नए कोरोना वायरस की वजह से हुई मौतों से जुड़े कई शोधों में यह तथ्य सामने आया है कि मृतकों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से काफी ज्यादा है। चीन, इटली से लेकर अमेरिका तक में इस विषय पर हुए अध्ययनों के आधार पर कई विशेषज्ञों का भी कहना है कि महिलाओं में कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने की आशंका पुरुषों की अपेक्षा कम है और जीवित रहने की संभावनाएं उनसे ज्यादा हैं। कई विशेषज्ञों ने इसे महिलाओं और पुरुषों की लाइफस्टाइल से जोड़ा है, हालांकि और भी वजहें जानने की कोशिशें की जा रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ पुरुषों को बचाने के लिए वैज्ञानिक नए तरह के परीक्षण कर रहे हैं। अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' (एनवाईटी) के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने सेक्स हार्मोनों की मदद से पुरुष रोगियों का इलाज करना शुरू किया है।

एनवाईटी की रिपोर्ट की मानें तो पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क में कोविड-19 के कुछ रोगियों को एस्ट्रोजन हार्मोन दिए गए थे। वहीं, अगले हफ्ते से लॉस एंजिल्स में चिकित्सक एक अन्य हार्मोन प्रोजेस्टेरोन की मदद से कोविड-19 के पुरुष रोगियों का इलाज शुरू करेंगे। प्रोजेस्टेरोन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, लॉस एंजलिस के डॉक्टरों को लगता है कि महिलाओं में अधिक मात्रा में पाया जाने वाला यह हार्मोन संभावित रूप से कोविड-19 से प्रतिरक्षा प्रणाली पर होने वाली हानिकारक प्रक्रिया को रोक सकता है।

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लॉस एंजिल्स में एक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सारा घंधेरी का कहना है कि कोविड-19 के चलते आईसीयू में और वेंटिलेटर पर 75 प्रतिशत मरीज पुरुष हैं। हालांकि हार्मोन कोविड-19 से पीड़ित व्यक्ति को किस तरह सुरक्षा दे सकते हैं, इस बहस को लेकर वैज्ञानिकों के अलग-अलग तर्क हैं। लैंगिक अंतर का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतिरक्षा में जैविक अंतर और इसके साथ व्यवहार दोनों कारक अहम भूमिका निभाते हैं। पुरुष लगभग हर जगह ज्यादा संख्या में धूम्रपान करते हैं और अपने हाथ कम धोते हैं। वहीं, महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मजबूत दिखाई देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके कई कारण हैं और हार्मोन उनका केवल एक हिस्साभर हैं।

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कुछ रिसर्च में पता चला है कि एस्ट्रोजन का एसीई2 नाम के प्रोटीन पर प्रभाव हो सकता है। अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सेक्स डिफरेंसेस इन हेल्थ के निदेशक कैथरीन सैंडबर्ग ने उदाहरण देते हुए बताया कि कोरोनो वायरस व्यक्ति के शरीर में जाने के लिए कोशिकाओं की सतहों पर एसीई2 रिसेप्टर्स का उपयोग करता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में यह प्रोटीन अलग-अलग तरीके से रेगुलेट होता है।

अखबार के मुताबिक, डॉ. सैंडबर्ग और उनके सहयोगियों ने अपने शोध में पाया है कि एस्ट्रोजेन हार्मोन किडनी में एसीई2 प्रोटीन के असर को कम कर सकते हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि हो सकता है कि सेक्स हार्मोन पुरुषों में भी एसीई2 के प्रभाव को कम कर दे। हालांकि लॉस एंजलिस के वैज्ञानिक, एस्ट्रोजन से ज्यादा प्रोजेस्टोरोन से उम्मीद लगा रहे हैं। एस्ट्रोजन की तरह यह हार्मोन भी महिलाओं में काफी ज्यादा पाया जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, शोधों में पाया गया है कि यह हार्मोन शरीर में सूजन पैदा करने वाली कोशिकाओं को कम करने का काम करता है और उससे लड़ने वाली कोशिकाओं की मदद करता है। इसीलिए अगले हफ्ते से लॉस एजंलिस में मरीजों को पांच दिनों तक रोजाना प्रोजेस्टोरोन के दो शॉट दिए जाएंगे। वैसे डॉक्टर इतनी छोटी अवधि में इन दोनों ही हार्मोन के इस्तेमाल को सुरक्षित मानते हैं, फिर भी मरीजों को इनके संभावित दुष्प्रभावों के बारे में बता दिया गया है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोरोना वायरस: अमेरिका में कोविड-19 के पुरुष रोगियों को दिए जा रहे सेक्स हार्मोन, जानें क्या है इसकी वजह है

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