सर्दी की दस्तक के साथ मौसम ने करवट ले ली है। ठंड बढ़ने के साथ ही बीमारियों का जोखिम भी बढ़ गया है। सर्दी के मौसम में ही ज्यादातर फ्लू और संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा होता है। इसलिए बदलते मौसम के साथ घातक स्वाइन फ्लू ने एक बार फिर पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। इसका ताजा मामला पंजाब के बठिंडा में सामने आया है। बठिंडा में इस सीज़न का ये पहला मामला है। हाल के दिनों में स्वाइन फ्लू से जुड़े इस मामले की पहचान हुई। हालांकि, यह स्वाइन फ्लू के हजारों अन्य मामलों में से एक है जो भारत में इस साल सामने आया है।

स्वाइन फ्लू से जुड़े आंकड़े
भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में स्वाइन फ्लू के 27 हजार मामले सामने आ चुके हैं। यही नहीं, इस संक्रामक रोग ने इस साल 1,167 लोगों की की जान भी ले ली। एनसीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक स्वाइन फ्लू के कुल 5076 मामले और 206 पीड़ितों की मौत के साथ राजस्थान इस तालिका में नंबर एक पर है। दूसरा नंबर इसी के पड़ोसी राज्य गुजरात का है, जहां अब तक 4,839 मामले सामने आए हैं और 151 लोग काल के गाल में समा गए। राजधानी दिल्ली कुल 3,598 मामलों के साथ तीसरे नंबर पर है। दिल्ली में इस सांस संबंधी संक्रामक रोग से अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है। 

क्या है स्वाइन फ्लू?
स्वाइन फ्लू एक तरह की संक्रामक बीमारी है, जिसे एन1एन1 वायरस के नाम से भी जाना जाता है। ये एक तरह का नया वायरस है, जिसके लक्षण बहुत हद तक अन्य फ्लू जैसे ही होते हैं। यह संक्रमण या वायरस सूअर से इंसानों में आया है, लेकिन आमतौर पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू?
एन1एन1 वायरस को स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है। शुरुआत में सूअर के संपर्क में आने वाले लोगों में यह वायरस फैला, इसलिए इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है। हालांकि बाद के वर्षों में यह इंसानों से इंसानों में फैलने लगा और ऐसे इंसानों तक भी पहुंच गया, जो कभी सूअर के संपर्क में नहीं आए।

साल 2009 में एच1एन1 पूरी दुनिया में बड़ी तेजी से फैला, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी घोषित कर दिया। हालांकि, इसके बाद भी दुनियाभर में स्वाइन फ्लू का प्रकोप जारी रहा, लेकिन अब यह उतनी तेजी से नहीं फैल रहा, जैसा 2009 में था।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वाइन फ्लू के लक्षण बहुत हद तक आम इन्फ्लूएंजा (एक तरह का वायरस) जैसे ही होते हैं। जो कि इस प्रकार हैं -

स्वाइन फ्लू के कारण
स्वाइन फ्लू  एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जो आमतौर पर केवल सूअरों से इंसानों में आया है। हालांकि, ये टाइफस की तरह नहीं है, जो जूं या टिक्सेस से भी फैल सकता है। आमतौर पर स्वाइन फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। न कि जानवर से व्यक्ति में। स्वाइन फ्लू फैलने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे-

  • छींक से
  • खांसी
  • कीटाणु को छूने से (कीटाणुओं को छूने के बाद आंख या नाक के संपर्क में लाना)

स्वाइन फ्लू का ज्यादा जोखिम किसमें?
स्वाइन फ्लू जब पहली बार सामने आया था, तब इसका जोखिम ज्यादातर 5 साल से बड़े बच्चों और किशोर में आम था। आमतौर पर किसी भी फ्लू या वायरस का जोखिम बुजुर्गों और युवाओं में ही ज्यादा होता है। आज स्वाइन फ्लू का खतरा हर आयुवर्ग के लोगों में एक समान है। अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं, जहां स्वाइन फ्लू का प्रकोप है तो आप पर इसका खतरा लगातार बना हुआ है। हालांकि, कुछ लोगों में स्वाइन फ्लू का खतरा ज्यादा होता है, जैसे -

  • 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में
  • 5 साल से कम उम्र के बच्चों में
  • 19 साल से कम उम्र के युवा और बच्चों में (जो लंबे समय से किसी प्रकार की चिकित्सा ले रहे हैं)
  • वो लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कम है (जैसे- एड्स से ग्रसित व्यक्ति)
  • गर्भवती महिलाओं में
  • वो लोग जो हृदय रोग, अस्थमा, डायबिटीज, न्यूरो मस्क्यूलर डिजीज से ग्रस्त हैं

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स्वाइन फ्लू की जांच और इलाज
स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर आपके खून के नमूने के जरिए इसकी जांच करेगा। स्वाइन फ्लू का इलाज संभव है। स्वाइन फ्लू से ग्रस्त व्यक्ति को शुरू में ओसेल्टामिविर (टैमीफ्लू) और जानामिविर (रीलेंजा) दवाएं खाने के लिए दी जाती हैं।

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