अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस जैसे देशों में नए कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने जितनी तबाही मचायी है, भारत में भले ही उतनी तबाही न हो लेकिन यहां भी अब कोविड-19 ने तेजी से पैर फैलाना शुरू कर दिया है। 17 अप्रैल 2020 के आंकड़ो की मानें तो भारत में कोविड-19 के मामले 13 हजार से ज्यादा हो चुके हैं। इनमें से 11 हजार से ज्यादा ऐक्टिव केसेज हैं, 437 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 1700 लोग इस संक्रमण से ऊबर चुके हैं। इतना ही कोविड-19 भारत के 350 से ज्यादा जिलों में फैल चुका है। 

इस बेहद संक्रामक बीमारी को भारत में फैलने से रोकने के मकसद से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 को देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी। लेकिन देश में बढ़ते मामलों को देखते हुए 14 अप्रैल को जो लॉकडाउन खत्म होने वाला था उसे 19 दिनों के लिए और बढ़ा दिया गया और अब ये लॉकडाउन 3 मई 2020 तक जारी रहेगा।

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इतना ही नहीं कोविड-19 बीमारी को लेकर सरकार कई तरह के सख्त कदम उठा रही है। इसी क्रम में वैसे इलाके जहां कोरोना वायरस के 6 से ज्यादा पॉजिटिव केस सामने आए हैं उन्हें हॉटस्पॉट घोषित कर बाकी इलाकों से अलग किया जा रहा है। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको यही समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर हॉटस्पॉट क्या होता है और ऐसे समय में जब पूरा देश लॉकडाउन की स्थिति में हैं, किसी इलाके की सीमाबंदी करने से क्या फायदा होगा।

  1. कोविड-19 का हॉटस्पॉट क्या है?
  2. हॉटस्पॉट में रहने वाले लोग क्या बाहर निकलकर जरूरी सामान खरीद सकते हैं?
  3. अब तक भारत में कितने हॉटस्पॉट्स बन चुके हैं?
  4. अपने इलाके को कोविड-19 हॉटस्पॉट बनने से रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
जानें किसी क्षेत्र को कब कोविड-19 हॉटस्पॉट घोषित किया जाता है? के डॉक्टर

कोविड-19 महामारी के दौरान अगर किसी इलाके विशेष में 6 से ज्यादा संक्रमित मरीज पाए जाते हैं तो भारत सरकार की ओर से उस भूगौलिक हिस्से को इंफेक्शन का हॉटस्पॉट घोषित किया जाता है। इस तरह से सीमाबंदी करने से 3 तरह से फायदा होता है:

  • इस इलाके में देखरेख और निरीक्षण का काम बढ़ जाता है जिससे इलाके में इंफेक्शन को और ज्यादा फैलने से रोका जा सकता है।
  • इलाके को हॉटस्पॉट घोषित करने के बाद वहां जानलेवा वायरस को और ज्यादा फैलने से रोका जा सकता है।
  • जब किसी भौगोलिक हिस्से को सीमित कर दिया जाता है तब वैसे लोग जो इस वायरस के सक्रिय वाहक होते हैं उन्हें भी आसानी से ट्रेस किया जा सकता है।

कोविड-19 महामारी के मामले में कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना बेहद जरूरी है ताकि उन लोगों का पता लगाया जा सके जो किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं और अब खुद भी संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। ट्रांसमिशन चेन यानी बीमारी के फैलने के चेन को तोड़ने के लिए बेहद जरूरी है कि सरकारी एजेंसियां सही तरीके से टेस्ट करें और फिर संक्रमित व्यक्ति को बाकी लोगों से अलग आइसोलेट किया जाए ताकि यह बीमारी दूसरों में न फैले।

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कोविड-19 इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए देशभर में 24 मार्च 2020 से लॉकडाउन की स्थिति है। बावजूद इसके ज्यादातर लोगों को इस बात की इजाजत है कि वे अपने घर में इस्तेमाल होने वाल दैनिक जरूरत का सामान घर से बाहर निकलकर खरीद सकते हैं। हालांकि राष्ट्रीय लॉकडाउन में रहने वाले लोगों से हॉटस्पॉट में रहने वालों की तुलना करें तो हॉटस्पॉट वालों को बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती। दवाइयां, राशन का सामान, एटीएम आदि जैसी बेहद जरूरी सुविधाओं के लिए भी नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि हॉटस्पॉट वाले इलाके में सरकार ने कर्फ्यू जैसी सख्ती बना रखी है।

सरकारी एजेंसियों की तरफ से हॉटस्पॉट में रहने वाले लोगों को कुछ जरूरी मदद पहुंचायी जाती है:

  • सभी मूलभूत जरूरी सामान जैसे- पका हुआ खाना, राशन का सामान, सब्जी, दूध और दवाइयां आदि की डोरस्टेप यानी घर के दरवाजे पर डिलिवरी। किसी तरह की मेडिकल इमरजेंसी होने पर ही हॉटस्पॉट वाले हिस्से में रहने वाले लोगों को घर से बाहर निकलने की इजाजत होती है।
  • इंफेक्शन के असर को कम करने के मकसद से सरकार की तरफ से हॉटस्पॉट वाले इलाके में अच्छी तरह से सफाई और कीटाणुनाशकों का छिड़काव करवाया जाता है।
  • हॉटस्पॉट वाले इलाके में रहने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों का टेस्ट किया जाता है ताकि उन लोगों की पहचान हो सके जिन्हें यह इंफेक्शन होने का खतरा है और समय पर उनका इलाज किया जा सके।

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कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के मकसद से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देशभर के 170 जिलों को हॉटस्पॉट घोषित किया है और 207 जिलों को नॉन-हॉटस्पॉट। भारत के अलग-अलग राज्यों ने भी अपने यहां कोविड-19 के पॉजिटिव मामलों की संख्या को देखते हुए हॉटस्पॉट्स की घोषणा की है। इसी क्रम में मुंबई में अब तक सबसे ज्यादा 381 हॉटस्पॉट पाए गए हैं जबकी उत्तर प्रदेश में 208, चेन्नई में 70 और दिल्ली में 55 हॉटस्पॉट्स या कंटेन्मेंट जोन पाए गए हैं। हर दिन सामने आ रहे मामलों के आधार पर इन हॉटस्पॉट्स में बढ़ोतरी हो रही है।

किसी जिले को इन बातों के आधार पर हॉटस्पॉट या रेड जोन घोषित किया जाता है:

  • वैसे जिले जहां कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है। इन जिलों में पॉजिटिव मामलों का बोझ अपने राज्य या देश के मामलों का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा है।
  • वैसे जिले जहां पॉजिटिव मामलों की तादाद 4 दिन से कम के समय में दोगुनी हो रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के सभी जिलों को 3 कैटिगरी में बांटा है:

  • हॉटस्पॉट जिले या रेड जोन: वैसा इलाका जहां कम भौगोलिक क्षेत्र में पुष्टि हो चुके मामलों की संख्या काफी अधिक है। ये वैसे इलाके हैं जो अपने राज्य में कोविड-19 के सबसे ज्यादा मामलों के लिए जिम्मेदार हैं। अगर इन इलाकों में 14 दिन तक कोई भी केस सामने नहीं आता तो इन इलाकों को ऑरेंज जोन में परिवर्तित किया जाता है। साथ ही अगर लगातार 28 दिन तक यहां से कोई मामला सामने नहीं आता तो इस इलाके को फिर ग्रीन जोन में डाल दिया जाता है।
  • नॉन हॉटस्पॉट: ये वैसे इलाके हैं जहां से कोविड-19 के मामले सामने तो आए लेकिन कम संख्या में। 15 अप्रैल 2020 के आंकड़ों की मानें तो भारत के 270 जिलों को नॉन हॉटस्पॉट घोषित किया गया है और यहां पर इंफेक्शन छोटे से समूह में है।
  • ग्रीन जोन: वैसे इलाके जहां पर अब तक कोविड-19 का एक भी मामला सामने नहीं आया है। या फिर वैसे इलाके जहां पहले कोविड-19 का मामले सामने आया था लेकिन अब पिछले 28 दिनों से कोई मामले सामने नहीं आया है।

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अपने इलाके को कोविड-19 का हॉटस्पॉट बनने से रोकने के लिए हर व्यक्ति को अपनी तरफ से पहल करनी चाहिए। आप यहां बताए गए उपायों को अपनाकर अपने साथ-साथ अपने समाज को भी सुरक्षित रख सकते हैं:

  • सबसे पहले सभी लोग घरों के अंदर रहें और बाहर न निकलें। घर से ही काम करें, परिवारवालों और बच्चों के साथ समय बिताएं। अपने बच्चे को बाहर दूसरे बच्चों के साथ खेलने न भेजें ताकि इंफेक्शन को फैलने से रोका जा सके।
  • जब तक यह इंफेक्शन फैलना थोड़ा कम नहीं हो जाता अपने बच्चों को सोसायटी पार्क में भी खेलने के लिए न भेजें।
  • हाथों की सफाई और श्वास संबंधी साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें। जब भी खांसी या छींक आए तो अपने मुंह को टीशू या कोहनी से ढंक लें। अपने हाथों को 20 सेकंड तक साबुन पानी से या फिर एल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से साफ करें। साबुन पानी या सैनिटाइजर से हाथ धोने से हाथों पर जमा वायरस मर जाएंगे।
  • फिजिकल डिस्टेंसिंग बनाकर रखें। खासकर उन लोगों से जिन्हें खांसी या छींक आ रही है और वह भी कम से कम 3 फीट से लेकर 6 फीट तक।
  • आसपास मौजूद सभी सतहों खासकर वैसी जगहें जिन्हें ज्यादा बार छूआ जाता है जैसे- दरवाजे का हैंडल या कुंडी और इलेक्ट्रिकल स्विच- इन्हें कीटाणुनाशक की मदद से नियमित रूप से साफ करें।
  • फल और सब्जियों का सेवन करने से पहले उन्हें गर्म पानी से अच्छी तरह से साफ कर लें। इन चीजों को अच्छी तरह से रगड़कर साफ करें और पेपर टॉवल से अच्छी तरह से पोंछकर ही स्टोर करके रखें। (और पढ़ें: महामारी के समय फल और सब्जियों को धोने का सही तरीका)
  • खाने से पहले अपने खाने को अच्छी तरह से पकाएं। कच्चा खाना बिलकुल न खाएं, खासकर कच्चा मांस।
  • आपके हाथ कई बार अलग-अलग सतहों को छूते हैं जिसपर वायरस हो सकते हैं लिहाजा अपने गंदे हाथों से अपनी आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें। अगर आप दूषित हाथों से अपना चेहरा छूते हैं तो वायरस के शरीर में प्रवेश करने की आशंका अधिक होती है।
  • अगर आपको खांसी, बुखार और सांस लेने में दिक्कत हो रही हो तो अपने नजदीकी अस्पताल को फोन करें और चिकित्सीय मदद लें। फोन करने से फायदा ये होगा कि आपको सही चिकित्सीय मदद मिल पाएगी और इससे आप दूसरों को भी वायरस से संक्रमित करने से बच जाएंगे।

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संदर्भ

  1. The Ministry of Health and Family Welfare. Govt. of India. Detail Question and Answers on COVID-19 for Public. [Internet]
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