कोविड-19 महामारी के प्रभावों से उबरने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक मैनिफेस्टो जारी किया है। इस दस्तावेज में उसने बताया है कि कोविड-19 संकट के चलते पैदा होने वाली चुनौतियों से किस तरह निपटा जाए। इसके लिए डब्ल्यूएचओ ने छह महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की है। ये सभी छह बिंदु इस प्रकार हैं:

मानव स्वास्थ्य के स्रोत के रूप में प्रकृति की सुरक्षा और संरक्षण
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अर्थव्यवस्थाएं स्वस्थ मानव समाज की देन हैं। इसके बदले समाज को प्राकृतिक वातावरण की जरूरत है, जो साफ हवा, पानी और खाने का वास्तविक स्रोत है। जंगलों के कटाव, कृषि के नाम पर प्रदूषणकारी गतिविधयों को बढ़ावा, खाने के लिए वन्यजीवों की हत्या जैसे मानवीय दबावों के चलते इन स्रोतों को नाश हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इससे इन्सानों में संक्रामक रोग बढ़ने की संभावना भी पैदा होती है। ऐसे 60 प्रतिशत रोगों का अस्तित्व जानवरों से जुड़ा होता है, विशेषकर वन्यजीवों से।

स्वच्छ जल और ऊर्जा के महत्व को समझते हुए स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश बढ़ाया जाए
मैनिफेस्टो में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोविड-19 ही नहीं, बल्कि किसी भी अन्य प्रकार के स्वास्थ्य खतरे से बचने के लिए दुनियाभर के करोड़ों लोगों के पास बुनियादी सेवाएं उपलब्ध नहीं है। उसने कहा कि संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए हाथ धोते रहना जरूरी है, लेकिन 40 प्रतिशत घरों में यह सुविधा ही नहीं है। पानी और गंदगी में रोगाणु बड़ी मात्रा में फैल चुके हैं। वे मनुष्यों को नुकसान पहुंचाएं, उससे पहले उनका बेहतर तरीके से निपटान जरूरी है और इस काम के लिए निवेश की जरूरत है।

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तुरंत स्वास्थ्य परिवर्तन सुनिश्चित करना
आज के दौर में 70 लाख लोग हर साल प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं। हर आठ मौतों में से एक मौत प्रदूषण की वजह से हो रही है। 90 प्रतिशत लोग बाहर ऐसी हवा में सांस लेते हैं, जिसका स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों से काफी ज्यादा है। इस प्रदूषण का दो-तिहाई उन्हीं जीवाश्म ईंधनों से पैदा होता है, जो मौसम में आए परिवर्तन की बड़ी वजह है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोविड-19 से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुए देशों में से कुछ ने अब स्वास्थ्य के साथ-साथ हरित विकास को भी अपनी रणनीतियों में शामिल किया है। इनमें इटली, स्पेन के अलावा दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं, जिन्होंने कोविड-19 को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।

दीर्घकालिक स्वास्थ्य व्यवस्था का प्रचार
खाने की कमी, अस्वस्थ और हाई कैलोरी वाला खाना खाने से कई तरह की बीमारियां होती हैं। आज विश्व में ज्यादातर बीमारियों का सबसे बड़ा कारण इस प्रकार का खानपान है। इससे शरीर के अन्य प्रकार के स्वास्थ्य जोखिमों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। इनमें मोटापा और डायबिटीज जैसी समस्याएं शामिल हैं, जो कोविड-19 से होने वाली मौतों का भी प्रमुख कारण बन रही हैं। इसलिए जितना जल्दी संभव हो स्वस्थ और पोषक खाद्य का प्रचार किए जाने की जरूरत है।

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शहरों को स्वस्थ और रहने लायक बनाएं
दुनिया की आधे से ज्यादा आबादी शहरों में रहती है। विश्व की 60 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियों और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए यही आबादी जिम्मेदार है। चूंकि शहरों में जनसंख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा होने के कारण उनमें ट्रैफिक की समस्या भी बढ़ती जा रही है, इसलिए लोगों को अपनी यात्राएं कार के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साइकिल या पैदल चल कर करनी चाहिए। इसके स्वास्थ्य लाभ तो हैं ही साथ ही प्रदूषण भी कम होता है और सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं में भी कमी आती है। कोविड-19 संकट के चलते मिलान, पैरिस और लंदन जैसे कई बड़े शहरों ने इस दिशा में काम करना शुरू किया है।

टैक्सपेयर के पैसे से प्रदूषण पैदा करना बंद हो
डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से हुए आर्थिक नुकसान से उबरने के लिए सरकारों पर जबर्दस्त वित्तीय दबाव बनेगा। ऐसा करने के लिए वित्तीय सुधार की अनदेखी नहीं की जा सकेगी। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा है कि जीवाश्म ईंधन को बढ़ाने वाली गतिविधियों में कमी करनी होगी। डब्ल्यूएचओ ने लोगों को सलाह दी है कि उन्हें अपनी जेब और फेफड़ों दोनों की खातिर प्रदूषण बढ़ाने वाले खर्चे बंद कर देने चाहिए।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के प्रभावों से उबरने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने छह बिंदुओं वाला मैनिफेस्टो जारी किया, जानें इनमें क्या कहा गया है है

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