महाराष्ट्र के पुणे में कोविड-19 के मरीजों की संख्या मुंबई से ज्यादा हो गई है। यहां लोगों के बीच कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के चलते हाल में एक सेरोलॉजिकल सर्वे किया गया था, जिसके परिणाम अब सामने आ गए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस सेरो सर्वे के परिणामों से यह संकेत मिलता है कि पुणे की 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद इम्यूनिटी विकसित कर चुकी है। यह दर दिल्ली और मुंबई में किए गए सेरो सर्वे के परिणामों से ज्यादा है।

गौरतलब है कि दिल्ली में किए गए पहले सेरो सर्वे में राजधानी की 23 प्रतिशत आबादी में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी मिलने का दावा किया गया था। वहीं, मुंबई की 40 प्रतिशत आबादी वायरस की चपेट में आने के बाद इससे इम्यून पाई गई थी। शहरी इलाकों में 11 से 17 प्रतिशत और झोपड़ी-पट्टी वाले इलाकों की 57 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी मिलने का दावा किया गया था। इसी तरह गुजरात के अहमदाबाद में किए गए एक अन्य सेरो सर्वे में पता चला था कि शहर की 47 प्रतिशत आबादी वायरस से संक्रमित होने के बाद एंटीबॉडी विकसित कर चुकी है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि अब इन शहरों की आबादी के ज्यादा बड़े हिस्से में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा हो गए होंगे, क्योंकि यहां के सर्वे कुछ हफ्तों पहले किए गए थे, जब वायरस अभी के मुकाबले कम तेजी से फैल रहा था।

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वहीं, पुणे में जिन जगहों से ब्लड सैंपल लिए गए वहां की आबादी का घनत्व भी दिल्ली और मुंबई जैसा ही है। सर्वे से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, वैज्ञानिकों को पुणे के अलग-अलग इलाकों से 36 प्रतिशत से लेकर 56 प्रतिशत तक की आबादी में कोविड एंटीबॉडी मिलने की जानकारी मिली है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि यहां के सेरो सर्वे के परिणामों को भी बाकी महानगरों में हुए सेरो सर्वे से जोड़कर देखा जा सकता है। बता दें कि आने वाले दिनों में देश के अन्य शहरों में सेरो सर्वे होने जा रहे हैं। चूंकि दिल्ली, मुंबई, गुजरात के बाद अब पुणे में भी आबादी के एक बड़े हिस्से में इम्यूनिटी जनरेट होने के संकेत मिले हैं, ऐसे में भावी सर्वेक्षणों में भी अपेक्षित परिणाम मिलने की आशंका जताई जा रही है।

हालांकि जानकारों ने इस बात को लेकर सावधान किया है कि आबादी के एक हिस्से के बीमारी को मात देने का मतलब यह नहीं है कि उनमें आगे भी वायरस से बचाने वाले एंटीबॉडी पैदा हो गए हैं। उनके मुताबिक, इन परिणामों से केवल यह संकेत मिलता है कि जनसंख्या के एक हिस्से में कोविड-19 के खिलाफ इम्यूनिटी देखने को मिली है, लेकिन सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण यह तय करने के लिए डिजाइन नहीं किए जाते कि बीमारी को मात देने वाले लोगों में प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी भी विकसित हो गए हैं। उन्होंने साफ कहा है कि सभी एंटीबॉडी वायरस से बचाने वाले नहीं होते, यह काम केवल न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज कर सकते हैं।

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बता दें कि पुणे में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या एक लाख 32 हजार से ज्यादा हो गई है। इनमें से 3,247 की मौत हो चुकी है। वहीं, मुंबई में जहां संक्रमितों का आंकड़ा एक लाख 29 हजार है, वहीं मृतकों की संख्या 7,173 तक पहुंच गई है। यानी केसों की संख्या के मामले में पुणे मुंबई से आगे है, लेकिन मृतकों के मामले में यहां हालात देश की आर्थिक राजधानी से बेहतर हैं। महाराष्ट्र के इन दोनों महत्वपूर्ण इलाकों के आंकड़े बताते हैं कि मुंबई में कोविड-19 का डेथ रेट 5.53 प्रतिशत से भी ज्यादा है, जबकि रिकवरी रेट 80 प्रतिशत से अधिक है। वहीं, पुणे के आंकड़ों के मुताबिक, यहां कोविड-19 का रिकवरी रेट करीब 68 प्रतिशत है, जबकि मृत्यु दर 2.45 प्रतिशत है।

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उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: सेरो सर्वे में पुणे की 50 प्रतिशत आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिलने के संकेत मिले, मरीजों के मामले में मुंबई को पीछे छोड़ा है

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