भारत की सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च एजेंसी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कोविड-19 के इलाज को लेकर एक कैंसर ड्रग का परीक्षण करना चाहती है। इसके लिए आईसीएमआर के तहत आने वाले एक संस्थान ने केंद्र सरकार द्वारा गठित एक्सपर्ट पैनल के समक्ष प्रस्ताव रखा है। खबर के मुताबिक, आईसीएमआर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 'सॉलिडेरिटी' ट्रायल के तहत इस कैंसर ड्रग 'एकलाब्रुटिनिब' को आजमाना चाहता है। बता दें कि कोविड-19 के प्रभावी इलाज की खोज में डब्ल्यूएचओ ने सॉलिडेरिटी ट्रायल की शुरुआत की थी, जिसके तहत कई प्रकार की दवाओं के परीक्षण किए जा रहे हैं।

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खबरों के मुताबिक, आईसीएमआर के अधीन नेशनल एड्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनएआरआई) ने सरकार की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) के सामने कैंसर ड्रग के परीक्षण करने का प्रस्ताव रखा है। बता दें कि सरकार ने कोरोना वायरस से संबंधित प्रस्तावों की समीक्षा के लिए एसईसी का गठन किया है। एनएआरआई के प्रस्ताव में सॉलिडेरिटी ट्रायल से जुड़े मौजूदा परीक्षण के प्रोटोकॉल में बदलाव करने की मांग करते हुए एकलाब्रुटिनिब का टेस्ट करने की बात कही गई है। फिलहाल कोविड-19 के मरीजों को रेमडेसिवीर और डेक्सामेथासोन ड्रग्स दिए जा रहे हैं। प्रस्ताव में आईसीएमआर ने कहा है कि एकलाब्रुटिनिब टेस्ट में मरीजों को संभवतः ये दोनों दवाएं नहीं दी जाएंगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि दुनियाभर में कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए एकलाब्रुटिनिब के क्लिनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं। भारत में इसके इस्तेमाल को लेकर सरकार की एसईसी ने बीती नौ अक्टूबर को विचार किया था और एनएआरआई से कहा था कि वह कैंसर ड्रग के अप्रूवल के लिए प्रस्ताव में जरूरी स्पष्टीकरण और प्रामाणिकता का उल्लेख करे।

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क्या है एकलाब्रुटिनिब?
यह एक नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा के एक प्रकार से जुड़ा मेडिकेशन है। जानकारों के मुताबिक, इस ब्रुटन टाइरोसिन श्रेणी के काइनेस इनहिबिटर को मेंटल सेल लिम्फोमा के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। इसे ब्रिटिश दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के हेमोटोलॉजी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर एसेर्टा फार्मा द्वारा तैयार किया जाता है। साल 2015 में शीर्ष अमेरिकी ड्रग नियामक फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए नs एकलाब्रुटिनिब, जिसका ब्रैंड नाम कैलक्वेंस है, को ऑर्फन ड्रग का दर्ज दिया था। वहीं, अक्टूबर 2017 में एस्ट्राजेनेका को एफडीए से इस दवा के इस्तेमाल का अप्रूवल मिला था। एकलाब्रुटिनिब को एमसीएल के उन मरीजों के लिए उपयोग किया जाता है, जो कम से कम एक बार कीमोथेरेपी मेडिकेशन ले चुके हैं। इसके अलावा क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के इलाज में भी एकलाब्रुटिनिब उपयोग की जाती है। इस मेडिकेशन में दवा को सिंगल ड्रग के अलावा एक अन्य ड्रग ओबिनूटुजुमैब के साथ कॉम्बिनेशन में दिया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बतौर काइनेस इनहिबिटर एकलाब्रुटिनिब ड्रग कैंसरकारी सेल्स को मल्टीप्लाई होने का संकेत देने वाले प्रोटीन को ब्लॉक कर देता है। बताया जाता है कि इससे कैंसर कोशिकाओं का बढ़ना रुक जाता है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: कैंसर ड्रग 'एकलाब्रुटिनिब' को कोरोना वायरस के मरीजों पर आजमाना चाहता है आईसीएमआर, सरकार के पैनल के सामने प्रस्ताव रखा है

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