नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए रैपिड एंटीबॉडी किट्स की काफी चर्चा है। हालांकि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) समेत ज्यादातर मेडिकल विशेषज्ञ आरटी-पीसीआर टेस्ट को ही संक्रमण की पुष्टि के लिए सबसे कारगर तकनीक बता रहे हैं। इस टेस्ट में गले या नाक से एक स्वैब के जरिये सैंपल लिया जाता है। लेकिन टेस्टिंग की इस प्रक्रिया में आने वाला खर्च बहस का मुद्दा बना हुआ है। हाल में इस मुद्दे ने तब और जोर पकड़ लिया था, जब सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में कहा था कि देश के सभी निजी चिकित्सा संस्थानों में कोविड-19 के संदिग्धों की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग मुफ्त होनी चाहिए। हालांकि बाद में कोर्ट ने अपनी इस टिप्पणी में संशोधन कर दिया था।

बहरहाल, यहां बता दें कि कोविड-19 के हरेक आरटी-पीसीआर टेस्ट में 4,500 रुपये का खर्च आता है। सरकार द्वारा किए जा रहे ऐसे टेस्ट मुफ्त हैं, लेकिन निजी लैबों में ऐसा नहीं है और हर व्यक्ति वहां जाकर इतने पैसे खर्च नहीं कर सकता। यह बड़ी वजह है कि भारत समेत कई देशों में पूल टेस्टिंग जैसे तरीके अपनाए जा रहे हैं। हालांकि आरटी-पीसीआर टेस्ट के खर्च से जुड़ी समस्या को कुछ कम करने के लिए कर्नाटक सरकार ने निजी लैबों के साथ समझौता किया है। इसके तहत कोविड-19 की पीसीआर टेस्टिंग की कीमत आधी यानी 2,250 रुपये किए जाने का दावा किया गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीती 17 अप्रैल को कर्नाटक सरकार ने बताया था कि राज्य में कुछ निजी डायग्नोस्टिक लैबों में 2,250 रुपये में कोविड-19 की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की जा रही है।

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टेस्टिंग की कीमत कैसे हो सकती है आधी?
अब सवाल उठता है कि कर्नाटक सरकार ने यह कैसे किया। इस बारे में रिपोर्ट कहती है कि टेस्टिंग से जुड़ी आपूर्ति को सहज बनाकर कर और आरटी-पीसीआर टेस्ट किट्स के दाम (कोविड-19 टेस्ट का एक तिहाई है) में कमी करके राज्य सरकार ने कोविड-19 टेस्ट की लागत आधी कर दी। यहां बता दें कि आईसीएमआर ने कोविड-19 की टेस्ट किट की आपूर्ति के लिए देश-विदेश की 16 कंपनियों को स्वीकृति प्रदान की हुई है। यह बड़ी वजह है कि टेस्टिंग की लागत इतनी ज्यादा है।

जानी-मानी पैथॉलजी लैब 'न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स' के अध्यक्ष जीएसके वेलु का कहना है, 'जिन टेस्ट किट का दाम 1,500 रुपये से शुरू होता है, उन्हें अब 800 रुपये में मुहैया कराया जा रहा है। 2,500 रुपये में टेस्ट करके किसी लैब को घाटा नहीं होगा, बल्कि उन्हें लाभ ही होगा। जबकि 4,500 रुपये का टेस्ट किसी भी अन्य सामान्य टेस्ट जैसा होगा।'

वेलु के मुताबिक, अभी हो रहे परीक्षणों दो तरह से समझने की जरूरत है। वे कहते हैं, 'पहला कि सभी फायदा चाहते हैं, क्योंकि हमारा पारंपरिक व्यवसाय 80 प्रतिशत से नीचे है। लेकिन इसे देखने का एक और तरीका यह है कि हमें कोविड-19 महामारी के बीच नफा या नुकसान के बारे में नहीं सोचना चाहिए। यही वजह है कि हम अपने चेन्नई, बेंगलुरु और पुणे स्थित प्रयोगशालाओं में गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए कोविड-19 का टेस्ट फ्री करेंगे।'

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वहीं, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े गैर-सरकारी संगठन 'ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क' (एआईडीएएन) ने भी सभी लोगों के लिए मुफ्त परीक्षण की बात की है। हालांकि टेस्टिंग की कीमत को लेकर बाकी प्रयोगशालाओं का अलग तर्क है। 'आइगैनेटिक डायग्नोस्टिक्स' के संस्थापक और प्रबंध निदेशक अरुणिमा पटेल का कहना है, ‘हम हैरान हैं कि कर्नाटक की निजी प्रयोगशालाओं ने 2,250 रुपये में परीक्षण करने की पेशकश को कैसे स्वीकार किया, जबकि देश में परीक्षण किट और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की उपलब्धता में कमी आई है। लेकिन कीमतों में निश्चित रूप से कमी नहीं आई।’

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