भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में किए गए एक सेरो-सर्वे में पता चला है कि यहां बड़ी संख्या में लोगों ने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को संक्रमण फैलाने से रोकने वाले एंटीबॉडी विकसित कर लिए हैं। गौरतलब है कि एक विशेष क्षेत्र की आबादी में किसी रोगाणु के फैलाव की मात्रा को जानने के लिए सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण किए जाते हैं। भारत में कोविड-19 के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी के मद्देनजर आईसीएमआर देशभर के अलग-अलग इलाकों में सेरो-सर्वे करा रहा है।

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प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक, आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने बीती 26 जून को पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को एक पत्र भेजा था। इसमें उन्होंने बताया था कि कोलकाता में सेरो-सर्वे के तहत लिए गए 396 सैंपलों में से 57 (14.39 प्रतिशत) पॉजिटिव निकले हैं। वहीं, साउथ 24 परगना में लिए गए 400 सैंपलों में से 10 (2.5 प्रतिशत) पॉजिटिव निकले हैं। इसका मतलब है कि जिन लोगों से ये सैंपल लिए गए, वे सभी कोरोना वायरस की चपेट में आए थे (जिसका पता नहीं चला), जिसके बाद इनके शरीर ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी (इम्यूनोग्लोबुलिन जी या IgG) पैदा कर लिए।

हालांकि, कोलकाता में कोरोना वायरस के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी विकसित हुई है या नहीं, इस पर कई डॉक्टरों का रुख नकारात्मक है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, डॉक्टरों का मानना है कि कोलकता में वायरस का इन्फेक्शन रेट काफी ज्यादा है, जिसके चलते फिलहाल शहर में हर्ड इम्यूनिटी की संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखती। अन्य इलाकों, जैसे साउथ 24 परगना में केवल 2.5 प्रतिशत सैंपलों में एंटीबॉडी मिले हैं, जबकि बंगाल में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीजों वाले इलाकों में यह क्षेत्र तीसरे नंबर पर है। यहां यह भी बता दें कि बांकुड़ा (242 मरीज) और झाड़ग्राम (19 मरीज) जैसे जिलों से लिए गए 400 सैंपलों में केवल एक ही पॉजिटिव निकला। इसी तरह अलीपुरद्वार (179 मरीज) और पूर्व मेदिनीपुर (321 मरीज) में क्रमशः चार और तीन सैंपल ही पॉजिटिव निकले।

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कोलकाता को लेकर आईसीएमआर के सेरो-सर्वे के परिणामों पर डॉक्टरों की राय नए सवाल खड़े करती है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही आईसीएमआर ने कहा था कि देश में कोविड-19 के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरक्षा प्रणाली यानी हर्ड इम्यूनिटी धीरे-धीरे विकसित हो रही है। आईसीएमआर ने हाल में कर्नाटक में किए गए सेरो-सर्वे के हवाले से यह बात कही थी। उसने इसे हर्ड इम्यूनिटी के संकेत के रूप में लिया था। एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने खुद कहा, 'कई तथ्य संकेत देते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो रही है, जो कि एक महत्वपूर्ण सुधार है।' हालांकि कोलकाता में किए गए सेरो-सर्वे पर अन्य मेडिकल विशेषज्ञों की राय के बाद आईसीएमआर के इस दावे पर सवाल खड़े होते हैं।

बहरहाल, कोलकाता को लेकर आईसीएमआर के हवाले से यह जानकारी ऐसे समय में आई है जब देश के कई राज्यों की तरह बंगाल में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता दिख रहा है। यहां अब तक करीब 18 हजार लोग सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 653 की मौत हो गई है। आंकड़े बताते हैं कि अकेले कोलकाता में 5,700 से अधिक मरीज सामने आए हैं। उसके बाद नॉर्थ 24 परगना में करीब 2,800 और हावड़ा में 2,600 से अधिक मरीजों की मौत हुई है। पूरे पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से 11,700 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है। इस तरह राज्य में बीमारी का रिकवरी रेट 65 प्रतिशत से ज्यादा मालूम होता है, जबकि मृत्यु दर 3.64 प्रतिशत है, जो कभी दस प्रतिशत के आसपास थी।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: आईसीएमआर के सेरो-सर्वे में कोलकाता की 14 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी होने की बात सामने आई, डॉक्टरों का हर्ड इम्यूनिटी की संभावना से इनकार है

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