केवल तीन लक्षणों (तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ) के साथ शुरू हुई कोविड-19 महामारी के लिए आज कहा जा रहा है कि इसके लक्षण दर्जन भर से ज्यादा हैं, जिनकी संख्या अभी और बढ़ सकती है। इस बात को बल देती एक रिपोर्ट प्रतिष्ठित अमेरिकी अखबार दि न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) में प्रकाशित हुई है। इसके मुताबिक, कोविड-19 से रिकवर होने वाले लोगों ने दांत गिरने की शिकायत की है। अखबार ने रिपोर्ट में कुछ कोविड-19 सर्वाइवर्स के अनुभवों को प्रकाशित किया है।

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाली 43 वर्षीय फराह खमीली कुछ महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुई थीं। वे बीमारी से रिकवर होकर आम जिंदगी में लौट गई थीं। लेकिन इस महीने उन्होंने अपने दांतों में अजीब सेंसेशन महसूस की। उन्होंने जाना कि उनके नीचे का एक दांत हिल रहा है, जो बाद में गिर गया। इससे पहले फराह का कोई भी वयस्क दांत कभी नहीं टूटा था। दिलचस्प बात यह रही कि दांत टूटते वक्त फराह को न तो किसी तरह का दर्द हुआ न ही किसी प्रकार की ब्लीडिंग हुई।

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कोविड-19 से रिकवर होने के बाद फराह खमीली ने एक ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप जॉइन किया था, जहां वो और दूसरे कोविड सर्वाइवर्स अपने-अपने अनुभव साझा करते थे। ये लोग बताते थे कि कैसे उन्हें कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद नर्व पेन, मांसपेशी का दर्द और ब्रेन फॉग जैसे लक्षण महसूस हुए हैं। अब इन लोगों में से कुछ ने फराह की तरह दांत गिरने का अनुभव भी साझा किया है। फराह जब कुछ समय बाद ग्रुप में लौटीं तो उन्होंने देखा कि अन्य सदस्यों ने भी बताया कि कैसे उनके दांत गिरने के साथ मंसूड़ों में सेंसिटिविटी होने लगी है और दांतों का रंग भी बदल (कर ग्रे हो) रहा है।

कोविड-19 से जोड़कर देखे जा रहे इस परिणाम को साबित करने के लिए इस समय विस्तृत और विश्वसनीय वैज्ञानिक डेटा उपलब्ध नहीं है। हालांकि फराह खमीली और उनके जैसे अन्य कोरोना वायरस सर्वाइवर्स के अनुभव मेडिकल एक्सपर्ट का ध्यान जरूर खींच रहे हैं। यह गौर करने वाली बात है कि फराह और बाकी रिकवर्ड मरीजों में कोरोना संक्रमण के सर्कुलेटरी सिस्टम से संबंधित लक्षण दिखे थे, जैसे कोविड टो (पैर की उंगलियों में सूजन) और बाल झड़ने की शिकायत। इस कारण कुछ विशेषज्ञों ने इसे दांत गिरने के अनुभवों से जोड़कर देखा है। हालांकि कुछ डेंटिस्टों का कहना है कि अभी इस बारे में कुछ कहने के लिए डेटा की कमी है और यह कहना संदेहपूर्ण हो सकता है कि केवल कोविड-19 होने से इन लोगों के दांत गिर गए हैं।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी और इयूटा के पीरियोडॉन्टिस्ट डेविड ओकानो कहते हैं, 'यह बहुत ज्यादा दुर्लभ है कि दांत वाकई में अपने खोलों से निकल कर गिर जाएं।' हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि कोविड-19 संकट के कारण मौजूदा डेंटल समस्याएं बढ़ जरूरत सकती हैं, विशेषकर उन लोगों के लिए, जो कोरोना वायरस से लड़कर जिंदा बचे हैं और इसके दीर्घकालिक प्रभावों से जूझ रहे हैं।

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दूसरी तरफ, कुछ विशेषज्ञों ने अलग राय रखते हुए कहा है कि डॉक्टरों और डेंटिस्टों को इस प्रकार की संभावनओं (कोरोना सर्वाइवर्स के दांत गिरना) को लेकर खुला रवैया रखना चाहिए, खासतौर पर इसलिए कि सीडीसी की 2012 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 30 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के लोगों में से 47 प्रतिशत को किसी न किसी प्रकार की पीरियोडॉन्टल बीमारी है, जिनमें मसूड़ों और दातों के आसपास की हड्डी में संक्रमण और इन्फ्लेमेशन भी शामिल हैं।

तो क्या पहले से दांतों से जुड़ी किसी समस्या के होने के कारण कुछ कोविड सर्वाइवर्स के दांत रिकवरी के इतने समय बाद झड़ रहे हैं? फराह के मामले में इसके संकेत मिलते हैं। एनवाईटी ने बताया है कि कोरोना संक्रमण होने से पहले उनके दांतों में समस्या रही थी। दांत गिरने के बाद जब वे डेन्टिस्ट के पास पहुंची तो उसने पाया कि फराह के मसूड़े संक्रमित नहीं थे, बल्कि वे स्मोकिंग के कारण बोन लॉस होने के चलते कमजोर हो गए थे। लेकिन एक दूसरा अनुभव फराह के मामले से अलग है। जिस दिन फराह का दांत गिरा, उसी दिन उनके पार्टनर 'सर्वाइवर कॉर्पोरेशन' नाम के कोविड सर्वाइवर्स फेसबुक पेज पर गए। वहां उन्होंने देखा कि पेज की फाउंडर डायना बेरेंट ने अपने 12 साल के बच्चे का एक वयस्क दांत गिरने का अनुभव साझा किया था, जो कुछ महीने पहले मामूली कोविड-19 से ठीक हुआ था। यहां यह बात दिलचस्प है कि फराह की तुलना में बेरेंट के बेटे के दांत ज्यादा सामान्य और स्वस्थ थे, जो पहले से किसी भी अन्य डेन्टल कंडीशन से ग्रस्त नहीं थे।

अखबार की मानें तो फेसबुक पेज में शामिल अन्य लोगों ने भी मिलते-जुलते दावे किए हैं। एक महिला ने बताया कि कैसे आइसक्रीम खाते हुए उसका एक दांत गिर गया, बिना खून बहे। इस बारे में एन्जियोजेनेसिस फाउंडेशन के प्रेजिडेंट डॉ. विलियम ली कहते हैं, 'बिना ब्लीडिंग के दांत गिरना असामान्य बात है, जो संकेत देता है कि (कोविड सर्वाइवर्स के) मसूड़ों की रक्त वाहिकाओं में शायद कुछ हो रहा है।'

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सार्स-सीओवी-2 वायरस एसीई2 प्रोटीन रिसेप्टर के जरिये न सिर्फ फेफड़ों में घुसता है, बल्कि नसों और एंडोथीलियल कोशिकाओं में भी घुसपैठ करता है। इस आधार पर डॉ. ली का तर्क है, 'इसलिए यह संभव है कि वायरस ने (कुछ) कोविड-19 सर्वाइवर्स के दांतों को जीवित रखने वाली रक्त वाहिकाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया हो। यह भी एक कारण हो सकता है कि जिन लोगों के दांत गिरे, उन्हें किसी तरह दर्द महसूस नहीं हुआ।' इसके अलावा, यह संभावना भी जताई गई है कि शायद अतिसक्रिय इम्यून रेस्पॉन्स, जिसे साइटोकिन स्टॉर्म कहा जाता है, के कारण सर्वाइवर्स के दांत गिरे हों। इस बारे में दातों के एक अन्य विशेषज्ञ डॉ. माइकल स्केरर कहते हैं, 'मसूड़ों की बीमारी हाइपर-इन्फ्लेमेटरी रिएक्शन (जैसे साइटोकिन स्टॉर्म) के मामले में काफी ज्यादा सेंसिटिव होती है और कोविड सर्वाइवर्स निश्चित रूप से इस श्रेणी में आते हैं।'


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कोविड-19 सर्वाइवर्स ने दांत गिरने के अनुभव साझा किए, कुछ एक्सपर्ट ने भी जताई आशंका है

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