इस वक्त पूरी दुनिया भले ही सिर्फ नए कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 की चर्चा कर रही हो, लेकिन दुनियाभर में ऐसी कई दूसरी बीमारियां भी हैं जिनपर ध्यान देने की जरूरत है। छोटे बच्चों को अपना शिकार बनाने वाली ऐसी ही दो बीमारियां हैं मीजल्स यानी खसरा और रूबेला यानी जर्मन खसरा। लेकिन श्रीलंका और मालदीव इन दो देशों ने अपने यहां दशकों तक बेहतर टीकाकरण कार्यक्रम चलाकर इन दोनों बीमारियों को अपने देश से जड़ से मिटा दिया है। यही कारण है अब विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने भी दक्षिण-पूर्व के इन दोनों देशों को खसरा और रूबेला मुक्त घोषित कर दिया है।

2023 का था टार्गेट, 3 साल पहले किया हासिल
खसरा और रूबेला ये दो बीमारियां जो बच्चों को दुर्बल बनाने के साथ ही उनकी मौत का भी कारण बनती हैं उन्हें श्रीलंका और मालदीव इन दो देशों से पूरी तरह से हटाने के लिए 2023 का टार्गेट रखा गया था लेकिन इन देशों ने टार्गेट से 3 साल पहले ही 2020 में इन दोनों बीमारियों का अपने देश से उन्मूलन कर लिया। श्रीलंका और मालदीव अब खसरा और जर्मन खसरा से पूरी तरह से मुक्त हो चुके हैं। 

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श्रीलंका में खसरा का आखिरी मामला 2016 में आया था
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मालदीव में खसरा का आखिरी मामला साल 2009 में सामने आया था और रूबेला का आखिरी मामला अक्टूबर 2015 में। जबकि श्रीलंका में खसरा का आखिरी मामला मई 2016 में और रूबेला का आखिरी केस मार्च 2017 में रिपोर्ट हुआ था। एक बेहतर सर्विलांस सिस्टम की मौजूदगी में पिछले 3 सालों में इन दोनों देशों में खसरा और रूबेला इन दोनों वायरस का एक भी मामला सामने नहीं आया है जिसके बाद इन दोनों देशों को खसरा और रूबेला फ्री घोषित कर दिया गया। श्रीलंका और मालदीव के अलावा भूटान, उत्तर कोरिया और ईस्ट तिमोर को भी खसरा-फ्री घोषित किया गया है।

WHO के रीजनल डायरेक्टर खेत्रपाल सिंह कहते हैं, 'इस वक्त जब पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से जंग लड़ रही है, यह सफलता उम्मीद की नई किरण जैसी है और यह प्रमाणित करती है कि संयुक्त प्रयासों का महत्व कितना अधिक है।' इन विकासशील देशों को खसरा और रूबेला मुक्त बताने की ये घोषणाएं ऐसे समय में हो रही हैं जब अमेरिका सहित कई विकसित देशों में खसरे का प्रकोप देने को मिल रहा है। 

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दुनियाभर में खसरा के मामले में भारत चौथे नंबर पर
जुलाई 2018 से जून 2019 के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए खसरे की निगरानी से जुड़े आंकड़ों की मानें तो 194 देशों में खसरा के रेजिस्टर किए गए मामलों में भारत चौथे नंबर पर है जहां खसरा के 39 हजार 299 केस है। मैडगास्कर पहले नंबर पर, यूक्रेन दूसरे नंबर पर और फिलीपीन्स तीसरे नंबर पर है। WHO के आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल करीब 13 लाख बच्चों को मीजल्स यानी खसरे का इंफेक्शन होता है जिसमें से करीब 49 हजार बच्चों की खसरे की वजह से मौत हो जाती है। अगर गर्भवती महिला को रूबेला का इंफेक्शन हो जाए तो इससे उसके गर्भ में पल रहे भ्रूण की मौत हो सकती है या भ्रूण में जन्मजात दोष उत्पन्न हो सकते हैं। 

बेहद संक्रामक रोग है खसरा
खसरा श्वसन प्रणाली से जुड़ा एक वायरल संक्रमण है और यह एक बेहद संक्रामक रोग है जो संक्रमित बलगम और लार के संपर्क में आने के कारण फैलता है। संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो संक्रमण हवा में फैलता है। यह बच्चों में होने वाला सबसे खतरनाक संक्रामक रोग में से एक है जो आमतौर पर 7 से 10 दिनों में ठीक हो जाता है। तो वहीं, रूबेला की बात करें तो इसे जर्मन खसरा कहते हैं। यह शरीर पर लाल रंग के खरोंच के रूप में पहचाना जाता है। रूबेला, सामान्य खसरे से अलग तरह के वायरस के कारण होता है और यह खसरे की तरह गंभीर नहीं होता।

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