कोविड-19 संक्रमण को भारत में गंभीर रूप से रोकने के मकसद से ही भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 को देशभर में 21 दिनों के संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की थी। 14 अप्रैल को खत्म हो रहे लॉकडाउन को एक बार फिर 19 दिनों के लिए बढ़ा दिया गया है। पीएम मोदी ने देश के नाम अपने संंबोधन में बताया कि लॉकडाउन को फिर से 3 मई तक बढ़ाया गया है। हालांकि इतने सख्त कदम उठाने के बाद भी कोविड-19 इंफेक्शन को रोकने के लिए सबकुछ भारत के पक्ष में जाता नहीं दिख रहा। हर दिन सैकड़ों मरीज कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित हो रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो रही है।
देश के 28 राज्य और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों की सरकारों के सामने लॉकडाउन का पालन करवाने की बड़ी जिम्मेदारी है ताकि लोग अपने घरों से बाहर न निकलें, नागरिकों की सुरक्षा का इंतजाम करने के साथ-साथ अस्पतालों में सभी जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना आदि। मार्च 2020 के शुरुआत में भारत के पास नए कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का टेस्ट करने के लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट की सुविधा नहीं थी लेकिन बीते कुछ हफ्तों में टेस्टिंग फसिलिटी में भी काफी सुधार आया है।
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जनवरी 2020 के आखिरी सप्ताह में भारत में कोविड-19 का पहला केस सामने आया था और अब 14 अप्रैल 2020 के आंकड़ों की मानें तो भारत में कोविड-19 के मामले 10 हजार की संख्या को पार कर गए हैं। इसमें से 8,988 ऐक्टिव केस हैं, 1,035 लोग बीमारी से ठीक होकर घर जा चुके हैं और 339 लोगों की मौत हो चुकी है। लॉकडाउन लगाने के बावजूद भारत में हर दिन कोरोना वायरस के सैंकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए देशभर की राज्य सरकारें और सरकारी संस्थान अलग-अलग तरीके अपनाकर न सिर्फ टेस्टिंग की सुविधा बढ़ा रही हैं बल्कि अस्पतालों में कोविड-19 के बढ़ते मरीजों को दाखिल करने के लिए भी व्यवस्थाएं करने में जुटी हैं ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके।
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