कोविड-19 संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। 16 अप्रैल तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि दुनियाभर के 21 लाख लोग इस संक्रमण का शिकार हो चुके हैं। कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य कर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि उन्हें जल्द से जल्द ठीक किया जा सके। संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अस्पताल भी अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इसी दिशा में सभी अस्पतालों ने अपनी ओपीडी को बंद कर दिया है ताकि लोगों के बीच संक्रमण फैलने से रोका जा सकेे।

इन सभी निवारक उपायों के बीच, संयुक्त राज्य अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने सुझाव दिया है कि इस दौरान दंत चिकित्सकों को इलेक्टिव प्रसीजर जैसे- कॉस्मेटिक प्रसीजर, सर्जरी, दांतों से जुड़ी अन्य समस्याएं जो अति- आवश्यक नहीं हैं उनका इलाज कुछ दिनों के लिए रोक देना चाहिए। हाल में हुए कई अध्ययनों से पता चला है कि दांतों के इलाज के दौरान एरोसोल का उत्पादन होता है और इसकी बूंदों में वायरस की मौजूदगी हो सकती है।

कोविड-19 संक्रमण के दौरान सिर्फ आपातकालीन मामलों को प्राथमिकता देने की सलाह दी गई है क्योंकि दंत चिकित्सा के दौरान बड़ी मात्रा में एरोसोल और ड्रॉपलेट बनने से इसके मरीज की लार और रक्त में मिलने का डर होता है। दंत चिकित्सा के दौरान कई मशीनों को चलाने के लिए टरबाइन का उपयोग किया जाता है, जो मशीनों को तेज गति देने में सहायक होते हैं। जब इन उपकरणों का उपयोग रोगी के दांतों पर किया जाता है तो एरोसोल और ड्रॉपलेट्स बनते हैं। इससे चिकित्सकों के हाथों पर इन ड्रॉपलेट्स के लंबे समय तक बने रहने का डर होता है जो संक्रमण फैला सकता है।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि दांतों का इलाज करते वक्त दंत चिकित्सको को किन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है जिससे वह खुद को संक्रमण से बचा सकें और संक्रमण का फैलाव भी न हो।

  1. दांत के अस्पतालों (डेंटल क्लिनिक) में कोविड-19 के खतरे को कम करने के उपाय
  2. कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए दंत चिकित्सक को क्या करना चाहिए?
कोविड-19: महामारी के दौरान संक्रमण से बचने के लिए दंत चिकित्सक इन बातों का रखें ध्यान के डॉक्टर

दांत के अस्पतालों में निम्न उपायों को प्रयोग में लाकर कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।

  1. दंत चिकित्सालयों में प्रवेश द्वार पर एक साइनबोर्ड होना चाहिए जिसपर स्पष्ट लिखा हो कि अगर रोगी में खांसी, गले में खराश, बुखार, ठंड या सांस की तकलीफ जैसी कोई समस्या हो तो वह अपने अपॉइंटमेंट को पुनर्निर्धारित करे। इसके साथ ही इन लक्षणों की जांच और इलाज के लिए डॉक्टर से सुझाव लें।
  2. डॉक्टरों को स्वयं भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए। यदि अपॉइटमेंट वाले रोगी में हाल के दिनों में किसी तरह की श्वसन से संबंधी शिकायत थी तो फोन पर बात करके उसे दूसरी तारीख दें। साथ ही उसे सलाह दें कि सबसे पहले वह अपने फिजिशियन से परामर्श ले।
  3. यदि आपके किसी भी मरीज ने देश के बाहर कोरोनो वायरस प्रभावित क्षेत्र की यात्रा की है, तो उसे घर पर ही कम से कम दो हफ्तों के क्वारंटाइन में रहने की सलाह दें। इसके बाद ही उन्हें अगला अपॉइंटमेंट दें।।
  4. इस दौरान सिर्फ अतिआवश्यक दंत समस्याओं जैसे गंभीर दांत दर्द, या चोट जिसमें दांत टूट गया हो या फ्रैक्चर हो आदि के लिए ही रोगियों को अपॉइंटमेंट दें। फिलहाल सामान्य मामलों और कॉस्मेटिक उपचार प्रदान न करें।
  5. किसी भी रोगी से मिलने से पहले उसके स्वास्थ्य और हाल की यात्राओं की पूरी जानकारी लें। रोगियों से पूछें कि क्या उन्होंने हाल ही में श्वसन संबंधी कोई लक्षण तो महसूस नहीं किया है? अगर हां तो उसे फिलहाल अपने घरेलू चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दें।
  6. जिन रोगियों का आप इलाज कर रहे हैं उनका पता और फोन नंबर जरूर ले लें। आवश्यकता पड़ने पर कांटैक्ट ट्रेसिंग में सहूलियत होगी।
  7. यदि संभव हो तो संक्रमण रोकने के लिए मुलाकात के दौरान अपने और रोगी के बीच एक ग्लास बैरियर रखें।
  8. डेंटल चेयर पर बैठने से पहले रोगी के रक्तचाप और तापमान की जांच करें।
  9. डेंटल क्लिनिक में सभी कर्मचारियों के पास उचित व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण पीपीई (गाउन, दस्ताने, मास्क और फेस शील्ड/ चश्मे) होने चाहिए, ताकि इलाज के दौरान या अन्य किसी प्रक्रिया में वह स्वयं को संक्रमण से सुरक्षित रख सकें।
  10. दंत चिकित्सक संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए एक रबर डैम (एक रबड़ शीट जिससे मुंह का केवल संक्रमित हिस्सा है दिखे) का उपयोग करना चाहिए।
  11. रूट कैनाल या कैविटी को भरने वाले इलाज जिसमें एयरोटर का इस्तेमाल होता हो, उसे कुछ दिनों के लिए टाल दें क्योंकि इन इलाजों के दौरान एरोसोल ज्यादा बनते हैं।
  12. उन सभी उपकरणों जिनका किसी अन्य मरीज पर भी इस्तेमाल किया जाना है मतलब जो री-यूजबल हैं उन्हें एक इलाज के बाद कीटाणुरहित जरूर करें।
  13. सुनिश्चित करें कि दरवाज़े के हैंडल, डेंटल चेयर और बाथरूम सहित पूरे क्लिनिक को दिन में कई बार साफ और कीटाणुरहित किया जाए।
  14. मरीजों को निर्देश दें कि खांसने या छींकने के दौरान नाक और मुंह को ढकें। साथ ही हाथों की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  15. क्लिनिक में हाथों की सफाई के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल साबुन और पानी उपलब्ध होना चाहिए। क्लिनिक में 60-95% वाले अल्कोहल सैनिटाइजर, टिशू पेपर उपलब्ध हों। प्रवेश द्वार, वेटिंग रूम, और कार्य क्षेत्र में कचरे को फेंकने के लिए ऐसे कूडेदान हों जिन्हें छूने की जरूरत न पड़े।
  16. इलाज के दौरान निकलने वाले खून, शरीर से निकलने वाले द्रव आदि मानव अपशिष्टों को एक बंद कूड़ेदान में ठीक से डाला जाना चाहिए। जैव-चिकित्सा अपशिष्ट नियमों के अनुसार इस कचरे को फेंका जाना चाहिए।
  17. इलाज के दौरान प्रयोग में लाई गई सिरिंजों को उस विद्युत उपकरण के साथ नष्ट कर देना चाहिए जो सुई की नोक को जला देता है। सिरिंज के बाकी हिस्से को बायोमेडिकल कचरे वाले बिन में डाल देना चाहिए।
  18. क्लिनिक में पूरे दिन दूषित हवा बाहर निकालने के लिए एक्जास्ट फैन चलते रहने चाहिए।
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कोविड-19 संक्रमण से खुद को बचाने के लिए दंत चिकित्सकों को निम्न तरीकों का पालन करना चाहिए जिससे रोगी के इलाज के दौरान उन्हें किसी प्रकार से संक्रमण का खतरा न हो।

  1. रोगी का किसी भी तरह से इलाज करते वक्त पीपीई का उपयोग जरूर करें।
  2. चिकित्सक को सर्जिकल मास्क (यदि संभव हो तो एन-95 मास्क), सर्जिकल दस्ताने और फेस शील्ड या चश्मे पहन कर रखना चाहिए जिससे शरीर का हर अंग पूरी तरह से कवर रहे और संक्रमण का खतरा न रहे।
  3. डेंटल स्टाफ को एरोसोल जनरेटिंग प्रक्रिया के दौरात सामान्य फेस मास्क के बजाय एन-95 रेस्पिरेटर मास्क का उपयोग करना चाहिए।
  4. त्वचा और कपड़ों की सुरक्षा के लिए वाटर प्रूफ गाउन का इस्तेमाल करें जो शरीर के अधिकांश हिस्से को कवर करता हो।
  5. चिकित्सा प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद गंदे गाउन, दस्ताने और मास्क को निकाल दें और उसे अच्छी तरह फोल्ड करके बायो मेडिकल डस्टबिन में डाल दें।
  6. इन उपकरणों को हटाने के बाद 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोएं। साबुन और पानी उपलब्ध न होने पर 60% अल्कोहल वाले हैंड सैनिटाइजर से हाथों को साफ करें।
  7. हाथों को धोया जाना चाहिए:
  • रोगी के साथ सीधे संपर्क में आने से पहले और बाद में।
  • दस्तानों को हटाने के बाद।
  • यूवी लाइट जैसे उपकरणों के उपयोग के बाद।
  • इलाज के दौरान रक्त, शरीर के तरल पदार्थ आदि के संपर्क में आने के बाद।
  • किसी भी उपकरण जिनको सभी लोग इस्तेमाल कर रहें हों उसे छूने के बाद।
Dr Rahul Gam

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संदर्भ

  1. Center for Disease Control and Prevention [internet], Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; CDC Guidance for Providing Dental Care During COVID-19
  2. Indian Dental Association [Internet] Mumbai. India; Indian Dental Association’s Preventive Guidelines for Dental Professionals on the Coronavirus Threat
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