स्तन कैंसर महिलाओं के लिए बुरे सपने की तरह हैं। हाल के सालों में महिलाओं में स्तन कैंसर की समस्या बढ़ी है। इसलिए डॉक्टर 30 साल की उम्र से अधिक की महिलाओं को हर साल अपने स्तनों की जांच के लिए एक्स-रे (मैमोग्राम) करवाने की सलाह देते हैं ताकि बीमारी का जल्द से जल्द पता लगा कर इसका उपचार किया जा सके। अभी तक स्तन में कैंसर की जांच के लिए मैमोग्राफी को ही जाना जाता है। लेकिन एक नई रिसर्च से इस बात की पुष्टि हुई है कि मैमोग्राम से की जाने वाली जांच 100 प्रतिशत सटीक नहीं होती है और एक एमआरआई स्कैन से स्तन में कैंसर का पता चल सकता है।
(और पढ़ें - एमआरआई स्कैन)
बायोमार्कर की पहचान करता है एमआरआई स्कैन
अमेरिका स्थित 'मेमोरियल स्लोन केटेरिंग कैंसर सेंटर' में किए गए शोध में पाया गया कि स्तन कैंसर के बायोमार्कर में बदलाव का आकलन एमआरआई स्कैन से किया जा सकता है। इससे इस बीमारी की जांच और जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। बायोमार्कर ऐसे लक्षण हैं जिनसे शरीर के किसी भी अंग या ऊतकों के स्वस्थ या उनमे होने वाली गड़बड़ी का पता लगाया जा सकता है।
(और पढ़ें - एक्स-रे कैसे होता है)
इस अध्ययन में 141 महिलाओं को शामिल किया गया था जिनकी सोनोग्राफी और मैमोग्राफी के बाद ब्रैस्ट में ट्यूमर नहीं पाया गया। हालांकि उनके स्तनों में गांठ थी। इन मरीजों के स्तनों का एमआरआई के साथ पीईटी (पॉजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी) भी किया गया। इसमें सभी मरीजों की जांच के बाद ट्यूमर फ्री ब्रेस्ट वाली महिलाओं में कई तरह के इमेजिंग बायोमार्कर पाए गए जिनमें बैकग्राउंड पैरेन्काइमल एनहांसमेंट (बीपीए), ब्रेस्ट पैरेन्काइमा अपटेक (बीपीयू) और फाइब्रोग्लैंडुलर टिश्यू थे।
रिसर्च के परिणाम में लेथनर ने बताया कि जिस तरह हाइब्रिड पीईटी और एमआरआई को तेजी से क्लिनिकल प्रैक्टिस में इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे ये एक साथ कई इमेजिंग बायोमार्करों का आकलन और निगरानी करने में मदद कर सकते हैं।