जानी-मानी भारतीय फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज कोविड-19 के इलाज के लिए कैंसर के एक संभावित ड्रग का अंतिम ट्रायल करने जा रही है। 2-डियॉक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) नाम के इस ड्रग के तीसरे चरण के ट्रायल के लिए सरकार के एक एक्सपर्ट पैनल ने डॉ. रेड्डीज को अनुमति दे दी है। इससे पहले 2-डीजी के दूसरे चरण के ट्रायल किए गए थे। कंपनी का दावा है कि इस परीक्षण में दवा से कोविड-19 के मरीजों की हालत में सुधार हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, दरअसल डॉ. रेड्डीज दूसरे चरण के परिणामों के आधार पर कोविड-19 के इलाज के संबंध में 2-डीजी के इस्तेमाल का समर्थन करने की मांग कर रही थी। लेकिन ड्रग नियामक से जुड़ी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) ने इससे यह कहते हुए इनकार कर दिया कि दूसरे चरण के ट्रायल का सैंपल काफी छोटा है। 

कमेटी ने डॉ. रेड्डीज से कहा कि फिलहाल उसे मार्केट ऑथराइजेशन की इजाजत नहीं मिलेगी, बजाय इसके उसे तीसरे चरण के ट्रायल से जुड़े प्रोटोकॉल सबमिट करने चाहिए। इस बारे में बीती 13 अक्टूबर को हुई बैठक में एसईसी ने कहा था, 'दूसरे चरण के परिणामों से पता चलता है कि 90एमजी/केजी के ऑप्टिमम डोज के साथ दवा में (कोरोना संक्रमण का इलाज करने की) क्षमता है। हालांकि, इस चरण का सैंपल दवा का समर्थन करने के लिहाज से काफी छोटा है।'

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2-डीजी को अभी तक कैंसर ट्रीटमेंट के लिए अप्रूवल नहीं मिला है। उससे पहले इस दवा को कोविड-19 के इलाज की खोज के तहत भी आजमाया जा रहा है। डॉ. रेड्डीज ने इसके लिए दूसरे चरण के ट्रायल किए थे, जिसमें 18 से 65 साल की उम्र के 40 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया था। यह जांचने के लिए कि दवा मध्यम स्तर के मरीजों से लेकर गंभीर संक्रमितों का इलाज कर सकती है या नहीं, तीन महीनों तक परीक्षण किया गया। इस दौरान दवा की क्षमता और सुरक्षा का पता लगाने के लिए संबंधित परिणामों का मूल्यांकन किया गया। कंपनी का दावा है कि इस ट्रायल में दवा ने क्षमता और सुरक्षा के मानकों पर संतोषजनक परिणाम दिए हैं। लेकिन प्रतिभागियों की संख्या कम होने की वजह से पैनल ने मार्केट ऑथराइजेशन देने से इनकार कर दिया है। उसका कहना है, 'विस्तृत विचार-विमर्श के बाद कमेटी ने सुझाव दिया है कि कंपनी को पर्याप्त सैंपल साइज के साथ तीसरे ट्रायल से संबंधित प्रोटोकॉल सबमिट कराना चाहिए और इनक्लूजन-एक्सक्लूजन क्राइटेरिया स्पष्ट रूप से डिफाइन करना चाहिए।।'

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क्या है 2-डीजी?
यह कैंसर के इलाज के लिए तैयार की गई दवा है। इसके निर्माता का कहना है कि शरीर में जाकर 2-डीजी कैंसर सेल्स में ग्लूकोज मॉलिक्यूल की सप्लाई को बंद कर देती है। इन कोशिकाओं को सामान्य कोशिकाओं की अपेक्षा ग्लूकोज की ज्यादा जरूरत होती है। डॉ. रेड्डीज का कहना है कि उनकी आपूर्ति बंद होने से ये कैंसरकारी कोशिकाएं मर जाएंगी। कोविड-19 के संबंध में इस दवा के इस्तेमाल की वजह बताते हुए कंपनी ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते होने वाली इन्फ्लेमेशन से ग्रस्त फेफड़ों के टिशू में 2-डीजी की अनुपातहीन मात्रा लंग सेल्स में भुखमरी की स्थिति पैदा कर देगी। आसान शब्दों में कहें तो यह दवा फेफड़ों में ग्लूकोज मॉलिक्यूल्ज की कमी कर देगी। डॉ. रेड्डीज का मानना है कि इससे लंग्स की सूजन और जलन कम हो जाएगी और वायरस अपनी कॉपियां नहीं बना पाएगा।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कैंसर में उपयोग होने वाली दवा से कोरोना का उपचार करने की कोशिश में डॉ. रेड्डीज, मार्केट ऑथराइजेशन से पहले तीसरे चरण के ट्रायल करने होंगे है

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