कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए सक्षम और सुरक्षित वैक्सीन बनने की उम्मीद पहले के किसी भी समय से ज्यादा मजबूत है। ऐसे में दुनियाभर में वैक्सीन के वितरण को लेकर रणनीतियां बननी शुरू हो गई हैं। साथ ही इस मुद्दे पर भी बहस जोर पकड़ चुकी है कि वैक्सीन के आते ही इसे सबसे पहले किन लोगों को लगाया जाएगा। भारत में यह स्थिति लगभग साफ होती दिख रही है। यहां काफी समय से कहा जा रहा है कि कोविड-19 संकट से निपटने में सबसे अहम भूमिका निभा रहे और कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे का सबसे ज्यादा सामना कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों को सर्वप्रथम कोविड-19 वैक्सीन लगाई जाएगी। अब समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी सरकार के सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस प्रक्रिया के लिए सरकार ने सबसे आगे की पंक्ति के करीब एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों की पहचान कर ली है। एजेंसी के मुताबिक, कोरोना वैक्सीन के आते ही इसे सबसे पहले इन लोगों को लगाया जाएगा।
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रिपोर्ट की मानें तो केंद्र ने राज्य सरकारों से भी कहा है कि वे वैक्सीनेशन के लिए फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स के आइडेंटिफिकेशन की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाएं। इसके तहत डॉक्टरों, एमबीबीएस छात्रों, नर्सों और आशा कर्मियों के साथ अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की पहचान करने को कहा गया है। सरकार का इरादा है कि इन लोगों की पहचान करने का काम अगले एक हफ्ते में पूरा हो जाना चाहिए। इसके अलावा राज्यों को पहले चरण के वैक्सिनेशन सेशन की मैपिंग और प्लानिंग करने को भी कहा गया है, जिनके तहत स्वास्थ्यकर्मियों को टीके लगाए जाएंगे।
इस मुद्दे पर पीटीआई से बातचीत में एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, '(वैक्सीनेशन के लिए) देशभर के करीब 92 सरकारी अस्पतालों और 55 प्रतिशत निजी अस्पतालों ने डेटा मुहैया करा दिया है। बाकी की डिटेल्स अगले हफ्ते आ जाएंगी। हमने राज्यों से कहा है कि वे इस प्रोसेस को तेजी से आगे बढ़ाएं।' सूत्र ने बताया कि एक बार वैक्सीन उपलब्ध होने के बाद इसे विशेष कोविड-19 इनोक्यूलेशन प्रोग्राम के तहत वितरत किया जाएगा। इस काम में मौजूदा यूनिवर्सिटी इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम से जुड़ी प्रक्रियाओं, तकनीक और नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा। सूत्र ने यह भी बताया, 'राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की मदद से केंद्र ने करीब 30 करोड़ प्राथमिक लाभार्थियों की पहचान करने का काम शुरू कर दिया है। वैक्सीनेशन के शुरुआती चरण में इन लोगों को टीके लगाए जाएंगे।'
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रिपोर्ट में बताया गया है कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन प्रोसेस को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया है। इसमें लगभग एक करोड़ हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स (डॉक्टर, एमबीबीएस छात्र, नर्स, आशा कर्मी आदि) को सबसे पहले रखा गया है। इनके अलावा नगर निगम के करीब दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स, पुलिस और सैन्यकर्मियों के अलावा 50 साल या उससे ज्यादा उम्र के 26 करोड़ लोगों को भी विशेष कैटेगरी में शामिल किया गया है। इसके अलावा, ऐसे लोगों को भी सबसे पहले वैक्सीनेट किया जाएगा, जिनकी आयु 50 वर्ष से कम है, लेकिन वे पहले से अन्य बीमारियों से ग्रस्त हैं और उनका विशेष रूप से ख्याल रखने की जरूरत है।
वैक्सीनेशन में वैज्ञानिक सलाह का पालन करेंगे: नरेंद्र मोदी
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी साफ कर दिया है कि सरकार कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल के मामले में वैज्ञानिक सलाह का पालन करेगी। मंगलवार को अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों से हुई वर्चुअल बैठक में पीएम मोदी ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीनेशन प्रक्रिया की गति के साथ-साथ सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा है, लिहाजा इस काम में वैज्ञानिक परामर्श को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिकों को वैक्सीन शॉट उपलब्ध कराना एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। बैठक में कोरोना वैक्सीन को लेकर किए गए सवालों पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह बताना वैज्ञानिक समुदाय और दवा नियामकों का काम है कि टीका वास्तव में कब तक उपलब्ध हो पाएगा। उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन से जुड़ी रणनीति इन विशेषज्ञों से राय-मशविरा करने के बाद ही तय की जाएगी। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने कहा कि फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि वैक्सीन को किस दाम पर उपलब्ध कराया जाएगा।
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स्पुतनिक 5 को रूस ने अब 95 प्रतिशत सक्षम बताया
रूस ने अपने कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक 5 को लेकर नया दावा किया है। उसने कहा है कि कोविड-19 की रोकथाम में उसका टीका 95 प्रतिशत से ज्यादा सक्षम है और फाइजर तथा मॉडेर्ना द्वारा विकसित कोरोना वैक्सीन से दोगुना सस्ता है। वैक्सीन बनाने वाले रूस के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रूस की सरकारी वित्त कंपनी आरडीआईएफ वैक्सीन की हर दो डोज के लिए 20 डॉलर (करीब 1,480 रुपये) चार्ज करेगी। यह दाम भारतीय बाजार के लिए होगा, जहां वैक्सीन को फरवरी तक उपलब्ध कराने की बात की जा रही है। हालांकि यहां स्पुतनिक 5 के अंतिम चरण के ट्रायल अभी किए जा रहे हैं। वहीं, वैक्सीन के डिस्ट्रिब्यूशन को लेकर भी जानकार अभी संशय में हैं। उनका कहना है कि भले ही भारत में स्पुतनिक 5 को कम कीमत पर मैन्युफैक्चर कर बेचा जाएगा, लेकिन इसका वितरण एक चुनौती हो सकता है क्योंकि इसके स्टोरेज के लिए विशेष कूलिंग चेन की जरूरत होगी।
उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: करीब एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों की पहचान की गई, पहले चरण के वैक्सीनेशन के तहत सबसे पहले लगेगा टीका- पीटीआई है
- Proctosedyl BD Cream - ₹108
- Anovate Cream - ₹140
- Pilo GO Cream - ₹80
- Covifor Injection - ₹3780
- Fabiflu 200 Mg Tablet - ₹1292
- Fabiflu 400 Tablet - ₹856
- Fabiflu (Favipiravir) 400 Mg Tablet - ₹1224
- Fabiflu (Favipiravir) 200 Mg Tablet - ₹1292
- Remdesivir Injection - ₹10500
- Molusafe Capsule - ₹457
- Movfor 200 Mg Capsule - ₹2490
- Molflu 200 Mg Capsule - ₹1400
- Molulife 200 Capsule - ₹1399
- Cipmolnu 200 Mg Capsule - ₹2000
- Molxvir 200 Mg Capsule - ₹1520
- Immunocin Alpha Plus 1.6mg Injection - ₹5998
- Alzumab Injection - ₹8229
- Imualfa 1.6mg Injection 1ml - ₹2628
- Molnutor 200 Mg Capsule - ₹2000
- Sotrovimab Injection - ₹165000
- Nirmatrelvir - ₹5000
- Molnupiravir 200 Mg Capsule - ₹1400
- Covihalt 200 Tablet - ₹465
- Ciplenza Tablet - ₹646
- Itolizumab Injection - ₹8220