बीते साल 31 दिसंबर को चीन में नए कोरोना वायरस से जुड़ा पहला मामला सामने आया था। इसके बाद एकाएक मामले बढ़े और जनवरी महीने तक सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण चीन से निकलकर दुनिया के कई देशों में फैल गया। भारत में भी हर रोज सैकड़ों मरीजों की पुष्टि हो रही है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, लॉकडाउन के बीच यहां संक्रमितों की संख्या करीब 5,000 हो गई है। ऐसे में आम लोग ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के कई मेडिकल विशेषज्ञ भी गर्मी से आस लगाए बैठे हैं। आने वाले कुछ दिनों में तामपान 30 से 40 डिग्री सेल्सियस होगा। इसके साथ यह बहस भी गर्माती जा रही है कि क्या बदलते सीजन के साथ कोरोना वायरस का संक्रमण कम या खत्म होगा या नहीं। जानकारों की राय इसे लेकर बंटी हुई है।

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क्या गर्मी तेज होने से खत्म होगा कोरोना वायरस?
गर्मी और कोरोना वायरस के बीच अनसुलझे कनेक्शन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने लोगों को सावधान रहने को कहा है। उसका साफ कहना है कि अभी तक इस बारे में विस्तृत और पुख्ता जानकारी और सबूत नहीं मिले हैं कि गर्मी से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, ऐसे में गर्मी के भरोसे बैठना बेईमानी होगी।

डब्ल्यूएचओ की इस राय को कई मेडिकल विशेषज्ञ और वैज्ञानिक सही बताते हैं। उनका कहना है कि कोरोना वायरस परिवार के तहत आने वाले विषाणुओं की क्षमता को लेकर सीधे-सीधे दावा नहीं किया जा सकता। वे उदाहरण के रूप में बताते हैं कि सार्स-सीओवी-1 2002-03 के नवंबर में चीन में सामने आया था और कुछ महीनों बाद सीजन बदलने पर खत्म हो गया था। लेकिन एक और कोरोना वायरस मर्स-सीओवी 2012 के अगस्त महीने में मध्य पूर्व में सामने आया था, जबकि इस समय वहां तेज गर्मी पड़ती है। इन विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे में यह सीधे-सीधे नहीं कहा जा सकता कि नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 गर्मी बढ़ने के साथ कम या खत्म हो जाएगा। कुछ का तो यहां तक कहना है कि इस वायरस का संक्रमण गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में भी फैल सकता है।

डब्ल्यूएचओ और दुनिया के कई अन्य विशेषज्ञों की तरह भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने भी साफ कह दिया है कि गर्मी और कोरोना वायरस के फैलाव का कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे में लोग सतर्कता बरतें और सावधान रहें।

क्या है विपक्षी राय?
वहीं, कुछ शोधकर्ताओं की थ्योरी अलग बात कहती है। अमेरिका की ‘मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन यूनिवर्सिटी’ के शोधकर्ताओं ने अपने शोध के आधार पर मौसम बदलने के साथ वायरस की क्षमता प्रभावित होने की संभावना जताई है। शोधकर्ताओं की टीम ने उन देशों या क्षेत्रों में वायरस के प्रभाव का अनुमान लगाया, जहां तापमान 5-11 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया था। इनमें चीन का वुहान शहर, दक्षिण कोरिया, जापान, ईरान, उत्तरी इटली, सिएटल और उत्तरी कैलिफोर्निया शामिल हैं। 

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2019 के मार्च और अप्रैल महीने के तापमान से जुड़े डेटा का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि कई क्षेत्रों में कम्युनिटी ट्रांसफर के जोखिम की आशंका है। इनमें मध्य एशिया, पूर्वी और मध्य यूरोप, ब्रिटिश द्वीप समूह, उत्तरपूर्वी और मध्य-पश्चिमी अमेरिका शामिल हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, आने वाले महीनों में प्रभावित क्षेत्रों (उत्तर में 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) में कोविड-19 का संक्रमण कम हो सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं का मानना है कि रिसर्च में जलवायु परिवर्तन को लेकर आंकलन नहीं किया गया है, इसलिए उन्होंने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

कुछ इसी तरह की राय भारत के कुछ डॉक्टरों और मेडिकल जानकारों ने भी दी है। इनमें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान चिकित्सा संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी शामिल हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि अगर तापमान 40 डिग्री से ऊपर जाता है तो शायद कोरोना वायरस बाहरी वातावरण में लंबे समय तक जीवित नहीं रहेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस समय वायरस के प्रकोप के चलते लोग ज्यादा समय घर पर बिता रहे हैं, जहां का तापमान बाहर की अपेक्षा कम है। गुलेरिया की मानें तो ऐसे में गर्मियों में वायरस का प्रभाव घर के बाहर तो कम हो सकता है, लेकिन आशंका है घर के अंदर उसका प्रकोप देखने को मिले। ऐसे में लोगों के लिए यही बेहतर है कि वे घर के अंदर रहते हुए सभी सावधानियां बरतें।

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सीजनल वायरस हो सकता है कोरोना: एंथनी फॉसी
कोरोना वायरस के गर्मी में खत्म होने की संभावना जताने वाले लोगों में अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फॉसी भी शामिल हैं। हाल में उन्होंने अमेरिका में कोरोना वायरस से बड़ी संख्या में लोगों के मारने जाने की आशंका जताई थी। उनकी यह आशंका अब सही साबित होती दिख रही है। वहीं, अब कोरोना वायरस के गर्मी में बने रहने या खत्म होने को लेकर भी उन्होंने अपनी राय रखी है। फॉसी ने कहा है कि जब तक हम कोविड-19 का इलाज ढूंढेंगे, तब तक इसकी काफी संभावना है कि यह बीमारी प्राकृतिक रूप से सीजनल हो जाए।


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