्रोग्राम है, जो लोगों और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण चीजों को एक साथ एक ही मंच पर लाने के लिए शुरू किया गया है। इनमें डॉक्टर और अस्पताल के अलावा अन्य हेल्थकेयर प्रोवाडइर जैसे फार्मेसी, बीमा कंपनियां आदि शामिल हैं। योजना को लागू करने का काम नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) को सौंपा गया है। एनएचए के मुताबिक, एनडीएचएम परियोजना मुख्यतः छह बिंदुओं पर आधारित है। ये छह बिंदू हैं- हेल्थ आईडी, डिजि डॉक्टर, स्वास्थ्य सुविधा पंजीकरण, निजी स्वास्थ्य रिकॉर्ड, ई-फार्मेसी और टेलिमेडिसिन। इन सबको एक साथ रखने का मकसद नागरिक को केंद्र में रखते हुए समय पर सुरक्षित और किफायती इलाज मुहैया कराना है। 

योजना शुरू करने की घोषणा करते समय इसके पहलुओं पर बात करते हुए एनएचए के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने कहा था, 'एनडीएचएम से जुड़े प्रमुख बिंदुओं (जैसे हेल्थ आईडी, डिजि डॉक्टर और हेल्थ फेसिलिटी रजिस्ट्री का स्वामित्व का संचालन और रख-रखाव) का रिकॉर्ड भारत सरकार के पास होगा। निजी क्षेत्र के लोगों को इससे जुड़ने का समान अवसर दिया जाएगा और वे अपनी सेवाओं को मार्केट कर सकेंगे। हालांकि मूलभूत गतिविधियां और प्रमाणीकरण जैसे काम (मसलन हेल्थ आईडी जनरेट करना या डॉक्टर अप्रूव करना) सरकार के हाथ में ही रहेंगे।' डॉ. भूषण ने कहा कि निजी हेल्थ रिकॉर्ड और इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड जैसे काम प्राइवेट प्लेयर्स संबंधित दिशा-निर्देशों के तहत खुद भी कर सकते हैं।

एनडीएचएम के प्रमुख उद्देश्य और विशेषताएं

  • देश में एक डिजिटल हेल्थ सिस्टम की स्थापना और नागरिकों से जुड़ा हेल्थ डेटा मैनेज करना
  • हेल्थ डेटा कलेक्शन की गुणवत्ता में सुधार, स्टोरेज और विस्तार
  • हर नागरिक का अपना एक हेल्थ आईडी या स्वास्थ्य प्रमाणपत्र होगा
  • हेल्थकेयर डेटा की इंटरपोर्टेबिलिटी (आंतरिक संचालनीयता) के लिए प्लेटफॉर्म मुहैया कराना
  • हेल्थ आईडी में नागरिक का मेडिकल डेटा, डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन, डायग्नॉस्टिक रिपोर्ट और डिस्चार्ज से जुड़ी डिटेल्स शामिल होंगी
  • देशभर में अपडेटिड और सही हेल्थ डेटा की तेजी से रजिस्ट्री करना
  • योजना का मकसद सही डॉक्टर को ढूंढने, अपॉइंटमेंट लेने, कनसल्टेशन फीस देने आदि चुनौतियों से आजादी देना
  • केंद्रशासित प्रदेशों से मिलने वाले शुरुआती परिणामों के आधार पर मिशन को राज्यों में धीरे-धीरे लागू करने की योजना
  • डॉक्टर, अस्पताल, फार्मेसी, बीमा कंपनियां आदि को एक ही मंच पर लाकर हेल्थकेयर को सुगम बनाना

उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 वैक्सीन प्राप्त करने के लिए डिजिटल हेल्थ आईडी को अनिवार्य नहीं किया जाएगा: स्वास्थ्य मंत्रालय है

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