केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड-19 के असिम्प्टोमैटिक मामलों यानी बिना लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। मंगलवार को कोविड-19 को लेकर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने बताया कि देश में कोविड-19 के ज्यादातर मरीज असिम्प्टोमैटिक हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुतबिक, ऐसे मामलों को (होम) आइसोलेशन और मॉनिटरिंग की मदद से ही नियंत्रित किया जा सकता है। राजेश भूषण ने यह भी कहा कि पूरी तैयारी के साथ टेस्टिंग और वायरस से निपटने की रणनीतियों के साथ काम कर रहे राज्यों को कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए घबराना नहीं चाहिए।

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स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मरीजों की संख्या को घटते सक्रिय मामलों और बढ़ती टेस्टिंग के लिहाज से देखा जाना चाहिए। इसके साथ उन्होंने कहा, 'न तो केंद्र सरकार को और न ही राज्य सरकारों को प्रतिदिन सामने आने वाले पॉजिटिव मामलों को देखकर घबराना चाहिए। हम (असिम्प्टोमैटिक मामलों के लिए) होम आइसोलेशन की सलाह देंगे, जहां नियमित रूप से स्वास्थ्य मानकों के तहत फिजिकली या टेलीफोन के जरिये (मरीजों की) मॉनिटरिंग की जाती है।'

राजेश भूषण ने जोर देकर कहा कि अभी तक केवल एक प्रतिशत कोविड मरीजों को वेंटिलेटर, तीन प्रतिशत से भी कम संक्रमितों को ऑक्सीजन और चार प्रतिशत से कम मरीजों को आईसीयू में शिफ्ट करने की जरूरत पड़ी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी बताया कि कोरोना संक्रमण से उबर चुके मरीजों के लिए कुछ गाइडलाइंस तैयारी की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये दिशा-निर्देश कोरोना वायरस के इलाज से जुड़ी कुछ जटिलताओं से संबंधित हैं, जिनसे मरीजों को परेशानियां होती हैं।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजेश भूषण से पूछा गया कि क्या भारत पर्याप्त टेस्टिंग कर रहा है। इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राज्यों को पॉजिटिविटी रेट देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोविड-19 का पॉजिटिविटी रेट दस प्रतिशत या उससे ज्यादा होता तो और टेस्टिंग करने की जरूरत होती। उन्होंने कहा कि महामारी के फैलने के साथ-साथ भारत की टेस्टिंग रणनीति में बदलाव किए गए हैं, जिससे विशेषज्ञों को और ज्यादा समझ आया है कि इससे कैसे निपटना है। राजेश भूषण की मानें तो प्रतिदिन दस लाख टेस्ट करने का लक्ष्य अंतिम नहीं है। उनके मुताबिक, मामलों की संख्या के हिसाब से टेस्टिंग में बदलाव होते रहेंगे।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के असिम्प्टोमैटिक मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं, नई गाइडलाइंस हो रही तैयार: स्वास्थ्य मंत्रालय है

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