जब महिला को अपनी प्रेगनेंसी का पता चलता है, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है. वे अपना ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखने लगती है. अपने खान-पान से लेकर, उठने-बैठने के तरीके तक पर ध्यान देने लगती है. इन्हीं सबके बीच जब वो डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाती है, तो उसके मन में सबसे पहला सवाल आता है कि उनकी गर्भावस्था स्वस्थ है या नहीं और उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सिजेरियन. यह सवाल गर्भवती के मन में आना स्वाभाविक भी है.

आज इस लेख के जरिए हम उन लक्षणों के बारे में बता रहे हैं, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या सी-सेक्शन -

(और पढ़ें - नार्मल व सिजेरियन डिलीवरी के फायदे)

  1. नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण
  2. सी-सेक्शन होने के लक्षण
  3. नॉर्मल डिलीवरी के टिप्स
  4. सारांश
कैसे जानें कि डिलीवरी नॉर्मल होगी या सी-सेक्शन के डॉक्टर

सबसे पहले हम जानते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी होने के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं. इन लक्षणों के बारे में नीचे बताया गया है -

  • वैसे तो गर्भावस्था में पेशाब जाने की ज्यादा जरूरत महसूस होती है, क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु का दबाव गॉलब्लैडर पर पड़ने लगता है. इस दौरान मल त्याग करने की भी जरूरत महसूस हो सकती है.
  • बार-बार पेशाब आने के अलावा कमर दर्द होना भी नॉर्मल डिलीवरी का एक लक्षण हो सकता है. जैसे-जैसे डिलीवरी की डेट नजदीक आएगी कमर का दर्द भी बढ़ना शुरू हो जाएगा. खासतौर से कमर के निचले हिस्से में यह दर्द बढ़ने लगेगा. इसके अलावा, गर्भवती महिला को संकुचन भी महसूस हो सकता है.
  • अगर गर्भावस्था के 4 हफ्ते में पेट के नीचे ऐंठन या दर्द महसूस होता है, तो यह लक्षण भी नॉर्मल डिलीवरी का हो सकता है.
  • अगर गर्भ में बच्चे का वजन 4 किलो से कम होता है, तो भी नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है.
  • स्वस्थ गर्भावस्था भी नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना को बढ़ा सकती है.
  • प्रेगनेंसी के अंतिम दिनों में एमनियोटिक फ्लूड की थैली का फटना भी इसका एक लक्षण है.
  • योनि से म्यूकस प्लग का निकलना भी नॉर्मल डिलीवरी की ओर संकेत होता है. ऐसा शिशु के सिर से योनि पर दबाव पड़ने के कारण होता है.

(और पढ़ें - सी-सेक्शन के बाद नॉर्मल डिलीवरी के फायदे)

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ऊपर हमने नॉर्मल डिलीवरी होने के लक्षण बताएं, अब बारी आती है सी-सेक्शन के लक्षण जानने की. यहां हम स्पष्ट कर दें कि गर्भावस्था के समय या डिलीवरी के समय किसी प्रकार की जटिलता आने पर ही डॉक्टर सी-सेक्शन का विकल्प चुनते हैं. आइए, इन परिस्थितियों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

  • अल्ट्रासाउंड या स्कैन के दौरान गर्भ में शिशु के गलत पोजीशन में होने व उसकी जटिलता के आधार पर डॉक्टर सी-सेक्शन का निर्णय ले सकते हैं.
  • अगर प्रेगनेंसी में किसी तरह की कॉम्प्लिकेशन हो, जिससे मां और होने वाले शिशु के जीवन को खतरा हो, तो सी-सेक्शन होने की आशंका बढ़ सकती है.
  • प्रेगनेंसी का ड्यू डेट से आगे निकल जाना भी सी-सेक्शन की आशंका को बढ़ा सकता है.
  • अगर महिला खुद से सी-सेक्शन का निर्णय लेती है, तो डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी कर सकते हैं.
  • अगर पहली डिलीवरी सी-सेक्शन से हुई है, तो अगली गर्भावस्था में भी सी-सेक्शन होने की आशंका बढ़ सकती है.

(और पढ़ें - डिलीवरी के बाद कब्ज)

सी-सेक्शन के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी के बाद महिला की रिकवरी तेज होती है. साथ ही अस्पताल से जल्दी डिस्चार्ज कर दिया जाता है. इसके अलावा, शिशु का स्वास्थ्य भी ठीक रहता है. ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी होने के टिप्स कुछ इस प्रकार हैं -

  • डॉक्टर की सलाह पर हल्के-फुल्के व्यायाम करें या टहलने जाएं.
  • अपनी नींद पूरी करें.
  • तनाव से अपने आपको दूर रखें.
  • हमेशा सकारात्मक सोचें.
  • पोषक तत्वों से युक्त सही डाइट लें और अपने आप को हाइड्रेट रखें.

(और पढ़ें - नॉर्मल डिलीवरी कितने दिन में होती है)

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उम्मीद है कि इन लक्षणों को पढ़कर गर्भवती महिला को यह समझने में आसानी होगी कि उसकी डिलीवरी नॉर्मल होगी या सी-सेक्शन. यह इस पर भी निर्भर करता है कि महिला गर्भावस्था के दौरान अपना ध्यान किस प्रकार रखती है. स्वस्थ जीवन जीने, खुश रहने, सभी पोषक तत्व लेने और नियमित रूप से चेकअप करवाने से नार्मल डिलीवरी की संभावना को बढ़ाया जा सकता है.

(और पढ़ें - डिलीवरी डेट निकल जाने पर क्या करें)

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