नया कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति लोगों की भीड़ के बीच छींकता या खांसता है तो वायरस के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा, कोरोना वायरस से संक्रमित वस्तु को छूने से भी कोविड-19 की बीमारी हो सकती है। इन्हीं कारणों के चलते आज भारत समेत दुनियाभर के कई देश लॉकडाउन से गुजर रहे हैं। वहां कुछ जरूरी सेवाओं को छोड़ कर शेष सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है। इन जरूरी सेवाओं में दवा उपलब्ध कराना भी शामिल है। हालांकि हालात ऐसे हैं कि लोगों तक दवाएं पहुंचाने में भी दिक्कतें आ रही हैं। भारत में लॉकडाउन के दौरान ऐसी कई घटनाएं देखने को मिली हैं, जब स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों को खराब अनुभवों से गुजरना पड़ा है। ऐसे में ड्रोन तकनीक ऐसी सेवाओं को अंजाम देने के विकल्प के रूप में सामने आई है।

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लॉकडाउन में ड्रोन का हो रहा इस्तेमाल
लॉकडाउन के बीच जरूरी सेवाएं देने के लिए भारत में अब ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। खबर के मुताबिक, तेलंगाना राज्य में एक से अधिक उद्देश्यों के लिए पुलिस और अन्य क्षेत्र के कर्मी इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में तेलंगाना के करीमनगर में पुलिस अधिकारियों ने ड्रोन का इस्तेमाल किया ताकि शहर में लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू करना सुनिश्चित किया जा सके। रिपोर्टों के मुताबिक, तेलंगाना सरकार ड्रोनों को निगरानी के काम में तो ला ही रही है, साथ ही अन्य उद्देश्यों के लिए भी इनका बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, राज्य में कीटनाशक के छिड़काव और लोगों तक दवा पहुंचाने व अन्य सेवाओं में भी ड्रोनों को काम में लिया जा रहा है। 

करीमनगर के मुकारामपुरा में दस इंडोनेशियाई नागरिक और एक स्थानीय व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है। ऐसे में यहां अन्य लोगों के संक्रमित होने का खतरा बढ़ गया है। यह खतरा और न बढ़े, इसलिए स्थानीय नगर निगम ने ड्रोन की मदद से ही आसपास के इलाकों और सार्वजनिक जगहों पर कीटनाशक का छिड़काव करवाया है। तकनीकी विशेषज्ञों की मानें तो रिमोट डिवाइस के रूप में ड्रोन प्राकृतिक रूप से मानवीय सहायता के लिए एक बेहतर विकल्प है ही, साथ ही वायरस को फैलने से रोकने में भी यह मददगार साबित हो सकता है।

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अन्य देशों में भी काम आ रहे ड्रोन?
अमेरिका समेत यूरोपीय देशों में कोरोना वायरस का सबसे अधिक प्रकोप देखा गया है। यही वजह है कि इन देशों में लोगों को घर से बाहर एक सुरक्षित दूरी बनाए रखने के लिए उन पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है। कुछ ड्रोनों में लाउडस्पीकर लगा कर घोषणाएं की जा रही हैं ताकि लोगों को सोशल डिस्टेंसिग के बारें में जानकारी दी जा सके। इसके अलावा, कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भीड-भाड़ वाले इलाकों में ड्रोन की मदद से लोगों के शरीर के तामपान का भी पता लगाया जा रहा है।

वहीं, भारत में भी ड्रोन निर्माता कंपनियों ने अलग-अलग तरीकों से शरीर के तापमान को मापने के लिए एयरबोर्न इंफ्रारेड कैमरों का परीक्षण किया है। परिणाम से पता चला है कि थर्मल कैमरे में ‘कॉटन स्वेब’ को स्थापित करके ड्रोन की मदद से व्यक्ति के शरीर का सटीक तापमान पता किया जा सकता है। इसकी मदद से अधिकारियों को लोगों के बीच एक सुरक्षित दूरी बनाने और उनकी जांच करने में मदद मिल सकेगी।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोरोना वायरस: लॉकडाउन के बीच यहां ड्रोन की मदद से हो रही दवाओं की सप्लाई, लोगों की निगरानी में भी ली जा रही मदद है

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