हांगकांग के बाद अब यूरोप में कोविड-19 रीइन्फेक्शन के दो मामले सामने आए हैं। खबर है कि हांगकांग में रीइन्फेक्शन की चलते दोबारा कोविड-19 से ग्रस्त हुए व्यक्ति की तरह इन दोनों संक्रमितों के शरीर में पाया गया मौजूदा कोरोना वायरस का स्ट्रेन पिछली बार पाए गए स्ट्रेन से अलग है। इसी आधार पर हांगकांग ने बीते सोमवार को अपने यहां एक व्यक्ति के दूसरी बार कोविड-19 से ग्रस्त होने की पुष्टि की थी। वहीं, इसके अगले ही दिन मंगलवार को यूरोप के दो देशों के शोधकर्ताओं ने अपने यहां दो लोगों के फिर से कोरोना वायरस से संक्रमित होने की जानकारी साझा की।

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप में सामने आए दोनों मामलों का डेटा अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है। हालांकि अखबार ने विशेषज्ञों के हवाले से बताया है कि वायरस की फिर चपेट में आना सामान्य तो नहीं है, लेकिन ऐसा होना आश्चचर्यजनक भी नहीं है। अन्य रेस्पिरेटरी वायरसों, जिनमें सामान्य सर्दी-जुकाम देने वाले कोरोना वायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस शामिल हैं, की तरह नए कोरोना वायरस के खिलाफ भी इस तरह का कमजोर इम्यून रेस्पॉन्स पैदा हो सकता है, जो वायरस के दूसरी बार संपर्क में आने पर संक्रमण को न रोक पाए। हालांकि सार्स-सीओवी-2 के मामले में अलग बात यह है कि इसके रीइन्फेक्शन में लक्षण दिखने की संभावना कम हो सकती है। इसे लेकर विशेषज्ञ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की टिप्पणियां दे रहे हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19 रीइन्फेक्शन के पहले दस्तावेज आधारित मामले की पुष्टि, कोरोना वायरस के दो अलग-अलग स्ट्रेन से संक्रमित हुआ पीड़ित)

बहरहाल, यूरोप में कोविड-19 के रीइन्फेक्शन के दोनों मामले नीदरलैंड और बेल्जियम में सामने आए हैं। एनवाईटी के मुताबिक, नीदरलैंड में जिस व्यक्ति को दोबारा संक्रमण हुआ, उनमें से एक का इम्यून सिस्टम कमजोर था। वहीं, बेल्जियम में एक महिला सार्स-सीओवी-2 रीइन्फेक्शन की चपेट में आई है। मार्च में पहले संक्रमण के समय उसमें मामूली लक्षण दिखे थे और जून में वायरस फिर उसके शरीर में प्रवेश कर गया। 

हांगकांग में भी जो व्यक्ति सबसे पहले रीइन्फेक्शन का शिकार हुआ, उसमें भी पहली बार संक्रमित होने पर हल्के लक्षण दिखे थे। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, दूसरी बार संक्रमण होने पर उसमें लक्षण नहीं दिख रहे थे। वायरस दूसरी बार उसके शरीर में घुसा है, यह बात तब पता चली जब एक एयरपोर्ट पर उसकी रूटीन स्क्रीनिंग की जा रही थी। इस तथ्य के आधार पर जानकारों ने आशंका जताई है कि पहले बार संक्रमित होने पर मजबूत एंटीबॉडी रेस्पॉन्स विकसित नहीं होने के बावजूद फिर से वायरस की चपेट में आने पर भी गंभीर रूप से बीमार होने से बचा जा सकता है। कुछ न्यूज रिपोर्टों में रीइन्फेक्शन से जोड़ते हुए वैक्सीन के प्रभावों को लेकर नकारात्मक आशंकाएं जताई गई हैं। लेकिन विशेषज्ञों ने इसके विपरीत राय दी है। उनका कहना है कि हर्ड इम्यूनिटी विकसित होने की परिकल्पना एक सक्षम वैक्सीन से ही संभव है, क्योंकि उसी से वायरस और कोविड-19 के खिलाफ मजबूत और दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

(और पढ़ें - कोविड-19: कैंब्रिज यूनिवर्सिटी भी वैक्सीन बनाने की दौड़ में शामिल, कृत्रिम वंशाणुओं की मदद से तैयार की 'डीआईओएस-कोवाक्स2')


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19: हांगकांग के बाद यूरोप में कोरोना वायरस के रीइन्फेक्शन के दो मामलों की पुष्टि है

ऐप पर पढ़ें