नॉर्मल डिलीवरी के बाद के पहले छह सप्ताह में मां बनने वाली महिला को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। इस समय घर में एक नये सदस्य के आने से खुशी का माहौल होता है, लेकिन इस दौरान मां बनने वाली महिला की देखभाल को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

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डिलीवरी के बाद के पहले कुछ सप्ताह तक मां बनने वाली महिला धीरे-धीरे ठीक होना शुरू हो रही होती है। इस समय घर के अन्य लोगों को मां की देखभाल के साथ ही उनका नियमित डॉक्टरी चेकअप भी कराना चाहिए। हाल ही में मां बनने वाली महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आपको नॉर्मल डिलीवरी के बाद की देखभाल के बारे में बताया जा रहा हैं। इसमें आपको नॉर्मल डिलीवरी के बाद दिनचर्या और मनोदशा में होने वाले बदलावों के साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य के लिए टिप्स बताए जा रहें।

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  1. नॉर्मल डिलीवरी के बाद करें रोजाना की दिनचर्या - Normal delivery ke baad kare rojana ke dincharya me badlav
  2. नॉर्मल डिलीवरी के बाद एक-दूसरे की जरूरतों को समझें - Normal delivery ke baad ek doosre ki jarooraton ko samjhe
  3. नॉर्मल डिलीवरी के बाद मूड में बदलाव होना - Normal delivery ke baad mood me badlav hona
  4. नॉर्मल डिलीवरी के बाद स्वास्थ्य के लिए टिप्स - Normal delivery ke baad sharirik swasthya ke liye tips
  5. नॉर्मल डिलीवरी के बाद की देखभाल के लिए अन्य उपाय - Normal delivery ke baad ki dekhbhal ke liye anya upay
  6. सारांश

बच्चे के जन्म के बाद महिला का अपनी दिनचर्या में बदलाव करना एक चुनौतीपूर्ण काम है। इस समय बच्चे की देखभाल के साथ ही महिला को अपनी देखभाल का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। कामकाजी महिलाओं को बच्चे के जन्म के तुरंत बाद कम से कम छह सप्ताह तक ऑफिस नहीं जाना चाहिए। इस दौरान आप अपनी दिनचर्या में होने वाले बदलाव को आसानी से अपना पाएंगी। बच्चे को खिलाने, उसके डायपर बदलने और अन्य कामों को करते-करते आप कई रातों तक पूरी नींद नहीं ले पाती हैं, लेकिन धीरे-धीरे आप बच्चे के सभी कामों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेंगी। डिलीवरी के बाद आपको अपनी दिनचर्या में निम्न तरह से बदलाव करें। 

  1. अधिक आराम करें –
    थकान को कम करने के लिए जितना संभव हो उतनी नींद लें। आपका बच्चा रात में दूध पीने के लिए हर दो से तीन घंटों में जाग सकता है, इसलिए जब आपका बच्चा नींद में हो आपको भी आराम कर लेना चाहिए। (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान)
     
  2. घर के लोगों से मदद लें –
    डिलीवरी के बाद आपको अपने दोस्तों और घर वालों से मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। डिलीवरी के बाद आपका शरीर धीरे-धीरे ठीक हो रहा होता है और ऐसे में आपको घर वालों की मदद से आराम करने का समय मिलेगा। आपके मित्र व घर के सदस्य इस समय खाना बनाने, दूसरे बच्चों को संभालने और अन्य कामों में आपकी सहायता कर सकते हैं। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में होने वाली प्रॉब्लम)
     
  3. स्वास्थ आहार लें –
    डिलीवरी के बाद तेजी से ठीक होने के लिए आपको स्वस्थ और संतुलित आहार ही खाना चाहिए। अपने आहार में साबुत अनाज, सब्जियां, फल, और प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाएं। स्तनपान कराने के दौरान आपको तरल पदार्थों भी ज्यादा लेने की जरूरत होती है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद क्या खाये​)
     
  4. एक्सरसाइज करें –
    डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही आपको एक्सरसाइज शुरू करनी चाहिए। अधिक थका देने वाला व्यायाम ना करें और घर के पास ही किसी पार्क या गार्डन में घूमने जाएं, इससे आप खुद को तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करेंगी।

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बच्चे के जन्म के बाद परिवार के सभी सदस्यों की दिनचर्या में बदलाव आता है। इस समय मां बनने वाली महिला का पति के साथ संबंधों में भी बदलाव आने लगता है। डिलीवरी के बाद महिला और पुरुष एक साथ कम समय बिता पाते हैं, जिसकी वजह से कई तरह की परेशानियां शुरु हो जाती है। ये आप दोनों के लिए ही तनावपूर्ण समय हो सकता है, इस दौरान आप दोनों को समझदारी से काम लेना चाहिए। 

ऐसा होने पर आप दोनों को धैर्य बनाए रखना चाहिए और अन्य माता-पिता बन चुके दम्पत्तियों से मदद लेनी चाहिए। कई तरह के बदलावों को अपनाने में थोड़ा समय जरूर लगता है, इसके लिए आपको इनके बारे में सही तरह से समझें। 

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यदि इस समय घर का कोई अन्य बच्चा या पति खुद को अकेला महसूस करने लगे, तो ऐसे में आपको उनसे बात करनी चाहिए और उनकी परेशानी समझकर, उनको समझाने का प्रयास करना चाहिए। डिलीवरी के बाद बच्चों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। इस समय आप और आपके पति बच्चे की देखभाल में पूरा दिन व्यस्त रह सकते हैं। इस स्थिति में साथी के साथ समय न बीता पाने की वजह से आप खुद को दोषी न समझें।

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नॉर्मल डिलीवरी के बाद आपके मूड में बदलाव हो सकता है। सामान्यतः डिलीवरी के बाद दो सप्ताह तक आप अपने मूड में बदलाव महसूस कर सकती हैं। डिलीवरी के अधिकतर मामलों में मनोदशा मे बदलाव की समस्या देखी जाती है और इस समस्या के लक्षण सभी महिलाओं में अलग-अलग भी हो सकते हैं।

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हाल ही में मां बनने वाली 70 से 80 प्रतिशत महिलाओं को नकारात्मक सोच और मूड में बदलाव की परेशानी होती है। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण ऐसा होता है और आप इस दौरान निम्न तरह के लक्षण महसूस कर सकती हैं, जैसे:

इस समस्या में डॉक्टर के पास कब जाएं?

डिलीवरी के बाद यह स्थिति दो सप्ताह में ठीक हो जाती है। यदि दो सप्ताह के बाद भी इस तरह की परेशानी ठीक न हो पाए तो इसको डिलीवरी के बाद अवसाद (Postpartum depression) की समस्या माना जाता है। इस समस्या में आपको चिकित्सीय इलाज की आवश्यकता होती है। अगर आपको ये स्थिति बच्चे के लिए हानिकारक लगे तो आपको अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करनी चाहिए। डिलीवरी के बाद अवसाद की समस्या बच्चे के जन्म के बाद एक साल तक कभी भी हो सकती है।

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(और पढ़ें - गर्भावस्था में ध्यान रखने वाली बातें)

  • डिलीवरी के बाद पहले 2 सप्ताह तक आपको अधिक आराम की जरूरत होती है, इसलिए कम से कम लोगों से मिलें। इससे आपको स्तनपान कराने की भी आदत हो जाएगी। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी के वीक)
  • अपने बच्चे के वजन से ज्यादा भारी वस्तु न उठाएं।  (और पढ़ें - गर्भ में बच्चे का विकास कैसे होता है)
  • बच्चे का डायपर बदलने, शौचालय जानें और बच्चे को दूध पिलाने से पहले आपको अच्छी तरह से अपने हाथों को धोना चाहिए। 
  • डिलीवरी के बाद कम से कम एक महीने तक सीढ़ियों का इस्तेमाल न करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में कैसे सोना चाहिए)
  • हर समय घर को साफ करने के बारे में चिंता न करें। 
  • हर रोज बच्चे को ना नहलाएं। इसकी जगह पर आप बच्चे को किसी गीले कपड़े से साफ कर सकती हैं।
  • अगर आपको हर समय चिंता होती है और इसकी वजह से आप सो भी नहीं पाती हैं, तो आपको इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

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नॉर्मल डिलीवरी के बाद की देखभाल माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। नई माँ को पर्याप्त आराम, पौष्टिक आहार, और हाइड्रेशन की आवश्यकता होती है ताकि शरीर की ऊर्जा पुनः प्राप्त हो सके और स्तनपान के लिए आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हुए टांकों और प्रसव के बाद की किसी भी शारीरिक परेशानी की निगरानी करनी चाहिए। नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लेना और निर्धारित व्यायाम करना शरीर की सामान्य स्थिति में वापसी में सहायक होता है। मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल भी आवश्यक है, इसलिए परिवार और दोस्तों का समर्थन और तनाव प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। समग्र रूप से, संतुलित देखभाल और आराम नई माँ को शीघ्र स्वस्थ होने में मदद करते हैं और शिशु के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं।

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