रमजान का पाक महीना शुरू हो चुका है। रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना होता है। वास्तव में रमजान का माह अल्लाह की राह पर जाने के लिए प्रेरणा देने वाला समय है।  रमजान के दौरान लगभग 18-20 घण्टे तक कुछ भी खाया या पीया नहीं जाता और इस वजह से ये दिन काफी मुश्किल होते हैं। सामान्य या स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए पूरा दिन बिना कुछ खाये पीए बिताना बहुत ही ज्यादा कठिन होता है। 

यदि इन दिनों वे अपना अच्छी तरह ख्याल न रखें, अपनी डाइट एवं दवाओं के प्रति सतर्क ना रहें तो उन्हें इसका खामियाजा भरना पड़ सकता है। तो चलिए जानते हैं कि रमजान के दौरान टाइप 2 डायबिटीज के मरीज किस तरह अपना ख्याल रखें सकते हैं-

(और पढ़ें - शुगर कम करने के घरेलू उपाय)      

  1. रोजे से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
  2. ये हैं जरूरी बातें - Important tips in hindi
  3. क्या ना करें - What we should avoid during Ramadan in Hindi
टाइप 2 डायबिटीज के मरीज़ रमजन में कैसे रखें अपना ख्याल के डॉक्टर

सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि रोजों के दौरान कौन सी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं -

  • हाइपोग्लाइसीमिया - शुगर कम होना- रोज़ों के कारण एवं दवाओं के प्रभाव के कारण, शरीर में ग्लूकोज मात्रा कम हो जाती है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या देखी जाती है।  लक्षण- पसीना आना, हाथ काँपना, बहुत तेज भूख लगना, भ्रम की स्थिति, चक्कर आना, थकान आदि। 
  • हाइपरग्लाइसीमिया- शुगर का ज्यादा होना- काफी लम्बे समय के बाद या एक बार में बहुत सारा भोजन ग्रहण करने कारण हाइपरग्लाइसीमिया की समस्या देखी जाती है। लक्षण- ज्यादा प्यास लगना, बार बार पेशाब आना, मतली, उल्टी आना, थकान, पेट दर्द आदि। 
  • डायबिटीज कीटोएसिडोसिस- इस समस्या में रक्त शर्करा की मात्रा 250 mg/dl से ज्यादा हो जाती है और इसके साथ ही उल्टी आना, बुखार जैसे लक्षण देखे जाते हैं। 
  • निर्जलीकरण- पानी की पर्याप्त मात्रा न लेने कारण निर्जलीकरण यानि डिहाइड्रेशन की समस्या देखी जाती है। 
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अपने दिनचर्या एवं आहार में कुछ परिवर्तन कर के इन समस्याओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इनके लिए ये बदलाव करें-                       

 (और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए

  • आहार- 

    • सहरी- सहरी के समय संतुलित आहार लें। इस वक़्त लिया हुआ भोजन आपको दिन भर के लिए ऊर्जा देता है।  इस वक़्त के भोजन में कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, पानी इन चीजों का होना बहुत जरुरी है, जिससे दिन भर थकान ना महसूस हो। इसके लिए सहरी के वक़्त दूध, भीगे बादाम एवं अखरोट, मल्टीग्रेन ब्रेड की सैंडविच या भरवा रोटी खा सकते है। लेकिन ध्यान से इस समय के भोजन को ग्रहण करें, इसे छोड़े नहीं।  इससे आप पेट में दर्द, पेट फूल जाना, गैस, शुगर कम होना आदि समस्याओं से बच पाएंगे।

    • इफ्तार- इस समय सबसे पहले शरीर में पानी एवं कुछ खनिज तत्वों को संतुलित करने की आवश्यकता होती है , इसके लिए रोजा खोलते समय निम्बू पानी (नमक के साथ) का इस्तेमाल कर सकते है। यदि शुगर नियंत्रित हो तो 1-2  खजूर भी ले सकते हैं, इनमे में मौजूद कार्बोहायड्रेट एवं खनिज शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करने में मदद मिलती हैं। इफ़्तार के वक़्त चना चाट, फल, स्टीम्ड दही वड़ा, हमस, उबले अंडे की चाट, ग्रिल किये हुए पनीर, रोस्टेड चिकन, ग्रिल्ड मछली आदि ले सकते हैं।  बहुत ज्यादा तेल या मसाला वाला खाने से बचें। इससे आप पेट की दिक्कतें रोक पाएंगे।  इफ़्तार के समय अधिक खाने से बचे, इससे बेहतर होगा के इस समय कम खा कर 2-3 घंटे बाद कोई हल्का भोजन लें, जैसे- मल्टी ग्रेन चपाती एवं सोया कीमा या भरवा रोटी के साथ दही एवं सलाद। यदि कम भूख हो तो सोते समय हल्दी वाला दूध या ठण्डा दूध या फल ले सकते हैं।

  • डिहाइड्रेशन को रोकने के लिए खूब सारा तरल पदार्थ लें-  रोज़ों के दौरान जब भी भोजन ग्रहण कर रहे हो तरल पदार्थ लेने की कोशिश करें, सिर्फ चीनी युक्त शरबत की जगह, नमकीन लस्सी, छाछ, नमकीन जलजीरा या निम्बू पानी ले सकते हैं। 
  • फाइबर रखेगा पेट भरा- फाइबर हमारे शरीर में देर पचता है, जिससे पेट काफी देर तक भरा रहता है इसके लिए अपने इफ्तार एवं सहरी के समय फलों एवं सब्जियों की मात्रा बढ़ा सकते हैं। फलों में सेब, संतरा, खरबूजा, तरबूज, आड़ू, आलू बुखारा, पपीता आदि का इस्तेमाल करें। सब्जियों में खीरा, गाजर, शिमलामिर्च, गोभी, तरोई, लौकी, बीन्स, बैंगन, पालक, सलाद पत्ता आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं।  फाइबर के लिए साबुत अनाजदाल, होल वीट ब्रेड, मल्टी ग्रेन ब्रेड, चोकर वाली रोटी आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।  
  • दिनभर की शरीर में ऊर्जा बनी रहे इसके लिए खाएं ये चीजें- नट्स- जैसे बादाम, अखरोट, पिस्ता, बीन्स जैसे - राजमा, काला चना, छोले की चाट, अंडादूधपनीर, दही, कम वसा युक्त दूध, सब्जियों का सलाद, पानी आदि खाद्य पदार्थों से शरीर में दिन भर ऊर्जा एवं जल की मात्रा ठीक बनी रहती है। 
  • नियमित तौर पर शुगर की जाँच करें- रमज़ान शुरू होने से पहले अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित कर के ही रोजा शुरू करें। इससे आप स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं को समय पर रोक पाएंगे। रमजान से पहले, लगभग 1 हफ्ते की खाने से पहले एवं खाने के 2 घण्टे बाद की ब्लड शुगर जाँच कर के अपने डॉक्टर से दवाओं, खानपान में परिवर्तन, व्यायाम आदि के विषय में बात करके ही रोजा शुरू करें। रोजों के दौरान, ब्लड शुगर की जाँच सहरी से पहले, दिन के बीच में जैसे- सुबह 10-11 बजे, शाम 3-4 बजे, इफ्तार से पहले एवं 2 घण्टे बाद करें एवं डॉक्टर के साथ साँझा करें।  
  • दवाएं-  मधुमेह की दवाएं आपके रक्त शर्करा स्तर पर निर्भर करता है।  अतः आप घर पर जाँच की हुई ब्लड शुगर की चार्ट अपने डॉक्टर को दिखा कर अपने डॉक्टर से खुराक एवं समय के विषय में विचार विमर्श अवश्य करें। यदि आप सुल्फोनाइलयुरिया या एसजीएलटी2 इन्हीबिटर समूह की दवाएं ले रहे है, तो इस वक़्त इनका समय एवं खुराक बदलने की जरूरत होती है। 
  • इन्सुलिन- कुछ इन्सुलिन खाने से पहले लेना होता है एवं कुछ को अन्य  समयों पर (डॉक्टर के निर्देशानुसार )। जैसा की रमज़ान के वक़्त आपके उठने व खाने के समय एवं मात्रा में परिवर्तन होता है, ऐसे में इन्सुलिन की सही यूनिट्स व समय निर्धारित करना बहुत आवश्यक होता है।  ऐसे में रमज़ान से 1-2 महिने पहले ही अपने डॉक्टर से मिल अपने इन्सुलिन के यूनिट्स को व्यवस्थित करने के विषय में बात कर लें। 
  • व्यायाम - यदि रोज़ों के दौरान ब्लड शुगर नियंत्रित है, तो आप हल्का एक्सरसाइज जैसे- टहलना आदि कर सकते हैं। यदि शुगर डॉक्टर द्वारा दिए अंको से कम या ज्यादा हो तो एक्सरसाइज ना करें।
  • रोजा कब खोलना बहुत जरूरी है-

    •  यदि ब्लड शुगर की मात्रा 70mg/dl से कम हो 

    •  यदि ब्लड शुगर की मात्रा 300mg/dl से ज्यादा हो 

    • यदि आपको हाइपोग्लाइसीमिया, हाइपरग्लाइसीमिया, डिहाइड्रेशन लक्षण हो या किसी प्रकार की असहजता महसूस हो

रोज रखने पर इन बातों पर भी जरूर ध्यान दें -

  • मीठी एवं तली चीजें ना लें, इनमे कैलोरी, कार्बोहायड्रेट एवं वसा की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इनके ज्यादा प्रयोग से कई स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएं हो सकती है जैसे- कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, शुगर का बढ़ना, वजन का बढ़ना, हृदय सम्बंधित समस्याएं आदि। 
  • एक बार में बहुत ज्यादा खाने से बचें, इससे एक बार जरूरत से ज्यादा ऊर्जा यानि कैलोरी लेने से बच पाएंगे। एक बार में ज्यादा खाने से वजन बढ़ने, गैस एवं ब्लोटिंग जैसी समस्याएं होती है।
  • कैफीन वाले पेय पदार्थों से डिहाइड्रेशन की समस्या होती है अतः चाय, कॉफ़ी आदि के प्रयोग से बचें। 
  • दवाएं ना रोकें, डॉक्टर द्वारा बताये गए समय पर नियमित तौर पर दवाएं लें वरना बाद में शुगर बढ़ने के साथ अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धित समस्याएं हो सकती है।

(और पढ़ें - शुगर में परहेज)

Dr. Dhanamjaya D

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