टाइप 2 डायबिटीज को शुगर का सबसे आम प्रकार माना गया है. सोचने वाली बात तो यह है कि कई लोगों को यह तक पता नहीं होता कि उन्हें टाइप 2 डायबिटीज है. कई बार लोगों को टाइप 2 डायबिटीज का तब पता चलता है, जब वे कोई रूटीन टेस्ट कराते हैं या उनमें कोई लक्षण दिखते हैं. अब सवाल यह उठता है कि टाइप 2 डायबिटीज के साथ जीवन व्यतीत करना आसान है? क्या वक्त के साथ टाइप 2 डायबिटीज बदल सकता है? क्या वक्त के साथ जटिलताएं बढ़ती रहती हैं?

डायबिटीज का इलाज जानने के लिए यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.

आज इस लेख में आपको इन्हीं तमाम सवालों के जवाब जानने को मिलेंगे -

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के शुरुआती लक्षण)

  1. टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
  2. क्या टाइप 2 डायबिटीज में समय के साथ बदलाव हो सकता है?
  3. टाइप 2 डायबिटीज कितनी तेजी से बढ़ता है?
  4. क्या टाइप 2 डायबिटीज टाइप 1 डायबिटीज में बदल सकती है?
  5. क्या टाइप 2 डायबिटीज अपने आप ठीक हो सकती है?
  6. सारांश
  7. समय के साथ टाइप 2 डायबिटीज में कैसे बदलाव होता है के डॉक्टर

टाइप 2 डायबिटीज की स्थिति तब पैदा होती है, जब व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल ज्यादा बढ़ जाता है. दरअसल, ग्लूकोज ऊर्जा का मुख्य स्रोत है. यह व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों से मिलता है. पैंक्रियाज से इंसुलिन हार्मोन का निर्माण होता है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में ऊर्जा प्रदान करने में मदद करता है. वहीं, अगर किसी को डायबिटीज होती है, तो व्यक्ति का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर पाता है. ऐसे में ग्लूकोज व्यक्ति के ब्लड में ही रह जाता है और कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता है. इसी स्थिति को टाइप 2 डायबिटीज कहा जाता है.

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के चरण)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

हां, वक्त के साथ टाइप 2 डायबिटीज में बदलाव हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज आमतौर पर इंसुलिन रेजिस्टेंस से शुरू होता है. टाइप 2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाता है, तो उसे ही इंसुलिन प्रतिरोध या इन्सुलिन रेसिस्टेंस कहते हैं. शरीर की जरूरत के अनुसार वक्त के साथ-साथ पैंक्रियाज अधिक इंसुलिन का निर्माण करने लगता है.

जैसे-जैसे समय बीतता है, व्यक्ति का शरीर जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है. एक वक्त के बाद पैंक्रियाज में मौजूद बीटा कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और इंसुलिन का प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद हो सकता है. इससे ब्लड शुगर लेवल काफी हाई हो सकता है. आगे चलकर ब्लड शुगर लेवल कई तरह की जटिलताओं का कारण बन सकता है, जैसे -

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज तेजी से फैलने वाली स्थिति है. ऐसे में इसके लक्षणों को समय-समय पर मॉनिटर करना और उपचार करना आवश्यक है. कभी-कभी इस दौरान ट्रीटमेंट में बदलाव होना भी आवश्यक है. 

कुछ लोग डाइट और व्यायाम के साथ टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज कर सकते हैं, जबकि कुछ लोगों को डायबिटीज दवाइयों की आवश्यकता होती है. यह ट्रीटमेंट सिर्फ डायबिटीज की शुरुआत की है. जैसे-जैसे वक्त बीतता है, वैसे-वैसे उपचार प्रक्रिया और डाइट व रूटीन में बदलाव की जरूरत पड़ती है. एक वक्त के बाद मरीज को इन्सुलिन तक की आवश्यकता हो सकती है.

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम का अनुमान कैसे लगाएं)

टाइप 2 डायबिटीज कितनी तेजी से बढ़ता है, यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि आनुवंशिक, आहार, गतिविधि स्तर और शरीर दवा के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है. वहीं, कुछ बातों का ध्यान रखकर जैसे - डाइट, सही रूटीन, एक्सरसाइज और समय पर दवा लेने से टाइप 2 डायबिटीज के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है. इसलिए, बेहतर है कि दवाइयों के साथ-साथ व्यक्ति अपना रूटीन चेकअप कराते रहे, डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहे और उनकी सलाह लेकर उसे फॉलो करते रहें.

(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज में लिवर रोग का जोखिम कैसे कम करें)

नहीं, टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज दोनों अलग-अलग स्वास्थ्य स्थिति हैं. इनका आपस में कोई संबंध नहीं है और टाइप 2 आगे चलकर टाइप 1 में नहीं बदल सकती है. 

(और पढ़ें - क्या ज्यादा फल खाने से टाइप 2 डायबिटीज होती है)

नहीं, टाइप 2 डायबिटीज कभी न ठीक होने वाली स्थिति है. इसे सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली और दवाइयों से मैनेज किया जा सकता है. सिर्फ टाइप 2 ही नहीं, बल्कि टाइप 1 को भी सिर्फ मैनेज किया जा सकता है.

(और पढ़ें - टाइप-2 डायबिटीज के मरीज नहाएं गर्म पानी से)

टाइप 2 डायबिटीज को सही तरीके से अगर मैनेज किया जाए, तो इसकी जटिलताओं के जोखिमों को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसलिए, बेहतर है कि सही डाइट लें, रोज एक्सरसाइज करें और स्ट्रेस से दूर रहें. समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर चेकअप करवाना और बीमारी के प्रति जागरूक रहना ही सही समझदारी है. याद रखें कि डायबिटीज होने से जीवन जीने का तरीका धीमा नहीं होता है, बल्कि इसके साथ ही खुद को मानसिक तौर से मजबूत कर स्वस्थ जीवन जीने की आवश्यकता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज के लिए व्यायाम)

Dr. Narayanan N K

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव

Dr. Parjeet Kaur

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें