इस वक्त दुनियाभर में सिर्फ एक ही चीज की चर्चा हो रही है और वो है कि आखिर ये कोरोना वायरस कब खत्म होगा। वैश्विक स्तर पर रोजाना लाखों लोग नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं और मृतकों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में बाकी लोगों की ही तरह वे महिलाएं जो इस वक्त गर्भवती हैं उनके मन में इस बात को लेकर डर अधिक होगा कि कहीं वे कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित न हो जाएं और इसका असर उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर न पड़े।

तो क्या गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 संक्रमण होने पर गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा अधिक है? इसका जवाब हां या ना में सीधे तौर पर देना संभव नहीं है क्योंकि इस बारे में अब तक बहुत ज्यादा रिसर्च और स्टडी नहीं हुई है। ब्रिटेन में हुई एक प्रारंभिक स्टडी के मुताबिक गर्भवती महिला अगर कोविड-19 इंफेक्शन से संक्रमित हो जाती है तो उन्हें गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा सामान्य महिलाओं जैसा ही है। लेकिन गर्भावस्था के अंतिम दिनों में होने वाला संक्रमण गंभीर हो सकता है।

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ब्रिटेन में ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और रॉयल कॉलेज ऑफ ऑब्स्ट्रेटिशन्स एंड गाइनैकोलॉजिस्ट्स के अनुसंधानकर्ताओं की टीम ने मिलकर यह स्टडी की जिसमें कोविड-19 संक्रमण की वजह से 1 मार्च से 14 अप्रैल के बीच अस्पताल में भर्ती हुई 427 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया। स्टडी के नतीजों में यह बात सामने आयी कि जिन गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 बीमारी हुई उनमें से 0.5 प्रतिशत महिलाओं को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा और उसमें से भी 10 में सिर्फ 1 गर्भवती महिला को ही आईसीयू में रखने की जरूरत पड़ी। 

इससे यह बात साफ हो गई कि आम आबादी की तुलना में गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 के गंभीर लक्षण होने का खतरा अधिक नहीं है। हालांकि ज्यादातर गर्भवती महिलाएं जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा वे सभी 6 महीने से अधिक गर्भवती थीं। यह पॉइंट भी इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही (6 से 9 महीने) में भी महिलाओं को ज्यादा सतर्क रहने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की जरूरत है। 

यूके की इस स्टडी के अलावा स्वीडन में हुई एक दूसरी स्टडी में 53 महिलाओं का विश्लेषण किया गया जिसमें यह बात सामने आयी कि कोविड-19 से संक्रमित वैसी महिलाएं जो गर्भवती नहीं थीं उनकी तुलना में उसी उम्र की गर्भवती महिला जो कोविड-19 से संक्रमित थी उसे आईसीयू में भर्ती करने का खतरा 5 गुना अधिक था। आईसीयू में भर्ती ये सभी 53 महिलाएं 20 से 45 साल के बीच की थीं जिनमें 13 गर्भवती महिलाएं और प्रसवोत्तर (पोस्टपार्टम) महिलाएं थीं। इनमें गर्भवती महिलाओं का प्रेगनेंसी टर्म 13 से 40 हफ्ते के बीच था।

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29 नॉन-प्रेगनेंट महिलाओं की तुलना में 7 गर्भवती महिलाओं को मेकैनिकल वेंटिलेशन की जरूरत पड़ी। स्वीडन में कोविड-19 मामलों की वजह से गर्भवती या प्रसवोत्तर महिलाओं को आईसीयू में भर्ती करने का पैमाना 1 लाख पर 14.4 था जबकी इसी एज ग्रुप की वैसी महिलाएं जो गर्भवती नहीं थीं उन्हें कोविड-19 की वजह से आईसीयू में भर्ती करने का पैमाना 1 लाख पर 2.5 था। 

इस नई स्टडी को पब्लिक हेल्थ एजेंसी ऑफ स्वीडन की संक्षिप्त रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया जिसमें यह बात सामने आयी कि वैसी महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं उनकी तुलना में गर्भवती और प्रसवोत्तर महिलाओं को कोविड-19 इंफेक्शन होने पर आईसीयू में भर्ती करने की नौबत आ सकती है। लिहाजा गर्भवती महिलाएं जिन्हें पहले से हाइपरटेंशन, गर्भकालीन डायबिटीज या मोटापे का खतरा है उन्हें अतिरिक्त ऐहतियात बरतने की जरूरत है ताकि उन्हें सार्स-सीओवी-2 इंफेक्शन के गंभीर लक्षण न हो जाएं।

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