अमेरिका की बड़ी दवा कंपनी फाइजर और जर्मनी की बायोटेक फर्म बायोएनटेक के साझा प्रयास से बनाई गई कोविड-19 वैक्सीन के शुरुआती ट्रायलों में सकारात्मक परिणाम मिलने के सबूत मिले हैं। जानी-मानी विज्ञान व मेडिकल पत्रिका 'नेचर' के मुताबिक, इस वैक्सीन से ट्रायल में भाग लेने वाले प्रतिभागियों के शरीर में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने वाले मजबूत एंटीबॉडी पैदा हुए हैं। पत्रिका ने ट्रायल से जुड़ी अंतरिम रिपोर्ट को प्रकाशित करते हुए कहा है कि 'बीएनटी162बी1' नामक यह वैक्सीन 18 से 55 वर्ष के इन प्रतिभागियों में कोरोना वायरस के खिलाफ सक्षम इम्यून रेस्पॉन्स पैदा करने में कामयाब रही है।

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शोधकर्ताओं के मुताबिक, वैक्सीन नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के मॉलिक्यूलर आरएनए को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। यह शरीर में इस मॉलिक्यूल की नकल करते हुए इम्यून रेस्पॉन्स को बढ़ाने का काम करती है। बता दें कि शरीर में संक्रामक प्रोटीनों का निर्माण करने के लिए सार्स-सीओवी-2 एमआरएनए का ही इस्तेमाल करता है। इसी को ध्यान में रखते हुए जर्मन और अमेरिकी कंपनियों के वैज्ञानिकों ने बीएनटी162बी1 वैक्सीन को तैयार किया था। इसके प्रभाव में मानव कोशिकाएं सार्स-सीओवी-2 के प्रोटीन वाले हिस्सों को बांधने वाले एंटीबॉडी पैदा करती हैं। वैज्ञानिकों ने ट्रायल के तहत 45 स्वस्थ लोगों पर वैक्सीन को आजमाया था। परिणामों के आधार पर वैक्सीन को सुरक्षित और सामान्य साइड इफेक्ट वाला बताया गया है।

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दूसरी तरफ, निमोनिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक अन्य वैक्सीन से चूहों को कोविड-19 से बचाने में कामयाबी मिलने का दावा किया गया है। अमेरिका के वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुए शोध के मुताबिक, निमोनिया के लिए बनाई गई इस वैक्सीन को वीएसवी (वेसिक्यूलर स्टोमटाइटिस वायरस) नाम के एक हल्के वायरस से तैयार किया जाता है, जिसे अब कोविड-19 के इलाज के लिए कोरोना वायरस के एक प्रमुख वंशाणु की मदद से जेनेटिकली मॉडिफाई करके तैयार किया गया है। 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' नामक मेडिकल पत्रिका ने शोध में शामिल सह-लेखक डॉ. माइकल डायमंड के हवाले से बताया है, 'डेवलेपमेंट स्टेज से गुजर रही बाकी वैक्सीनों से अलग इस वैक्सीन को एक ऐसे वायरस से तैयार किया गया है, जो मानव शरीर में सीमित तरीके से फैलता है। इसका मतलब है कि यह (वैक्सीन) एक मजबूत इम्यून रेस्पॉन्स पैदा कर सकती है।'

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डॉ. माइकल ने कहा है कि यह वैक्सीन न सिर्फ इम्यून रेस्पॉन्स जनरेट करने में सक्षम है, बल्कि इसकी लागत भी अन्य वैक्सीनों के मुकाबले कम होनी चाहिए। वे कहते हैं कि वैक्सीन से जुड़े ट्रायल परिणाम भरोसा जगाने वाले हैं और अब इसे अन्य एनिमल मॉडलों के तहत आजमाया जा रहा है। इसके बाद वे इसे क्लिनिकल ट्रायल के तहत जल्द से जल्द इन्सानों पर भी आजमाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन में कोरोना वायरस को रोकने की क्षमता होने का दावा, निमोनिया की वैक्सीन ने चूहों को कोविड-19 से बचाया है

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