पॉलीमाइक्रोजेरिया क्या है 

जन्म से पहले गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के असामान्य विकास की स्थिति को पॉलीमाइक्रोजेरिया (पीएमजी) कहते हैं। आमतौर पर मस्तिष्क की सतह पर कई लकीरें या सिलवटें बनी होती हैं, जिन्हें जेरिया कहा जाता है। पॉलीमाइक्रोजेरिया में असामान्य रूप से मस्तिष्क की सतह पर बहुत ज्यादा छोटी-छोटी लकीरें व सिलवटें बन जाती हैं। इस स्थिति का अर्थ है दिमाग की ऊपरी सतह पर कई (पॉली) छोटी (माइक्रो) लकीरें या सिलवटें (जेरिया) पड़ना।

पॉलीमाइक्रोजेरिया मस्तिष्क के कुछ हिस्से को या फिर पूरे मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है। पॉलीमाइक्रोजेरिया के मस्तिष्क के एक हिस्से को प्रभावित करने को शोधकर्ता यूनिलैटरल यानी एकतरफा पॉलीमाइक्रोजेरिया कहते हैं। जब यह मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को प्रभावित करता है, तो इसे बाइलेट्रल यानी द्विपक्षीय पॉलीमाइक्रोजेरिया के रूप में जाना जाता है। पॉलीमाइक्रोजेरिया से जुड़े संकेत और लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कितना या कौन-सा हिस्सा प्रभावित है। 

पॉलीमाइक्रोजेरिया के लक्षण

पॉलीमाइक्रोजेरिया से ग्रस्त लोगों में कई तरह के लक्षण पाए जा सकते हैं। वास्तव में यह लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि पॉलीमाइक्रोजेरिया मस्तिष्क के किस हिस्से में है और ये कहीं किसी बड़े सिंड्रोम का हिस्सा तो नहीं है। इसके निम्न लक्षण हैं:

पॉलीमाइक्रोजेरिया के कारण 

पॉलीमाइक्रोजेरिया से ग्रस्त अधिकतर लोगों में इसके कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसे पर्यावरणीय और अनुवांशिक कारकों की पहचान की है, जो पॉलीमाइक्रोजेरिया के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके पर्यावरणीय कारणों में गर्भावस्था के दौरान कुछ संक्रमण व भ्रूण में ऑक्सीजन की कमी शामिल हैं।
इस विषय पर एकत्र की गई जानकारी और कई वर्षों तक किए गए शोधों के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलीमाइक्रोजेरिया का शायद सबसे आम कारण साइटोमेगालोवायरस नामक वायरस से गर्भवती महिला का संक्रमित होना है। इसे सीएमवी के रूप में भी जाना जाता है।

पॉलीमाइक्रोजेरिया का इलाज

पीएमजी का इलाज मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर ग्रॉस मोटर इम्पेयरमेंट (टांगों, बाहों और धड़ की बड़ी मांसपेशियों की मूवमेंट) के इलाज के लिए फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि स्पास्टिक मोटर इम्पेयरमेंट (मांसपेशियों की ऐंठन से संबंधित विकार) के लिए ओर्थोटिक उपकरणों (शरीर के किसी अंग को स्थिर करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला उपकरण) और सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है।

बोलने और खाने में दिक्कत (लैंग्वेज एंड फीडिंग इम्पेयरमेंट) के इलाज लिए स्पीच थेरेपी की मदद ली जाती है। हाथ-पैर में तालमेल बैठाने में परेशानी होने पर ऑक्युपेशनल थेरेपी (रोजमर्रा के कामों को खुद करने में सक्षम बनाना) का प्रयोग किया जाता है।

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