हार्मोंस केमिकल होते हैं, जो रक्त के माध्यम से अंगों, मांसपेशियों और टिश्यू तक संदेश ले जाने का काम करते हैं. साथ ही अंगों, मांसपेशियों और टिश्यू के बीच एक कॉडिनेटर का काम भी करते हैं. हार्मोन शरीर को बताते हैं कि कब क्या करना है. वैसे तो हमारे शरीर में कई हार्मोंस होते हैं. सभी हार्मोंस के अलग-अलग कार्य होते हैं, लेकिन हम लेप्टिन हार्मोन की बात कर रहे हैं, जिसकी खोज 1994 में की गई थी.

आज इस लेख में आप लेप्टिन हार्मोन के कार्य और स्तर के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. लेप्टिन हार्मोन क्या है?
  2. लेप्टिन हार्मोन के कार्य
  3. वजन का लेप्टिन के स्तर पर प्रभाव
  4. लेप्टिन हार्मोन के स्तर
  5. लेप्टिन का कम स्तर
  6. लेप्टिन का अधिक स्तर
  7. सारांश
लेप्टिन हार्मोन क्या है, कार्य व स्तर के डॉक्टर

लेप्टिन एक प्रकार का हार्मोन है. इस हार्मोन को व्हाइट फैट टिश्यू (सफेद वसा ऊतकों) द्वारा रिलीज किया जाता है. यह टिश्यू आपकी त्वचा के नीचे, आंतरिक अंगों के आस-पास और हड्डियों में स्थित होता है.

आपको बता दें कि लेप्टिन रक्त में पाया जाता है. रक्त में मौजूद लेप्टिन का स्तर सीधे तौर पर शरीर में फैट की मात्रा से संबंधित होता है. जिन लोगों के शरीर में फैट कम होता है, उनके शरीर में लेप्टिन का स्तर कम हो सकता है. वहीं, जिन लोगों के शरीर में फैट अधिक होता है, उनके शरीर में लेप्टिन का स्तर अधिक हो सकता है.

लेप्टिन हार्मोन खाना खाने के बाद तृप्ति की अनुभूति प्रदान करता है, जिससे भूख नियंत्रित होती है. यानी यह हार्मोन बताता है कि आपका पेट भर गया है. ऐसे में यह हार्मोन वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है.  

कई बार लोगों को लेप्टिन प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है. यह वह स्थिति होती है, जिसमें लेप्टिन हार्मोन सही तरीके से काम नहीं कर पाता है. इसमें आपको बार-बार भूख लग सकती है, खाने के बाद भी आपको तृप्ति नहीं मिल पाती है, जिसकी वजह से आप अधिक खा सकते हैं. इससे आपका वजन बढ़ सकता है.

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लेप्टिन एक हार्मोन है, जिसका मुख्य कार्य भोजन का सेवन करने और ऊर्जा के उपयोग के बीच संतुलन को बनाए रखने का होता है.

दरअसल, लेप्टिन हार्मोन मस्तिष्क को खाना खाने के दौरान एक संकेत भेजता है कि आपका पेट भर चुका है. इसके बाद व्यक्ति खाना खाना बंद कर देता है यानी लेप्टिन हार्मोन आपको पूर्ण और भोजन के प्रति तृप्ति महसूस करवाने का काम करता है. यह हार्मोन व्यक्ति में भोजन में कम रुचि महसूस करवाने का काम करता है. इसलिए, इसे तृप्ति हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है.

इसके अलावा, लेप्टिन हार्मोन शरीर में फैट को ऊर्जा में बदलने का भी काम करता है यानी यह हॉर्मोन फैट को ऊर्जा में बदलता है और व्यक्ति को एनर्जी प्रदान करता है.

लेप्टिन भूख को रोकने में मदद करता है. साथ ही ऊर्जा के संतुलन को भी नियंत्रित करता है. आपको बता दें कि लेप्टिन हार्मोन मुख्य रूप से भूख और ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करता है. इसके लिए लेप्टिन हार्मोन मस्तिष्क तंत्र और हाइपोथैलेमस पर कार्य करता है.

हालांकि, लेप्टिन हार्मोन भूख के स्तर और भोजन के सेवन को प्रभावित नहीं करता है. यह सिर्फ आपके वजन को बनाए रखने में मदद करता है.

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वजन लेप्टिन हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि जैसे-जैसे शरीर में फैट कम होता जाता है, लेप्टिन का स्तर भी कम होता रहता है. इस स्थिति में यह हार्मोन आपके मस्तिष्क को संकेत देता है कि आपको भूख लगी है. यह स्थिति भूख को बढ़ा सकती है. साथ ही इस स्थिति में व्यक्ति अधिक खाना खा सकता है. इसके विपरीत जब शरीर में फैट बढ़ता है, तो लेप्टिन का स्तर अधिक हो सकता है. वैज्ञानिक लेप्टिन हार्मोन पर अभी भी कार्य कर रहे हैं. कई शोधकर्ताओं का मानना है कि लेप्टिन हार्मोन मेटाबॉलिज्मइम्यून सिस्टम और एंडोक्राइन सिस्टम के कार्य को भी प्रभावित कर सकता है.

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लेप्टिन हार्मोन का स्तर संतुलित होना जरूरी होता है. लेप्टिन का स्तर निम्न होना चाहिए -

  • जन्म के समय महिला में लेप्टिन का स्तर: 0.5 - 15.2 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर
  • जन्म के समय पुरुष में लेप्टीन का स्तर: 0.5 - 12.5 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर

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अगर लेप्टिन हार्मोन का स्तर कम होता है, तो इसे हाइपोलेप्टिनमिया के रूप में जाना जाता है. यह स्थिति बहुत ही कम लोगों में देखने को मिलती है. लेप्टिन का कम स्तर जेनेटिक हो सकता है यानी इस स्थिति के साथ एक बच्चा जन्म ले सकता है. लेप्टिन की कमी होने पर व्यक्ति को तेज भूख लग सकती है. इसकी वजह से मोटापा बढ़ सकता है. साथ ही बच्चों में प्यूबर्टी में भी देरी हो सकती है. लेप्टिन का कम स्तर होने पर इन दिक्कतों से परेशान होना पड़ सकता है -

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अगर किसी व्यक्ति के रक्त में लेप्टिन की मात्रा अधिक होती है, तो उसे मोटापे का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, यह लेप्टिन के प्रति संवेदनशीला की कमी का कारण बन सकता है. इसे लेप्टिन प्रतिरोध या हाइपरलेप्टिनमिया के रूप में जाना जाता है. लेप्टिन का स्तर अधिक होने पर निम्न दिक्कतें हो सकती हैं -

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लेप्टिन हार्मोन की खोज कुछ वर्ष पहले ही की गई है. इस हार्मोन के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अभी भी कई शोध चल रहे हैं. आपको बता दें कि लेप्टिन हार्मोन को फैट टिश्यू बनाता है और छोड़ता है. इसलिए, यह फैट से पूरी तरह से संबंधित होता है. लेप्टिन हार्मोन वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद कर सकता है, क्योंकि यह हार्मोन खाने के बाद तृप्ति का अनुभव करवाता है, जिससे अधिक खाने से बचा जा सकता है और वजन नियंत्रण में रह सकता है. अगर आप ओवरइटिंग करते हैं, तो यह लेप्टिन के अधिक स्तर के कारण हो सकता है. ऐसे में आप एक बार डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं.

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