हमारी शारीरिक कार्यप्रणाली व अच्छी सेहत के लिए हार्मोन जरूरी होते हैं. ये शरीर में केमिकल मैसेंजर के रूप में काम करते हैं. हार्मोन मेटाबॉलिज्म व भूख समेत शरीर के लगभग सभी शारीरिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा, हार्मोन शरीर के वजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कई ऐसे हार्मोन हैं, जो वजन को सामान्य रखने के लिए जरूरी होते हैं. जब इन हार्मोन का स्तर कम या अधिक होता है, तो वजन प्रभावित होने लगता है.

आज इस लेख में आप वजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न हार्मोन के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. वजन को प्रभावित करने वाले 9 हार्मोन
  2. सारांश
वजन को प्रभावित करने वाले हार्मोन के डॉक्टर

हार्मोन हमारे वजन को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए, वजन को सामान्य रखने के लिए हार्मोन का संतुलन में रहना जरूरी होता है. वैसे तो सभी हार्मोंस का संतुलन में रहना जरूरी है, लेकिन अगर वजन की बात करें, तो 9 हार्मोन वजन प्रभावित कर सकते हैं. वजन को प्रभावित करने वाले हार्मोंस इस प्रकार हैं -

इंसुलिन हार्मोन

इंसुलिन शरीर में एक मुख्य भंडारण हार्मोन है. इंसुलिन हार्मोन अग्न्याशय द्वारा निर्मित होता है. स्वस्थ व्यक्तियों में इंसुलिन ग्लूकोज के भंडारण को बढ़ावा देता है यानी ग्लूकोज को स्टोर करता है. आपको बता दें कि शरीर भोजन के बाद अधिक मात्रा में इंसुलिन रिलीज करता है, लेकिन कई बार शरीर इंसुलिन हार्मोन का पर्याप्त उत्पादन नहीं कर पाता है या फिर इंसुलिन सही तरीके से कार्य नहीं कर पाता है. इस स्थिति को इंसुलिन प्रतिरोध के रूप में जाना जाता है.

जब कोई व्यक्ति इंसुलिन प्रतिरोध होता है, तो उसका ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है, क्योंकि इस स्थिति में इंसुलिन हार्मोन ग्लूकोज को कोशिकाओं तक नहीं ले जा पाता है. इस स्थिति में व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ सकता है. उसे मोटापे से परेशान होना पड़ सकता है. इंसुलिन प्रतिरोध मोटापे समेत डायबिटीज और हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकता है. 

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लेप्टिन हार्मोन

लेप्टिन हार्मोन हाइपोथैलेमस (मस्तिष्क का वह भाग, जो भूख को नियंत्रित करता है) को बताकर काम करता है कि आपका पेट भरा हुआ है. आपको बता दें कि मोटापे से ग्रस्त लोग लेप्टिन प्रतिरोध का अनुभव कर सकते हैं. इस स्थिति में मस्तिष्क तक यह संदेश नहीं पहुंच पाता है कि खाना बंद करना है यानी पेट भर गया है. इससे आप अधिक खा सकते हैं और फिर आपका वजन बढ़ सकता है.

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घ्रेलिन हार्मोन

घ्रेलिन भी भूख से संबंधित हार्मोन है. यह हार्मोन भी हाइपोथैलेमस को संदेश भेजता है कि आपका पेट खाली हो गया है और आपको अधिक खाना खाने की जरूरत है यानी घ्रेलिन हार्मोन का मुख्य कार्य भूख को बढ़ाना है. आपको बता दें कि खाने से पहले घ्रेलिन का स्तर अधिक होता है और भोजन के बाद कम हो सकता है. जिन लोगों में घ्रेलिन का स्तर अधिक होता है, उन्हें भूख ज्यादा लग सकती है और फिर मोटापा हो सकता है.

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कोर्टिसोल हार्मोन

कोर्टिसोल को तनाव हार्मोन के रूप में जाना जाता है. यह हार्मोन अधिवृक्क यानी एड्रेनालाईन ग्रंथियों द्वारा निर्मित होता है. जब किसी व्यक्ति में कोर्टिसोल का स्तर अधिक होता है, तो यह मोटापे का कारण बन सकता है. दरअसल, जब किसी व्यक्ति में कोर्टिसोल अधिक होता है, तो व्यक्ति तनाव और चिंता में आने लगता है. ऐसे में वजन बढ़ सकता है. तनाव होने पर हृदय रोग, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम भी बढ़ा सकता है. आपको बता दें कि मोटापा कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाता नहीं है, बल्कि कोर्टिसोल का अधिक स्तर वजन को बढ़ा सकता है.

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एस्ट्रोजन हार्मोन

एस्ट्रोजन एक सेक्स हार्मोन है. यह महिलाओं की प्रजनन प्रणाली और प्रतिरक्षा के लिए जरूरी होता है. प्रेगनेंसी और मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव होता रहता है. जिन लोगों में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक होता है, वे अक्सर मोटापे से ग्रस्त होते हैं. इसके अलावा, एस्ट्रोजन हार्मोन कैंसर और अन्य क्रोनिक बीमारियों के बढ़ते जोखिम से भी जुड़ा होता है.

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न्यूरोपेप्टाइड वाई

न्यूरोपेप्टाइड वाई (एनपीवाई) एक हार्मोन है. यह मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम में कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है. यह हार्मोन भूख को बढ़ाता है. ऐसे में जब न्यूरोपेप्टाइड वाई हार्मोन का स्तर तेज होता है, तो भूख और वजन बढ़ सकता है. कई शोधों से पता चला है कि एनपीवाई मोटापे का कारण बन सकता है.

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ग्लूकागन जैसा पेप्टाइड -1

ग्लूकागन जैसा पेप्टाइड-1 (जीएलपी-1) आंत में बनने वाला हार्मोन है. जब भोजन से मिलने वाले पोषक तत्व आंतों में पहुंचते हैं, तो यह हार्मोन ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर रखने का काम करते हैं. यह हार्मोन पेट को भरा हुआ भी महसूस कराने में अहम भूमिका निभाता है. शोध बताते हैं कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में ग्लूकागन जैसा पेप्टाइड 1 का स्तर अधिक हो सकता है.

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कोलीसिस्टोकाइनिन

कोलीसिस्टोकाइनिन आंतों में कोशिकाओं द्वारा निर्मित होता है. यह हार्मोन भोजन के बाद आंतों की कोशिकाओं में बनता है. यह हार्मोन पाचन और अन्य शारीरिक कार्यों के लिए जरूरी होता है. जो लोग मोटापे से ग्रस्त होते हैं, उन लोगों में कोलीसिस्टोकाइनिन के प्रभावों के प्रति संवेदनशीलता कम हो सकती है, इससे व्यक्ति ओवरइटिंग कर सकता है. इससे वजन बढ़ने लगता है.

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पेप्टाइड YY

पेप्टाइड YY भी एक अन्य आंत हार्मोन है. यह भूख को कम करता है. जब पेप्टाइड YY का स्तर कम होता है, तो इससे भूख अधिक लग सकती है. इससे आप ओवरइटिंग कर सकते हैं. जब कोई व्यक्ति अधिक खाता है, तो वजन भी बढ़ सकता है और मोटापा हो सकता है.

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वजन को नियंत्रित रखने के लिए नियमित रूप से Myupchar Ayurveda Medarodh का सेवन करने से फायदा हो सकता है -

हार्मोन हमारे शरीर के लिए जरूरी होता है. वजन के लिए भी हार्मोन अहम भूमिका निभाते हैं. जब किसी व्यक्ति में हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो वजन भी प्रभावित हो सकता है. इसलिए, अगर आप वजन को कंट्रोल में रखना चाहते हैं, तो हार्मोन का संतुलन में होना जरूरी होता है. हार्मोन को संतुलन में रखने के लिए अच्छी डाइट लें. इसके लिए एक्सरसाइज और योग करें. साथ ही अच्छी नींद लें.

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