कोविड-19 के इलाज में कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी को सुरक्षित और कारगर बताने वाली एक और स्टडी सामने आई है। अमेरिका के ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में कोविड-19 के 300 से ज्यादा मरीजों का विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के खिलाफ इलाज का एक सुरक्षित और सक्षम तरीका है। इस अध्ययन से जुड़ा शोधपत्र 'दि अमेरिका जर्नल ऑफ पैथोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है।

अस्पताल में 28 मार्च से कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी आजमाना शुरू की गई थी। तब से अब तक कोई 350 मरीजों के इलाज के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। शोधकर्ताओं ने 28 मार्च से छह जुलाई के बीच इस अस्पताल की आठ शाखाओं में भर्ती हुए कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों को ट्रैक करना शुरू किया। थेरेपी देने के बाद मरीजों की 28 दिनों तक ट्रैकिंग की गई। इस दौरान उनके शरीर में होने वाले बदलावों की तुलना नॉन-प्लाज्मा थेरेपी वाले मरीजों से की गई।

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विश्लेषण के दौरान पता चला कि अगर कोविड-19 के गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद 72 घंटों के अंदर हाई एंटीबॉडी प्लाज्मा दिया जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है। शोधपत्र के मुताबिक, अस्पताल में भर्ती होने के बाद इतने समय में प्लाज्मा थेरेपी देने से मरीजों पर इसका प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है। वैज्ञानिकों को अपने अध्ययन में इससे कोविड-19 की मृत्यु दर में कमी होने के सबूत भी मिले हैं। 

ह्यूस्टन मेथोडिस्ट हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में पैथोलॉजी एंड जेनोमिक मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. एरिक सलाजर और इस अध्ययन के लेखक तथा पैथोलॉजी एंड जेनोमिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख जेम्स एम म्यूजर के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन के परिणामों में बताया गया है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 के डेथ रेट में उल्लेखनीय कमी देखी गई है।

इस बारे में डॉ. म्यूजर ने कहा है, 'हमारा अभी तक का अध्ययन बताता है कि इलाज का यह तरीका सुरक्षित है और ज्यादातर मरीजों के लिए प्रभावशाली है। कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी अभी भी एक्सपेरिमेंट की स्टेज पर है और हमें और डेटा कलेक्ट करना है, लेकिन हमारे पास इस दावे के और सबूत इकट्ठा हो गए हैं कि एक सदी पुरानी प्लाज्मा थेरेपी में (कोविड-19 को मात देने की) क्षमता है।'

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अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन कोरोना मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी से किया गया, उनके शरीर में एंटीबॉडी की संख्या सामान्य इलाज या नॉन-प्लाज्मा थेरेपी वाले मरीजों के मुकाबले काफी ज्यादा पाए गए। यहां बता दें कि जिन मरीजों को पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन से जुड़ी समस्याएं रही हैं, जो बीमारी की अंतिम स्टेज पर हैं और जिनके शरीर में तरल पदार्थ की अधिकता हो गई थी, उन्हें इस प्रयोग में शामिल नहीं किया गया था।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी?
इस तकनीक में बीमारी से ठीक हुए लोगों के शरीर के खून से प्लाज्मा निकाल कर उसी बीमारी से पीड़ित दूसरे मरीजों का दिए जाते हैं। प्लाज्मा रक्त में मौजूद पीले रंग का तरल पदार्थ होता है, जिसके जरिये रक्त कोशिकाएं और प्रोटीन शरीर के अलग-अलग अंगों तक पहुंचती हैं। प्लाज्मा थेरेपी को कॉन्वलेंसेंट प्लाज्मा थेरेपी भी कहते हैं। 

कोविड-19 या अन्य संक्रामक रोग होने के प्रतिक्रिया स्वरूप हमारा शरीर रोग-प्रतिकारकों यानी एंटीबॉडीज का निर्माण कर लेता है। ये रोग-प्रतिकारक कोविड-19 और अन्य बीमारियों से लड़ने में अहम भूमिका निभाते हैं। जिन लोगों की रोग-प्रतिकारक क्षमता या इम्यून सिस्टम पहले से मजबूत होती है या इलाज के दौरान दुरुस्त हो जाती है, वे आसानी से कोरोना वायरस के संक्रमण को मात दे देते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर में डॉक्टर और शोधकर्ता कोविड-19 की काट ढूंढने के लिए प्रयोग के तहत ऐसे लोगों के ब्लड सैंपल में से प्लाज्मा अलग करके उन लोगों को दे रहे हैं, जिनमें एंटीबॉडीज या तो बने नहीं हैं या वायरस को रोक पाने अथवा खत्म करने में सक्षम नहीं हैं।

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हालांकि, प्लाज्मा थेरेपी से मरीज का ठीक होना कई बातों पर निर्भर करता है। हाल के दिनों में इस विषय पर कुछ शोध सामने आए हैं। इनमें में बताया गया है कि कोविड-19 के मरीजों के ठीक होने के बाद उनके शरीर में कोरोना वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज कुछ समय के बाद कम या खत्म हो जाते हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि इस बीमारी के मरीजों के ठीक होने के बाद जितना जल्दी हो सके उनके शरीर से प्लाज्मा के रूप में एंटीबॉडी ले लिए जाएं। इससे उस मरीज के बचने की संभावना बढ़ सकती है, जिसे एंटीबॉडीज दिए जा रहे हैं।

हाल में भारत के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कहा था कि कोरोना वायरस के उन मरीजों को भी कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा थेरेपी दी जा सकती है, जिनकी हालत कम गंभीर रूप से संक्रमित होने के बावजूद नहीं सुधर रही। डीजीएचएस का कहना था कि कोविड-19 के ऐसे सामान्य मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी दिए जाने पर विचार किया जा सकता है, जिनके इलाज के लिए तमाम दवाओं का इस्तेमाल किया जा चुका है, फिर भी उनकी तबीयत ठीक नहीं हो रही है और उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 के गंभीर मरीजों को ठीक करने में प्लाज्मा थेरेपी को कारगर और सक्षम बताने वाली एक और स्टडी सामने आई है

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