आमतौर पर जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन के लिए आर्थराइटिस शब्‍द का इस्‍तेमाल किया जाता है। यह कोई एक स्थिति नहीं है बल्कि कई स्थितियों का समूह है जो किसी भी उम्र में प्रभावित कर सकता है। हालांकि, यह समस्‍या ज्‍यादातर बुजुर्गों में ही देखी जाती है। कई कारणों से आर्थराइटिस हो सकता है और यह अनुवांशिक भी हो सकता है।

आर्थराइटिस कई प्रकार का होता है, जैसे कि :

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस : यह सबसे आम प्रकार का आर्थराइटिस है। आमौर पर यह महिलाओं और 45 से अधिक उम्र की महिलाओं में देखा जाता है। यह सबसे ज्‍यादा पीठ, घुटनों, कूल्‍हों और हाथों को प्रभावित करता है। अगर आप ओवरवेट हैं तो आपको यह समस्‍या होने की ज्‍यादा संभावना है।
  • गठिया : यह आर्थराइटिस का एक इंफ्लामेट्री प्रकार है जो कि शरीर में अधिक यूरिक एसिड जमने पर होता है। अत्‍यधिक यूरिक एसिड जोड़ों में और इसके आसपास क्रिस्‍टल बनाता है जिससे प्रभावित जोड़ में दर्दभरी सूजन और लालिमा के साथ जोड़ वाली स्किन के ऊपर खुजली और स्किन उतरने-सी लगती है। आमतौर पर गठिया पैर के अंगूठे को प्रभावित करता है लेकिन यह अन्‍य जोड़ों पर भी असर डाल सकता है। जोड़ों में कैल्शियम क्रिस्‍टलों के अपनी जगह से हटने पर नकली गठिया होता है।
  • रुमेटाइड आर्थराइटिस : यह ऑटोइम्‍यून इंफ्लामेट्री स्थिति है जो इम्‍यून सिस्‍टम के जोड़ों पर अटैक करने और उन्‍हें नुकसान पहुंचाना शुरू करने पर होती है। सामान्‍य तौर पर इम्‍यून सिस्‍टम संक्रामक माइक्रोब्‍स से लड़ता है और आपको बीमारियों से बचाता है।
    यह एक ऑटोइम्‍यून स्थिति है, हालांकि, आपका इम्‍यून सिस्‍टम शरीर के स्‍वस्‍थ ऊतकों पर अटैक करना शुरू कर देता है। इससे सूजन आ जाती है। महिलाओं में रुमेटाइड आर्थराइटिस एक आम समस्‍या है और आमतौर पर यह 40 से 60 साल की उम्र के बीच होती है।
  • एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस : इसकी वजह से रीढ़ की हड्डी में सूजन और दर्द होता है। यह समस्‍या पुरुषों में होती है और 20 से 30 साल की उम्र के बीच प्रभावित करती है।
  • सोरियाटिक आर्थराइटिस : यह भी एक ऑटोइम्‍यून स्थिति है जो सोरायसिस से ग्रस्‍त लोगों में देखी जाती है।
  • जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस : अगर आपको 16 साल की उम्र से पहले आर्थराइटिस हो जाए तो इसे जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस कहते हैं। इसके कई प्रकार होते हैं और यह एक ऑटोइम्‍यून स्थिति है।

आर्थराइटिस का पता लगाने के लिए आर्थराइटिस टेस्‍ट किया जाता है। इसमें निम्‍न टेस्‍ट आते हैं :

एरिथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट (ईएसआर), सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी), एंटी-स्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ, कैल्शियम, फास्‍फोरस, रुमेटाइड फैक्‍टर, यूरिक एसिड और विटामिन डी3।

  • ईएसआर : य‍ह एक ब्‍लड टेस्‍ट है जिसमें टेस्‍ट ट्यूब के अंदर लाल रक्‍त कोशिकाओं की सैटलिंग का रेट देखा जाता है। जब लाल रक्‍त कोशिकाओं का सैटलिंग तेज हो जाता है, तो ईएसआर उच्‍च आता है। शरीर में इंफेक्‍शन या सूजन होने पर, खून में अतिरिक्‍त प्रोटीन मौजूद होता है जिससे लाल रक्‍त कोशिकाएं तेजी से सैटल होती हैं।
  • सीआरपी : यह ब्‍लड टेस्‍ट खून में सी-रिएक्टिव प्रोटीन के लेवल को जांचने के लिए किया जाता है। सीआरपी इम्‍यून सिस्‍टम का हिस्‍सा है। इस प्रोटीन का लेवल सूजन या इंफेक्‍शन होने पर बढ़ता है।
  • एंटीस्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ : यह ब्‍लड टेस्‍ट स्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ के विरोध में बनने वाली एंटीबॉडीज को मापता है। स्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ एक केमिकल है जो ग्रुप एक स्‍ट्रेप्‍टोकोकस बैक्‍टीरिया के ग्रुप द्वारा बनता है। पोस्‍ट स्‍ट्रेप्‍टोकोकल रिएक्टिव आर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जो स्‍ट्रेप्‍टोकोकल इंफेक्‍शन के बाद हो सकती है।
  • कैल्शियम : शरीर में कैल्शियम की मात्रा को जांचने के लिए यह ब्‍लड टेस्‍ट किया जाता है। इससे हड्डियों को बीमारियों का पता लगाने और उन पर नजर रखने में मदद मिलती है।
  • फास्‍फोरस : खून में फास्‍फेट यानि फास्‍फोरस के लेवल को जांचने के लिए यह ब्‍लड टेस्‍ट किया जाता है। फास्‍फोरस हड्डियों और दांतों को ठीक करने और बनाने में मदद करता है। शरीर में कैल्शियम बढ़ने पर फास्‍फेट का स्‍तर गिरने लगता है। शरीर में पैराथायराइड हार्मोन फास्‍फेट के लेवल को संयमित करता है।
  • आरएफ टेस्‍ट : रुमेटाइड फैक्‍टर टेस्‍ट रुमेटाइड आर्थराइटिस का पता लगाने के लिए किया जाता है। आरएफ एक एंटीबॉडी है जो रुमेटाइड आर्थराइटिस में सूजन होने की प्रतिक्रिया के रूप में बढ़ता है। आरएफ रुमेटाइड आर्थराइटिस नहीं करता है बल्कि यह सूजन की वजह से बढ़ता है।
  • यूरिक एसिड : यह एक ब्‍लड टेस्‍ट है जो यूरिक एसिड की मात्रा चेक करने के लिए किया जाता है। इस दर्दभरी सूजन को गठिया कहते हैं।
  • विटामिन डी3 : विटामिन डी ब्‍लड टेस्‍ट खून में विटामिन डी के लेवल का पता लगाने के लिए किया जाता है। विटामिन डी दो रूपों में होता है : विटामिन डी2 और विटामिन डी3।
    धूप और अंडे, सैल्‍मन और ट्यूना जैसे खाद्य पदार्थों से शरीर में विटामिन डी3 बनता है। विटामिन के दोनों ही रूप शरीर में 25-हाइड्रॉक्‍सीविटामिन डी में बदलता है। इसकी कमी हड्डी में विकारों का संकेत हो सकता है।
  1. आर्थराइटिस टेस्ट क्‍यों किया जाता है - Arthritis Test karne ka kaaran
  2. टेस्ट से पहले की तैयारी - Arthritis Test se pahle ki taiyari
  3. टेस्‍ट कैसे किया जाता है - Arthritis test karne ka tarika
  4. लैब टेस्ट के परिणाम और नार्मल रेंज - Arthritis test results and normal range in Hindi

आर्थराइटिस के लक्षण दिखने पर डॉक्‍टर आर्थराइटिस टेस्‍ट लिख सकते हैं। इसके कुछ लक्षण हैं :

  • कम से कम एक जोड़ में अकड़न होना।
  • किसी एक जोड़ को ठीक से न हिला पाना।
  • कम से कम किसी एक जोड़ में सूजन होना।
  • एक या इससे ज्‍यादा जोड़ों में बार-बार या लगातार दर्द होना।
  • कम से कम किसी एक जोड़ में गर्माई और लालिमा होना।

आर्थराइटिस के प्रकार के आधार पर, आपके लक्षण अलग हो सकते हैं :

रुमेटाइड आर्थराइटिस के निम्‍न लक्षण हैं :

  • जोड़ में दर्द
  • जोड़ों के ऊपर सूजन होना
  • दर्द की वजह से जोड़ को हिलाने में दिक्‍कत आना
  • रोजमर्रा के काम जैसे जूते बांधना, जार खोलना या कमीज के बटन खोलने में दिक्‍कत आना।
  • खासतौर पर सुबह के समय अकड़न होना
  • थकान और एनर्जी में कमी
  • कभी-कभी बुखार चढ़ना

गठिया में निम्‍न लक्षण दिख सकते हैं :

  • बहुत ज्‍यादा दर्द होना
  • सूजन
  • जलन
  • छूने पर दर्द होना
  • जोड़ के ऊपर की स्किन चमकना जिससे वो थोड़ी-सी छिलने भी लगे।

ऑस्टियोआर्थराइटिस इस रूप में हो सकता है :

  • प्रभावित जोड़ों में दर्द और अकड़न
  • जोड़ों में सूजन
  • क्रेपिटस : प्रभावित जोड़ों को हिलाने पर कड़कने की आवाज आना
  • जोड़ के आसपास की मांसपेशियों का खराब होना
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टेस्‍ट के लिए आधी बाजू की कमीज या टी-शर्ट पहनकर जाएं। कोई दवा जैसे कि डॉक्‍टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दवा, जड़ी बूटी, विटामिन या सप्‍लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्‍टर को बताएं।

एस्प्रिन, स्‍टेरॉइड और नॉन स्‍टेरॉइडल एंटी-इंफ्लामेट्री दवाओं से सीआरपी लेवल कम हो सकता है। लिथिअम, थाइरॉक्सिन, विटामिन डी, थियाजिड मूत्रवर्द्धक और कैल्शियम सॉल्‍ट कैल्शियम के टेस्‍ट के रिजल्‍ट को प्रभावित कर सकता है।

एंटासिडों, रेचकों और मूत्रवर्द्धकों से फास्‍फोरस टेस्‍ट रिजल्‍ट पर असर पड़ सकता है। डायलिसिस भी फास्‍फोरस के लेवल पर असर डाल सकता है। हो सकता है कि डॉक्‍टर इनमें से कुछ दवाओं को बदल दें या टेस्‍ट से पहले लेने से मना कर दें।

एस्प्रिन, कैफीन, शराब, मूत्रवर्द्धकों, सिस्‍प्‍लेटिन, लेवोडोपा, एस्‍ट्रोजन, ग्‍लूकोज, मैनिटोल, वार्फरिन, कोर्टिकोस्‍टेरॉइड आदि यूरिक एसिड टेस्‍ट के रिजल्‍ट को प्रभावित कर सकता है।

इस टेस्‍ट से पहले निम्‍न रूप से तैयार हुआ जाता है :

टेस्‍ट से कुछ घंटे पहले या एक रात पहले व्रत रखना पड़ सकता है।

प्रेग्‍नेंसी, माहवारी या टेस्‍ट से पहले फैट वाला खाना खाने से ईएसआर का लेवल बढ़ सकता है। टेस्‍ट से पहले इन चीजों के बारे में डॉक्‍टर को बताएं।

सिगरेट पीने, डायबिटीज और एक्‍सरसाइज की कमी से सीआरपी बढ़ सकता है।

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अधिक मात्रा में दूध और डेयरी उत्‍पादों से शरीर में कैल्शियम का लेवल बढ़ सकता है। चीज, मछली, चॉकलेट, बीयर और कोला से शरीर में फास्‍फोरस का लेवल हिल सकता है।

कठिन एक्‍सरसाइज करने और जिन खाद्य पदार्थों में प्‍यूरिन की मात्रा ज्‍यादा होती है, जैसे कि मशरूम, सूखे मटर और बींस से यूरिक एसिड के लेवल पर असर पड़ सकता है। इसलिए टेस्‍ट से पहले डॉक्‍टर इन चीजों को न खाने की सलाह दे सकते हैं।

आर्थराइटिस के सभी टेस्‍ट ब्‍लड टेस्‍ट से किए जाते हैं। लैब टैक्‍नीशियन बांह की नस में एक साफ सुई डालकर थोड़ा खून निकाल लेंगे।

सुई घुसने पर चुभने वाला दर्द हो सकता है। इसके अलावा आपको और कुछ महसूस नहीं होगा। सुई वाली जगह पर इंफेक्‍शन के मामले बहुत कम देखे गए हैं।

अगर टेस्‍ट के दौरान या बाद में आपको चक्‍कर आ रहे हैं या ठीक महसूस नहीं हो रहा है, तो डॉक्‍टर को बताएं।

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नार्मल रिजल्‍ट :

नॉर्मल वैल्‍यू इस तरह है :

  • ईएसआर :
    • बच्‍चों में 0 से 10 मिलीमीटर प्रति घंटा
    • 50 साल से कम उम्र के पुरुषों में 0 से 15 मिलीमीटर प्रति घंटा
    • 50 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में 0 से 20 मिलीमीटर प्रति घंटा
    • 50 साल से कम उम्र की महिलाओं में 0 से 20 मिलीमीटर प्रति घंटा
    • 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में 0 से 30 मिलीमीटर प्रति घंटा
  • सीआरपी :
    • प्रति लीटर 10 मिलीग्राम के अंदर
    • एंटी-स्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ :
    • 5 साल से कम उम्र में : 0 से 99 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिलीमीटर
    • 5 से 15 साल : 0 से 249 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिलीमीटर
    • वयस्‍क : 0 से 199 इंटरनेशनल यूनिट प्रति मिलीमीटर
    • कैल्शियम : 8.5 से 10.2 मिलीग्राम प्रति डेसिलीटर
  • फास्‍फोरस :
    • .7 से 4.6 मिलीग्राम प्रति डेसिलीटर
  • आरएफ :
    • 60 यूनिट प्रति मिलीमीटर से कम वैल्‍यू होना
  • यूरिक एसिड
    • 3.5 से 7.2 मिलीग्राम प्रति डेसिलीटर
  • विटामिन डी :
    • 30 से 60 नैनोग्राम प्रति मिलीमीटर

असामान्‍य रिजल्‍ट :

अगर ईएसआर और सीआरपी बहुत ज्‍यादा हैं, तो इसका मतलब है कि शरीर में सूजन है। एंटीस्‍ट्रेप्‍टोलिसन ओ का लेवल बढ़ने का मतलब है कि एक्‍यूट रुमेटिक फीवर है। रुमेटिक फीवर होने वाले 80 पर्सेंट से ज्‍यादा लोगों में इसका लेवल हाई पाया जाता है।

यूरिक एसिड बढ़ने का मतलब गठिया है।

यदि आरएफ बढ़ा हुआ है तो यह रुमेटाइड आर्थराइटिस का संकेत है।

फास्‍फेट लेवल का बढ़ने और कैल्शियम का लेवल घटने का संकेत रुमेटाइड आर्थरा‍इटिस हो सकता है।

नोट : पूर्ण और सटीक निदान करने के लिए सभी परिणामों को रोगी की शिकायतों के साथ चिकित्सकीय रूप से सहसंबद्ध होना चाहिए। उपरोक्त जानकारी विशुद्ध रूप से शैक्षिक दृष्टिकोण से प्रदान की गई है और किसी भी तरह से किसी योग्य चिकित्सक की चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।

संदर्भ

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