कोविड-19 को लेकर यह माना जाता है कि इसके गंभीर लक्षण मरीजों के शरीर के अंदरूनी हिस्सों को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। लेकिन हाल के समय में सामने आए कई अन्य शोधों के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि इस बीमारी के कम गंभीर लक्षण भी शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को इतना क्षतिग्रस्त कर सकते हैं कि शायद वे फिर ठीक ही न हो पाएं। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर हमारे शरीर के वे कौन से हिस्से हैं, जिन्हें नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 हल्के लक्षणों में भी डैमेज कर सकता है।

फेफड़े
निमोनिया को कोविड-19 के सबसे गंभीर लक्षणों में से एक माना जाता है। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते किसी व्यक्ति को निमोनिया होने का मतलब है कि उसके फेफड़े ऑक्सीजन रहित हो गए हैं और उनमें तरल पदार्थ के प्रवेश करने का खतरा पैदा हो गया है। जैसे-जैसे निमोनिया बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे मरीज के लिए सांस लेना कठिन से और कठिन होता जाता है। यह समस्या और बढ़ने पर मरीज एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम यानी आर्ड्स की स्थिति में आ जाता है। इस हालत में उसके फेफड़े ऑक्सीजन नहीं ले पाते। वे गंभीर रूप से सूज जाते हैं, जिसके चलते फेफड़ों के ऊतक क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इस कंडीशन को पल्मनेरी फाइब्रोसिस भी कहते हैं।

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कोविड-19 के कम या हल्के लक्षण वाले मामलों में नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 मरीज के फेफड़ों की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। वायरस के कम असर के चलते जब फेफड़ों में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है तो मरीज तेजी से सांस लेना शुरू कर देता है। लेकिन इस प्रयास में वे फेफड़ों को पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर पाता। बजाय इसके वे सीने के ऊपरी हिस्से पर जोर लगा रहा होता है।

कोरोना वायरस के चलते कुछ मरीजों को साइलेंट हाइपोक्सिया भी हो सकता है। इस कंडीशन में ऑक्सीजन की कमी को मरीज महसूस नहीं कर पाता। साइलेंट हाइपोक्सिया में शरीर में ऑक्सीजन के तेजी से गिरने के चलते मरीज की हालत अचानक बिगड़ने लगती है, जिसका पहले से कोई संकेत भी दिखाई नहीं देता। अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने के बाद भी मरीज को लंबी अवधि वाले थेरेपी सेशन से गुजरना पड़ सकता है।

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हृदय
कोविड-19 के कई मामलों में यह सामने आया है कि इससे किसी मरीज का हृदय भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। ऐसा उन मरीजों के साथ होता है जो पहले से अन्य बीमारियों की चपेट में हों या जिनमें कोरोना वायरस के गंभीर लक्षण दिखाई दें। हालांकि, लंदन में एक 51 वर्षीय कोविड-19 मरीज के केस में देखा गया कि पहले से स्वस्थ होने के बाद भी कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उसका हृदय क्षतिग्रस्त हो गया था। यह मरीज एक महिला पत्रकार थी। वायरस से संक्रमित होने के बाद शुरुआत में उसमें हल्के लक्षण (जैसे हल्का बदनदर्द और गला खराब होना) दिखे थे। लेकिन आठवें दिन उसने सीने में भारीपन की शिकायत की थी। ईसीजी करने पर पता चला कि वायरस ने उसके दिल में सूजन पैदा कर दी थी। इसके चलते पत्रकार को मायोकार्डाइटिस हो गया। इस कंडीशन में दिल की मांसपेशियां सूज जाती है, जिससे दिल के सामान्य रूप से फूलने यानी पंपिंग की क्षमता कम हो जाती है।

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मस्तिष्क
कोविड-19 के गंभीर लक्षणों के चलते मरीज के मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है। कई अलग-अलग अध्ययनों में मेडिकल विशेषज्ञों ने इस तथ्य को माना है। लेकिन अब डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस से होने वाली इस बीमारी के सामान्य लक्षण भी दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। 'ऐनल्स ऑफ इंटर्नल मेडिसिन' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के कम गंभीर मरीजों में से 87 प्रतिशत ने अपने सूंघने की क्षमता खोई है, जिसका संबंध मस्तिष्क से है। 

कुछ डॉक्टरों का कहना है कि ऐसा नाक में होने वाली सूजन के चलते हो सकता है। वहीं, कुछ का कहना है कि हो सकता है ऐसा कोरोना वायरस के मस्तिष्क से जुड़ी नसों के संपर्क में आने के चलते हुआ हो, क्योंकि इन्हीं नसों की मदद से हम अलग-अलग प्रकार की गंध महसूस कर पाते हैं। गौरतलब है कि जानी-मानी स्वास्थ्य एवं विज्ञान पत्रिका 'जेएएमए' ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस तथ्य का दावा किया है। पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, कोरोना वायरस की पहुंच दिमाग की कुछ हिस्सों तक हो गई है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: नया कोरोना वायरस हल्के लक्षणों में भी शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को क्षतिग्रस्त कर सकता है- शोध है

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